समाजवादी पार्टी दो फाड़ होने के कगार पर आ खड़ी हुई है। बात अब इतनी आगे बढ़ चुकी है कि सीएम अखिलेश यादव अपनी राह अलग करते हुए, चुनाव आयोग जाकर एसपी के चुनाव चिह्न 'साइकल' को जब्त करने की मांग कर सकते हैं। दोनों खेमों की ओर से मिल रहे कड़े संकेत यही इशारा कर रहे हैं कि अब जो भी होगा निर्णायक होगा। उधर समाजवादी पार्टी में तेजी से बदल रहे इस घटनाक्रम पर कांग्रेस के रणनीतिकारों की पैनी नजर है। उन्हें अखिलेश की बगावत का बेसब्री से इंतजार है। अखिलेश के नजदीकी सूत्र बता रहे हैं कि टिकट बंटवारे में अनदेखी के बाद अखिलेश की आक्रामकता सिर्फ दिखाने के लिए नहीं है। अगर उनके पिता मुलायम सिंह यादव और चाचा शिवपाल यादव उनकी बात नहीं मानते हैं, तो वह अपना रास्ता अलग करने का मन बना चुके हैं। सूत्रों ने संकेत दिया कि अखिलेश इस संभावित घटनाक्रम के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं और अगर उन्हें अलग होना पड़ता है, तो वह चुनावी मैदान में अपने 'ब्रैंड' के बूते उतरेंगे। सूत्रों ने बताया कि अखिलेश इस बार आर-पार की लड़ाई को लड़ने का मन इस कदर बना चुके हैं कि वह चुनाव आयोग जाकर अपनी नई पार्टी के चुनाव चिन्ह के लिए आवेदन करने के साथ-साथ समाजवादी पार्टी के चिह्न 'साइकल' को फ्रीज करने की मांग कर सकते हैं। उधर कांग्रेस समाजवादी कुनबे में चल रही इस वर्चस्व की लड़ाई पर पैनी नजर बनाए हुए है। कांग्रेस को लगता है कि अगर अखिलेश अलग होकर अपनी पार्टी बनाते हैं तो उन्हें अच्छे प्रदर्शन के लिए कांग्रेस जैसे सहयोगी की दरकार होगी। अगर समाजवादी पार्टी में टूट होती है तो देश के इस सबसे बड़े राज्य में कांग्रेस के लिए सम्मानजनक उपस्थिति हासिल करने का रास्ता खुल जाएगा। अखिलेश भी कई बार कांग्रेस से गठबंधन की वकालत कर चुके हैं।
Friday, 30 December 2016
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