अमेरिकी कानून में फंसे जयपुर के मां-बाप को आठ महीने बाद अपने बच्चे का गोद नसीब हुआ है. बच्चा वापस मिलते ही बच्चे के मां-बाप सीदे भारत के लिए रवाना हुए और जयपुर पहुंचे हैं. अपने ही बच्चे को वापस पाने के लिए आशीष पारीक को जयपुर में अपना घर भी बेचना पड़ा ताकि अमेरिका के महंगे कानूनी खर्च को सह सकें.
जनवरी 2016 में अमेरिका के न्यूजर्सी के प्रशासन ने गोद से बच्चा गिर जाने की वजह से दो माह के दुधमुहे बच्चे को मां-बाप से छीनकर एक एनजीओ को दे दिया था. अस्पताल में गाड़ी से उतरते समय बच्चा मां विदीशा की गोद से गिर गया था, जिससे उसको चोट आई थी. न्यूजर्सी में डॉक्टरों के कहने पर मां पर बेबी सेकिंग सिंड्रोम की धारा लगाकर बच्चे को ले लिया था. दरअसल जिस अस्पताल में माता-पिता इलाज के लिए लेकर गए वहां का डॉक्टर डिपार्टमेंट ऑफ चाइल्ड प्रोटेक्शन एंड परमानेंसी से जुड़े थे. बच्चे को चाइल्ड केयर सोसायटी के फोस्टर पैरेंट्स को सौंप दिया गया है.
टीसीएस आईटी कंपनी में काम करने वाले आशीष पारिक को शादी के पांच साल बाद बच्चा पैदा हुआ था. घर में बच्चा छीने जाने से परेशान दादा-दादी भी अमेरिका पहुंच गए थे. मगर वहां के अस्पताल ने इन्हें भी बच्चा नही दिया था. इन लोगों ने कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया, लेकिन तब तक बच्चे को मां का दूध भी नसीब नहीं हुआ है. जयपुर में घरवालों ने इंडियन एम्बेसी, विदेश मंत्रालय और सुषमा स्वराज समेत पीएमओ तक को लिखा था, मगर कोई मदद नही मिल पाई.
फिर जुलाई 2016 में अमेरिकी कोर्ट ने बच्चे के नाना-नानी को फोस्टर पैरेंट्स बनाते हुए बच्चा सौंपने पर राजी हुआ. उसके बाद बच्चे के नाना-नानी अमेरिका जाकर बच्चे समेत परिवार को ले आए, क्योंकि अमेरिका में रहते हुए मां-बाप बच्चे को गोद में नहीं ले सकते थे. जयपुर के सिरसी रोड अपने घर पर पहुंचे आशीष पारीक का कहना है कि वो जयपुर आकर बहुत राहत की सांस ले रहे हैं. पैसे तो बर्बाद हुए ही मेंटल ट्रामा इतना ज्यादा था कि अपने ही बच्चे का छिन जाने का डर था. मां का रो-रोकर बुरा हाल था. अपना देश सबसे अच्छा है.
जनवरी 2016 में अमेरिका के न्यूजर्सी के प्रशासन ने गोद से बच्चा गिर जाने की वजह से दो माह के दुधमुहे बच्चे को मां-बाप से छीनकर एक एनजीओ को दे दिया था. अस्पताल में गाड़ी से उतरते समय बच्चा मां विदीशा की गोद से गिर गया था, जिससे उसको चोट आई थी. न्यूजर्सी में डॉक्टरों के कहने पर मां पर बेबी सेकिंग सिंड्रोम की धारा लगाकर बच्चे को ले लिया था. दरअसल जिस अस्पताल में माता-पिता इलाज के लिए लेकर गए वहां का डॉक्टर डिपार्टमेंट ऑफ चाइल्ड प्रोटेक्शन एंड परमानेंसी से जुड़े थे. बच्चे को चाइल्ड केयर सोसायटी के फोस्टर पैरेंट्स को सौंप दिया गया है.
टीसीएस आईटी कंपनी में काम करने वाले आशीष पारिक को शादी के पांच साल बाद बच्चा पैदा हुआ था. घर में बच्चा छीने जाने से परेशान दादा-दादी भी अमेरिका पहुंच गए थे. मगर वहां के अस्पताल ने इन्हें भी बच्चा नही दिया था. इन लोगों ने कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया, लेकिन तब तक बच्चे को मां का दूध भी नसीब नहीं हुआ है. जयपुर में घरवालों ने इंडियन एम्बेसी, विदेश मंत्रालय और सुषमा स्वराज समेत पीएमओ तक को लिखा था, मगर कोई मदद नही मिल पाई.
फिर जुलाई 2016 में अमेरिकी कोर्ट ने बच्चे के नाना-नानी को फोस्टर पैरेंट्स बनाते हुए बच्चा सौंपने पर राजी हुआ. उसके बाद बच्चे के नाना-नानी अमेरिका जाकर बच्चे समेत परिवार को ले आए, क्योंकि अमेरिका में रहते हुए मां-बाप बच्चे को गोद में नहीं ले सकते थे. जयपुर के सिरसी रोड अपने घर पर पहुंचे आशीष पारीक का कहना है कि वो जयपुर आकर बहुत राहत की सांस ले रहे हैं. पैसे तो बर्बाद हुए ही मेंटल ट्रामा इतना ज्यादा था कि अपने ही बच्चे का छिन जाने का डर था. मां का रो-रोकर बुरा हाल था. अपना देश सबसे अच्छा है.
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