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    Monday, 5 September 2016

    'जियो' ... और 'जीने दो' !! Reliance Jio, Digital India, Mukesh Ambani, Hindi Article

    मुकेश अम्बानी देश के सबसे बड़े उद्योगपति तो हैं ही, किन्तु उनकी 'सोच' उनके कद से भी बड़ी है. आप उनके द्वारा लिए गए तमाम इनिशिएटिव देख लें, मानो परिपक्वता और दूरदर्शिता उनमें कूट-कूट कर भरी हो. आज मुकेश अम्बानी नियंत्रित 'रिलायंस इंडस्ट्रीज' उन चन्द कंपनियों में है, जो जिधर दृष्टि घुमा ले उधर मैदान साफ़ हो जाए और 'रिलायंस जिओ' की शुरूआती लांचिंग कुछ ऐसी ही धमाकेदार है. कॉर्पोरेट का सिद्धांत कभी भी 'जिओ' ... और 'जीने दो' का नहीं रहा है, बल्कि इसका सिद्धांत सौ फीसदी 'डार्विनवाद' पर आधारित है कि जो ताकतवर है, वही 'जियेगा'. खैर, इतनी भूमिका के बाद अगर मूल मुद्दे पर बात करते हैं तो मुकेश अम्बानी 'टेलीकॉम इंडस्ट्री' को बदलने की चाहत (Reliance Jio, Telecom Industry, Internet Expansion, Digital India, Mukesh Ambani, Hindi Article, Corporate World) काफी पहले से संजोये हुए हैं. जब अम्बानी बंधुओं में अलगाव नहीं हुआ था, तब भी 40 पैसे एसटीडी रेट और 500 रूपये में फोन लांच करके रिलायंस ने 'तहलका' मचा दिया था, जिसके बाद ही आज गाँव-गाँव तक में व्यक्ति-व्यक्ति के हाथों में मोबाइल आया. बाद में अनेकों कंपनियां आईं किन्तु हकीकत में इसका श्रेय 'रिलायंस' को ही जाता है. बाद में मुकेश-अनिल अलग हुए और रिलायंस का टेलीकॉम बिजनेस अनिल अम्बानी के हिस्से में चला गया, किन्तु मुकेश इस क्षेत्र में छिपे पोटेंशियल को बेहतर ढंग से समझ चुके थे. दशक भर में टेलीकॉम इंडस्ट्री का मतलब सिर्फ बात करने से बदलकर 'इन्टरनेट' तक पहुँच गया था और इस नब्ज़ पर पूरी तरह रिसर्च करके मुकेश अम्बानी ने ऐसा दांव चला है कि एयरटेल, वोडाफोन, आईडिया, अनिल अम्बानी वाली रिलायंस कम्युनिकेशंस जैसी कंपनियां "जीने दो" की गुहार लगाती दिख रही हैं! 

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    अब सोशल मीडिया पर 'जियो और जीने दो' के जो ह्यूमर्स शेयर हो रहे हैं, उनसे तो यही प्रतीत होता है तो अन्य कंपनियों द्वारा इन्टरनेट और दूसरी सुविधाओं की दरों में भारी कटौती भी इस तरफ मजबूत संकेत भी देती है. मुकेश की स्ट्रेटेजी वही है, जब रिलायंस ने पहले 500 - 500 रूपये वाला फोन लांच किया, मसलन प्रतिद्वंदियों की कमर तोड़ने वाला बड़ा प्लान, फोन-कनेक्शन-इन्टरनेट और दूसरी सुविधाओं का 'कॉम्बो-पैकेज' और यूजर्स के बड़े समूह की जरूरतों का गहन अध्ययन! इसके अतिरिक्त, वर्तमान सरकार की 'डिजिटल इंडिया' स्कीम के साथ सधा हुआ तालमेल मुकेश अम्बानी को बाकी खिलाड़ियों से 'चतुर' साबित करता है. मुकेश यह बात बखूबी जानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पब्लिक से बेहतर कनेक्टिविटी (Prime Minister Narendra Modi and Digital India) है, तो डिजिटल इंडिया इत्यादि स्कीम्स के प्रचार-प्रसार में सरकार 'दिन-रात' एक किये हुए है. हैरानी की बात है कि इस सेक्टर के अन्य खिलाड़ी इस सोच से महरूम रह गए, जबकि 'डिजिटल इंडिया' का असल मतलब ही 'व्यक्ति-व्यक्ति' को इन्टरनेट से जोड़ना है. हालाँकि, मुकेश अम्बानी की 'जिओ' के प्रचार के लिए प्रधानमंत्री का नाम लेने को लेकर कुछ हलकों में आलोचना भी हुई, किन्तु इसमें तकनीकी तौर पर आखिर 'गलत' क्या है? डिजिटल इंडिया उद्देश्य तो सरकार द्वारा ही निर्धारित है और अगर मुकेश अम्बानी ने इसे अपने बिजनेस के साथ जोड़ा तो दूसरों को आलोचना करने का हक़ नहीं है. बेशक आने वाले दिनों में किन्तु-परंतु आये, पर हकीकत यही है कि मुकेश अम्बानी ने बाजी मार ली है. चूंकि आज जमाना इन्टरनेट का ही नहीं है, बल्कि 'फ़ास्ट और फास्टर इन्टरनेट' का होता जा रहा है, तो चाहे शहर हो या गांव 'इन्टरनेट' का बड़ा उपभोक्ता-वर्ग तैयार हुआ है. 

