उर्जित पटेल ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के 24वें गवर्नर के रुप में कमान संभाल ली हैं। पटेल के चार्ज लेने के बाद सबसे बड़ी चुनौती बैंकों के एनपीए को कम करने की है जिस पर पूर्व गवर्नर रघुराम राजन काफी दिनों से काम कर रहे थे। पटेल ने 2011 में सेंट्रल बैंक के डिप्टी गवर्नर के रुप में पद ग्रहण किया था। आइए जानते हैं उर्जित पटेल को आरबीआई गवर्नर के रुप में किन 4 बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा.....
पटेल की पहचान आरबीआई में एक ऐसे योद्धा की बनी हुई है जो कि काफी समय से महंगाई को कम करने में लगे हुए हैं। महंगाई को कम करने पर सबसे ज्यादा काम करने की जरूरत अभी आरबीआई को है, क्योंकि दैनिक उपयोग के सामान की कीमतें आसमान को छू रही हैं। आरबीआई को कोशिश करनी होगी की थोक और रिटेल महंगाई दर में ज्यादा अंतर न हो और कैसे इसको 4-5 फीसदी के अंदर लाया जाएं
इसके अलावा पटेल का सबसे बड़ा टास्क बैंकों की बैलेंस शीट की अंदर तक सर्जरी करने की है, जिससे वो लाल निशान से हरे निशान में आ जाएं। पूर्व गवर्नर रघुराम राजन जाते-जाते भी इसी पर काम कर रहे थे। पिछले वित्त वर्ष में पीएसयू बैंकों का ग्रॉस एनपीए 11.5 फीसदी था। अकेले मार्च 2016 में वित्त वर्ष 2015-16 की खत्म हुई आखिरी तिमाही में यह 16 हजार करोड़ के पार चला गया था। अभी बैंकों का एनपीए 10 फीसदी के आसपास है जिसे 7 फीसदी तक लाना उर्जित के लिए बड़ी चुनौती साबित होगा।
डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार कमजोर होता जा रहा है। फिलहाल यह 67 के आसपास चल रहा है। उर्जित की चुनौती हैं कि वो इसे 65 पर लेके आएं ताकि पेट्रोल-डीजल के दाम कम हो और इसके जरिए भी महंगाई को कम किया जा सके। देश का फॉरेन रिजर्व भी रुपये की चाल से प्रभावित होता है, इसलिए फॉरेन रिजर्व को घटने से बचाने के लिए रुपये को स्थिर रखना आरबीआई की कोशिश पर निर्भर करता है।
आरबीआई ने पिछले साल 21 कंपनियों और बैंकों को पेमेंट बैंक खोलने का लाइसेंस दिया था। इस साल के अंत तक ऐसी बैंक काम करना शुरू कर देंगे। यह बैंक देश के उन जगह पर भी जाकर के अपनी ब्रांच खोलेंगी जहां पर किसी भी बैंक की ब्रांच नहीं है। पेमेंट बैंक का फायदा ऐसे लोगों को मिलेगा जिनका किसी भी बैंक में कोई खाता नहीं है। पटेल को ऐसे बैंकों के जरिए लोगों को वित्तीय आजादी दिलाने का टास्क भी होगा।
पटेल की पहचान आरबीआई में एक ऐसे योद्धा की बनी हुई है जो कि काफी समय से महंगाई को कम करने में लगे हुए हैं। महंगाई को कम करने पर सबसे ज्यादा काम करने की जरूरत अभी आरबीआई को है, क्योंकि दैनिक उपयोग के सामान की कीमतें आसमान को छू रही हैं। आरबीआई को कोशिश करनी होगी की थोक और रिटेल महंगाई दर में ज्यादा अंतर न हो और कैसे इसको 4-5 फीसदी के अंदर लाया जाएं
इसके अलावा पटेल का सबसे बड़ा टास्क बैंकों की बैलेंस शीट की अंदर तक सर्जरी करने की है, जिससे वो लाल निशान से हरे निशान में आ जाएं। पूर्व गवर्नर रघुराम राजन जाते-जाते भी इसी पर काम कर रहे थे। पिछले वित्त वर्ष में पीएसयू बैंकों का ग्रॉस एनपीए 11.5 फीसदी था। अकेले मार्च 2016 में वित्त वर्ष 2015-16 की खत्म हुई आखिरी तिमाही में यह 16 हजार करोड़ के पार चला गया था। अभी बैंकों का एनपीए 10 फीसदी के आसपास है जिसे 7 फीसदी तक लाना उर्जित के लिए बड़ी चुनौती साबित होगा।
डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार कमजोर होता जा रहा है। फिलहाल यह 67 के आसपास चल रहा है। उर्जित की चुनौती हैं कि वो इसे 65 पर लेके आएं ताकि पेट्रोल-डीजल के दाम कम हो और इसके जरिए भी महंगाई को कम किया जा सके। देश का फॉरेन रिजर्व भी रुपये की चाल से प्रभावित होता है, इसलिए फॉरेन रिजर्व को घटने से बचाने के लिए रुपये को स्थिर रखना आरबीआई की कोशिश पर निर्भर करता है।
आरबीआई ने पिछले साल 21 कंपनियों और बैंकों को पेमेंट बैंक खोलने का लाइसेंस दिया था। इस साल के अंत तक ऐसी बैंक काम करना शुरू कर देंगे। यह बैंक देश के उन जगह पर भी जाकर के अपनी ब्रांच खोलेंगी जहां पर किसी भी बैंक की ब्रांच नहीं है। पेमेंट बैंक का फायदा ऐसे लोगों को मिलेगा जिनका किसी भी बैंक में कोई खाता नहीं है। पटेल को ऐसे बैंकों के जरिए लोगों को वित्तीय आजादी दिलाने का टास्क भी होगा।
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