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    Saturday 31 December 2016

    पार्टी का असली नेता आज होगा तय-Mulayam Singh Yadav Faces Biggest Test Of His Career

    लखनऊ: 31 दिसंबर यानी शनिवार सुबह 10:30 बजे का वक्त शायद मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक करियर का सबसे मुश्किल समय होगा। मुलायम ने 'आधिकारिक' तौर पर घोषित किए गए 393 उम्मीदवारों को बैठक के लिए बुलाया है। इनमें बहुत से उम्मीदवार वे हैं जो अखिलेश यादव द्वारा जारी की गई लिस्ट में भी हैं। इसलिए यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सभी उम्मीदवार बैठक में आएंगे या नहीं।
    अखिलेश यादव ने भी सुबह 9 बजे विधायकों की बैठक बुलाई है। इस मीटिंग से वह साबित करना चाहेंगे कि पार्टी के ज्यादातर विधायक उनके समर्थन में हैं। अगर मुलायम सिंह की बैठक में उम्मीदवारों की मौजूदगी थोड़ी भी कम होती है तो यह उनके लिए काफी शर्मिंदगी भरा होगा। इससे पहले मुलायम ने अपना राजनीतिक करियर बनाने के लिए अपने कई साथियों जैसे चौधरी चरण सिंह, वीपी सिंह और चंद्रशेखर से नाता तोड़ लिया था। आज उनका अपना बेटा उन्हें चुनौती दे रहा है। सूत्रों का कहना है कि अखिलेश 'राष्ट्रीय समाजवादी पार्टी' नाम से अपनी एक अलग पार्टी बना सकते हैं जिसका चुनाव चिह्न मोटर साइकल होगा।
    विडंबना यह है कि इस साल समाजवादी पार्टी की रजत जयंती है और इसी साल पार्टी बिखर गई है। पार्टी के साथ-साथ यादव परिवार भी टूट गया है। अब लोकसभा में मौजूद समाजवादी पार्टी के पांच सांसदों में से चार अखिलेश के खेमे में हैं। ये सासंद हैं- डिंपल यादव, धर्मेंद्र यादव, तेज प्रताप यादव और अक्षय यादव। मुलायम सिंह यादव ने साफ कह दिया है 1 जनवरी को रामगोपाल यादव द्वारा बुलाई गई आपात बैठक अमान्य है। शिवपाल यादव ने भी खुली चेतावनी दी है कि इस बैठक में हिस्सा लेने वालों को पार्टी से निकाल दिया जाएगा।
    मुलायम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि उन्होंने अखिलेश को बहुत उम्मीदों के साथ मुख्यमंत्री बनाया था लेकिन उन्होंने उन्हें निराश किया। हालांकि अखिलेश ने अपने पिता के खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं की और पार्टी कार्यकर्ताओं को मुलायम के खिलाफ कुछ भी बोलने से मना किया। इस पूरे ड्रामे के दौरान शिवपाल भी खामोश ही नजर आए। प्रेस कॉन्फ्रेंस में वह मुलायम के साथ मौजूद तो थे लेकिन उन्होंने मीडिया से कोई बात नहीं की। जाहिर है, वह अखिलेश के समर्थकों के गुस्से का शिकार नहीं होना चाहते थे।
    राजनीति के जानकारों का कहना है कि शनिवार की बैठक यह तय करेगी कि पार्टी पर किसकी पकड़ ज्यादा मजबूत है। यानी मामला पूरी तरह से मुलायम बनाम अखिलेश हो चुका है। अखिलेश ने अपने पिता के खिलाफ एक शब्द भी नहीं कहा है क्योंकि वह जनता के बीच अपनी शांत और गंभीर छवि को बरकरार रखना चाहते हैं। दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने कहा है कि राज्य में फिलहाल संवैधानिक संकट जैसी कोई स्थिति नहीं है।
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