बहराइच: मोगली की कहानी से भला कौन वाकिफ नहीं होगा. शायद आप भी ये सोचते हों कि मोगली केवल काल्पनिक दुनिया का ही हिस्सा हो सकता है. मगर जनाब, आपकी इस सोच को चुनौती देती है एक नन्हीं सी बच्ची.
इस बच्ची को उत्तर प्रदेश के बहराइच के जंगल से पुलिस ने खोजा है. खबरों के अनुसार, आठ साल की ये लड़की अब तक बंदरों के साथ झुंड में रहा करती थी.
खास बात ये है कि ये लड़की ना तो हमारी तरह बोल पाती है और ना ही व्यवहार करती है. दरअसल, इसे मानवीय सभ्यता के बारे में कुछ पता ही नहीं है. इसने तो बचपन से ही बंदर देखे और उन्हीं की तरह जीना सीखा.
जानकारी के मुताबिक, सब इंस्पेक्टर सुरेश यादव ने कतर्नियाघाट के जंगल के मोतीपुर रेंज से इसे ढूंढ़ निकाला. जब वे नियमित गश्त पर थे, तभी उनकी नजर इस पर पड़ी. आपको जानकर हैरानी होगी कि उस समय ये लड़की बंदरों के झुंड में थी.
पुलिस ने बताया कि लड़की बंदरों के बीच नग्न अवस्था में थी. उसके बाल और नाखून बढ़े हुए थे. बंदर जब एक-दूसरे को देखकर आवाजें निकाल रहे थे तो ये भी वैसा ही कर रही थी. जैसे ये उनकी साथी हो. फिर सुरेश यादव ने अन्य पुलिसवालों की मदद से बड़ी मुश्किल से इस लड़की को पकड़ा. उस समय वो पुलिसवालों पर बंदरों की ही तरह गुर्रा रही थी.
पुलिसवालों ने इसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया. अब इसकी हालत में सुधार आ रहा है. बहराइच जिला अस्पताल के डॉक्टर्स कह रहे हैं कि बच्ची डॉक्टरों और दूसरे लोगों को देखते ही चिल्लाती है. समस्या ये है कि ये इंसानों की भाषा भी नहीं समझ पा रही थी. थाली में खाना नहीं खा पा रही है, बंदरों की तरह ही आकृति बनाकर कूदती है.
इस बच्ची को उत्तर प्रदेश के बहराइच के जंगल से पुलिस ने खोजा है. खबरों के अनुसार, आठ साल की ये लड़की अब तक बंदरों के साथ झुंड में रहा करती थी.
खास बात ये है कि ये लड़की ना तो हमारी तरह बोल पाती है और ना ही व्यवहार करती है. दरअसल, इसे मानवीय सभ्यता के बारे में कुछ पता ही नहीं है. इसने तो बचपन से ही बंदर देखे और उन्हीं की तरह जीना सीखा.
जानकारी के मुताबिक, सब इंस्पेक्टर सुरेश यादव ने कतर्नियाघाट के जंगल के मोतीपुर रेंज से इसे ढूंढ़ निकाला. जब वे नियमित गश्त पर थे, तभी उनकी नजर इस पर पड़ी. आपको जानकर हैरानी होगी कि उस समय ये लड़की बंदरों के झुंड में थी.
पुलिस ने बताया कि लड़की बंदरों के बीच नग्न अवस्था में थी. उसके बाल और नाखून बढ़े हुए थे. बंदर जब एक-दूसरे को देखकर आवाजें निकाल रहे थे तो ये भी वैसा ही कर रही थी. जैसे ये उनकी साथी हो. फिर सुरेश यादव ने अन्य पुलिसवालों की मदद से बड़ी मुश्किल से इस लड़की को पकड़ा. उस समय वो पुलिसवालों पर बंदरों की ही तरह गुर्रा रही थी.
पुलिसवालों ने इसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया. अब इसकी हालत में सुधार आ रहा है. बहराइच जिला अस्पताल के डॉक्टर्स कह रहे हैं कि बच्ची डॉक्टरों और दूसरे लोगों को देखते ही चिल्लाती है. समस्या ये है कि ये इंसानों की भाषा भी नहीं समझ पा रही थी. थाली में खाना नहीं खा पा रही है, बंदरों की तरह ही आकृति बनाकर कूदती है.
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