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    लोग ज्यादा से ज्यादा समय सोशल नेटवर्किंग साईट पर बिता रहे हैं, कई तो 16 - 16 घंटे तक! अन्य कंपनियों ने अब तक कमाया भी खूब है, किन्तु जब इस मार्किट में एक स्थिरता और ढुलमुलपन सा आ रहा था, तब रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने रिलायंस जियो मोबाइल फोन नेटवर्क पर डेटा कीमतों की ऐसी सस्ती पेशकश कर दी कि 'खलबली' सी मच गयी है. रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के 42वें जनरल मीटिंग के दौरान कंपनी ने जियो 4G लॉन्च की स्कीम्स के बारे में परत दर परत बताया. हालांकि महीने भर से लोग इसे यूज कर रहे हैं, लेकिन मुकेश अम्बानी ने इसके टैरिफ प्लान के बारे में बता कर लोगों को चौंका दिया. घोषणा के मुताबिक जियो के ग्राहकों के लिए मुफ्त वॉयस कॉलिंग, शून्य रोमिंग शुल्क और सस्ती डेटा दरों के कॉम्बो प्लान ने पब्लिक में इसे चर्चा का विषय बना दिया, खासकर 'युवा-वर्ग' में (Reliance Jio, Telecom Industry, Internet Expansion, Digital India, Mukesh Ambani, Hindi Article, Youth of India)! आखिर, विडियो, सोशल मीडिया सहित दूसरी सेवाएं युवा ही तो सर्वाधिक इस्तेमाल करता है और यही वर्ग 'डेटा-खपत' में किफ़ायत भी ढूंढता है, खासकर कस्बे और गाँवों के युवक! इसमें छिपा पोटेंशियल आने वाले दिनों में और भी उभर कर आएगा और इसे मुकेश अम्बानी ने बखूबी एनालाइज किया है. अपने अन्य ऑफर्स के अलावा 'जियो' अपने ग्राहकों को पांच सितंबर से 31 दिसंबर तक के लिए ‘मुफ्त वेलकम ऑफर’ भी दे रहा है. मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (MNP) चूंकि अब काफी आसान हो गया है और इसीलिए बाकी कंपनियां सकते में हैं. प्राप्त जानकारी के अनुसार रिलायंस जिओ ने शुरूआती स्तर पर 10 करोड़ ग्राहक बनाने का लक्ष्य रखा है, जो जाहिर तौर पर वर्तमान टेलीकॉम कंपनियों में से ही टूटेंगे. अब एक तरफ तो एयरटेल, वोडा, आईडिया इत्यादि कंपनियों के ग्राहक टूटेंगे और दूसरी तरफ इन्हें अपनी सेवाएं सस्ती भी करनी पड़ेंगी. मतलब 'दोहरी मार', जिससे वर्तमान 'बिजनेस मॉडल' में इन्हें तब्दीली करना ही होगा. 

