उत्तरप्रदेश के सभी पूर्व मुख्यमंत्री अब जीवर भर सरकारी बंगलों में रह सकेंगे. यूपी विधानसभा ने आज एक बिल पारित करके इसे कानूनी जामा पहना दिया. पिछले दिनों इस बारे में सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका के जरिए राज्य सरकार को चुनौती दी गई थी. इस याचिका में कहा गया कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को बिना किसी विधायी प्रावधान के ताउम्र सरकारी बंगले दे दिए गए हैं. इस पर सरकार ने आज एक बिल ही पास कर दिया.
विधानसभा में सभी दलों के विधायक इस मुद्दे पर एक राय थे कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को किसी केंद्रीय स्थान पर इतना बड़ा घर जरूर मिलना चाहिए, जहां वे सामाजिक, राजनीतिक लोगों से मिल सकें और जनता के काम कर सकें. पीडब्लूडी मंत्री शिवपाल यादव कहते हैं ''जो इतने बड़े राज्य का मुख्यमंत्री रहा हो, उसका सामाजिक-राजनीतिक दायरा बहुत बड़ा होता है. और अगर मुख्यमंत्री के पद से हटने के बाद भी वह राजनीति में सक्रिय है तो उससे बहुत लोग मिलने आते हैं. ऐसे में उसे एक बड़े घर की जरूरत होती है. ''
इन बंगलों में सबसे महंगा आवास पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का है जो कि करीब दो लाख वर्ग फीट में लाल पत्थरों से बना है. यह लखनऊ के पॉश माल एवेन्यू इलाके में है. इस बंगले में मुख्य ब्लाक में 13 कमरे मायावती के इस्तेमाल के लिए हैं. उनके सचिव, सुरक्षा स्टाफ और घरेलू काम करने वालों के लिए अलग ब्लाक है. बंगले के बेसमेंट में 20 कारों की पार्किंग है...और दो कार सर्विस स्टेशन हैं. बंगले में मायावती, कांशीराम और बाबा साहब की विशाल मूर्तियां लगी हैं.
लखनऊ में दूसरा आलीशान बंगला मुलायम सिंह यादव के पास है. यह मायावती के बंगले की तरह रेड सेंड स्टोन का नहीं है. यह पुराने प्रचलन की सफेद हवेली है. उनका पूरा परिवार यहीं रहता है.
यूपी में फिलहाल सात पूर्व मुख्यमंत्रियों के पास सरकारी बंगले हैं. वीर बहादुर सिंह को मिला सरकारी बंगला उनके निधन के बाद ''वीर बहादुर सिंह जनसेवा संस्थान'' के नाम एलॉट कर दिया गया. नारायणदत्त तिवारी मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद केंद्र में मंत्री और आंध्रप्रदेश व उत्तराखंड के राज्यपाल भी रहे, लेकिन उनका बंगला कायम रहा. रामनरेश यादव मध्यप्रदेश के राज्यपाल बन गए लेकिन बंगला मौजूद है. इसी तरह पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह राजस्थान के राज्यपाल और पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह केंद्र में गृह मंत्री हो गए लेकिन उनके भी बंगले कायम हैं.
इस बारे में बीजेपी एमएलए और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी की राय अलग है. वे कहते हैं कि ''सारे पूर्व मुख्यमंत्रियों के लिए एक टॉवर बना दिया जाए, जिसमें उन सबको छह बेडरूमों के फ्लैट एलॉट कर दिए जाएं. और इसमें सबके लिए एक सिक्यूरिटी सिस्टम हो. इस तरह सबके बंगलों पर अलग सिक्योरिटी नहीं लगानी होगी.''
विधानसभा में सभी दलों के विधायक इस मुद्दे पर एक राय थे कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को किसी केंद्रीय स्थान पर इतना बड़ा घर जरूर मिलना चाहिए, जहां वे सामाजिक, राजनीतिक लोगों से मिल सकें और जनता के काम कर सकें. पीडब्लूडी मंत्री शिवपाल यादव कहते हैं ''जो इतने बड़े राज्य का मुख्यमंत्री रहा हो, उसका सामाजिक-राजनीतिक दायरा बहुत बड़ा होता है. और अगर मुख्यमंत्री के पद से हटने के बाद भी वह राजनीति में सक्रिय है तो उससे बहुत लोग मिलने आते हैं. ऐसे में उसे एक बड़े घर की जरूरत होती है. ''
लखनऊ में दूसरा आलीशान बंगला मुलायम सिंह यादव के पास है. यह मायावती के बंगले की तरह रेड सेंड स्टोन का नहीं है. यह पुराने प्रचलन की सफेद हवेली है. उनका पूरा परिवार यहीं रहता है.
यूपी में फिलहाल सात पूर्व मुख्यमंत्रियों के पास सरकारी बंगले हैं. वीर बहादुर सिंह को मिला सरकारी बंगला उनके निधन के बाद ''वीर बहादुर सिंह जनसेवा संस्थान'' के नाम एलॉट कर दिया गया. नारायणदत्त तिवारी मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद केंद्र में मंत्री और आंध्रप्रदेश व उत्तराखंड के राज्यपाल भी रहे, लेकिन उनका बंगला कायम रहा. रामनरेश यादव मध्यप्रदेश के राज्यपाल बन गए लेकिन बंगला मौजूद है. इसी तरह पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह राजस्थान के राज्यपाल और पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह केंद्र में गृह मंत्री हो गए लेकिन उनके भी बंगले कायम हैं.
इस बारे में बीजेपी एमएलए और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी की राय अलग है. वे कहते हैं कि ''सारे पूर्व मुख्यमंत्रियों के लिए एक टॉवर बना दिया जाए, जिसमें उन सबको छह बेडरूमों के फ्लैट एलॉट कर दिए जाएं. और इसमें सबके लिए एक सिक्यूरिटी सिस्टम हो. इस तरह सबके बंगलों पर अलग सिक्योरिटी नहीं लगानी होगी.''
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