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    हालाँकि जियो सिर्फ शुरूआती चार महीनों के लिए ही  मुफ्त डेटा सेवाओं दे रहा है, और उसके बाद वह डेटा के दस प्लानों की पेशकश करेगा, किन्तु भारत में 'प्रीपेड ग्राहकों' की संख्या काफी ज्यादा है और ऐसे ग्राहकों को तोड़ने के लिए चार महीने कम नहीं होते हैं, वह भी तब जब 'रिलायंस' जैसी कंपनी इसके लिए एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा रही हो! सभी जानते हैं कि ग्राहकों को अपने पक्ष में मिलाने के बाद 'रिलायंस जिओ' भी फ्री से आगे बढ़कर असल 'प्रॉफिट' वाले बिजनेस (Corporate War and Customer Benefit, Hindi Article) पर ही आएगी, किन्तु इस सन्दर्भ में कंपनी का मानना है कि ग्राहक सस्ते ऑफर की घोषणा का मजा ले रहे हैं तो लेने दें और ऐसे में दिसंबर से पहले घोषणा करने का कंपनी का कोई इरादा नहीं दिखता है. साफ़ है कि एक आक्रामक रणनीति से मार्किट की चाल बदलेगी ही और सबसे बड़ी बात यह है कि इस पूरी जद्दोजहद में 'ग्राहक' का फायदा होता दिख रहा है तो इन्टरनेट का भी बड़े स्तर पर प्रसार होगा. आपको ध्यान  होगा कुछ ही समय पहले फेसबुक के ज़करबर्ग ने 'इन्टरनेट.ऑर्ग' नाम से 'फ्री इन्टरनेट' की मुहिम चलाने की घोषणा की थी, किन्तु ज़करबर्ग मुकेश अम्बानी से थोड़े कम चतुर निकले! आखिर, भारत की राजनीति और जनता को समझना इतना भी आसान नहीं है कि कोई ज़करबर्ग दो-चार बार आकर सब समझ ले! 

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    वैसे तो आपको यह वाकया ध्यान होगा, किन्तु बताते चलें कि तब ज़करबर्ग की वह मुहिम 'इन्टरनेट न्यूट्रलिटी' की बहस में फंस कर रह गयी और खूब आक्रामकता एवं प्रचार के बावजूद ज़करबर्ग को पीछे हटने पर मजबूर होना पड़ा. हालाँकि, उसमें एक बीच का रास्ता निकाला जा सकता था, किन्तु मुकेश की 'जिओ' ने उस कमी को काफी हद तक पूरा करने का दम दिखलाया है, तो इस सेक्टर के दुसरे खिलाड़ियों को भी इसके लिए मजबूर किया है, मतलब हर एक व्यक्ति तक तेज इन्टरनेट पहुंचाने का, वह भी सस्ते से सस्ते दरों में!  एक और अहम बात कंपनी ने अपने हैंडसेट ब्रांड 'लाइफ' (LYF) के तहत सबसे सस्ते स्मार्टफोन (Reliance Jio, Telecom Industry, Internet Expansion, Digital India, Mukesh Ambani, Hindi Article, Smartphone Industry) की भी घोषणा की है जिसकी कीमत 2,999 रुपये है. जाहिर है, इस सेगमेंट में बढ़ोत्तरी की भारी गुंजाइश है. मुकेश अंबानी ने मीटिंग में जब कहा कि 'वॉयस कॉल' के लिए भुगतान का युग खत्म हो रहा है, तब उसके पीछे रिलायंस का बड़ा होमवर्क छुपा हुआ था. इसके अतिरिक्त, जियो के ग्राहकों के लिए पूरे भारत में रोमिंग दरें 'शून्य' करने का फैसला भी इसके ग्राहकों में बढ़ोत्तरी करने का महत्वपूर्ण कारक सिद्ध होगा. हालाँकि, मुख्य लड़ाई 'इन्टरनेट' को लेकर ही रहने वाली है, इस बात में दो राय नहीं. 'डिजिटल इंडिया' की मुहिम में ज़ोर शोर से लगे सरकारी अमले को बस इतना ध्यान रखना होगा कि प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से ग्राहक के हित सुरक्षित रहें, बाकी कारपोरेट-जगत में तो उठापठक होती ही रहती है!

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