हैदराबाद : आइपीएल-10 का खिताबी मुकाबला रविवार को राजीव गांधी स्टेडियम में महाराष्ट्र की ही दो टीमों मुंबई इंडियंस और राइजिंग पुणे सुपरजाइंट के बीच होगा. यह मुकाबला सिर्फ महाराष्ट्र की दो दिग्गज टीमों के बीच नहीं है बल्कि इसमें कई बड़े सितारों की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है. चूंकि पुणे ने इस सत्र में मुंबई को तीन बार हराया है इसलिए पुणे सुपरजाइंट को मनोवैज्ञानिक बढ़त मिली हुई है. मुंबई आइपीएल के 10 संस्करणों में खेलते हुए चौथी बार फाइनल में पहुंची है और तीसरी बार खिताब जीतने की कोशिश करेगी, जबकि राइजिंग पुणे सुपरजाइंट अपने दूसरे और आखिरी संस्करण में ही फाइनल में पहुंचने में कामयाब हो गई.
दो बार की चैम्पियन मुंबई चौथा फाइनल खेलेगी और अगर पुणे टीम में रिकार्ड सातवां आईपीएल फाइनल खेल रहे महेंद्र सिंह धोनी नहीं होते तो उसका पलड़ा भारी कहा जा सकता था. मुंबई के कुछ सितारों मसलन कप्तान रोहित शर्मा, कीरोन पोलार्ड, हरभजन सिंह और अंबाती रायुडू को बखूबी पता है कि फाइनल मुकाबले कैसे जीते जाते हैं. चूंकि वे 2013 और 2015 में विजयी टीम के सदस्य थे. मुंबई की ताकत उसकी बेंच स्ट्रेंथ भी है. जब जोस बटलर गए तो लैंडल सिमंस ने उनकी जगह ली और मिशेल जानसन की गैर मौजूदगी में मिशेल मैक्लीनागन (19 विकेट) खतरनाक साबित हुए हैं, नीतिश राणा (333 रन) आईपीएल की खोज में से एक रहे हैं और चोट से वापसी के बाद रायुडू भी उतने ही प्रभावी साबित हुए.
हरभजन सिंह हमेशा की तरह किफायती साबित हुए लेकिन टीम प्रबंधन ने लेग स्पिनर कर्ण शर्मा पर भरोसा किया जिसने दूसरे क्वालीफायर में केकेआर के चार विकेट सिर्फ 16 रन देकर चटकाये. लसिथ मलिंगा और जसप्रीत बुमरा के रूप में उनके पास डैथ ओवरों के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज हैं. पोलार्ड अपना दिन होने पर अकेले मैच जिता सकते हैं. हार्दिक और कृणाल पांड्या टीम को संतुलित बनाते हैं और रोहित भी मैच विनर हैं. दूसरी ओर धोनी 2008 के आईपीएल के सर्वश्रेष्ठ फिनिशर में से एक हैं. वह 2008 से 2015 के बीच छह फाइनल खेल चुके हैं जब चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान थे. चेन्नई ने 2010 और 2011 में खिताबी जीत दर्ज की थी. पुणे के कप्तान स्टीव स्मिथ को धोनी के अनुभव पर भरोसा होगा. वह शेन वार्न (राजस्थान रायल्स), एडम गिलक्रिस्ट (डेक्कन चार्जर्स) और डेविड वार्नर (सनराइजर्स हैदराबाद) के बाद आईपीएल जीतने वाले चौथे आस्ट्रेलियाई कप्तान बनने की कोशिश में होंगे.
सनराइजर्स के खिलाफ करो या मरो के लीग मैच के दौरान धोनी ने अपने पुराने फार्म की बानगी पेश की. उन्होंने मुंबई के खिलाफ पहले क्वालीफायर में आखिरी दो ओवरों में पांच छक्के उड़ाकर टीम को जीत दिलाई. पूरी संभावना है कि धोनी अगले सत्र में फिर चेन्नई की पीली जर्सी में दिखेंगे चूंकि पुणे की टीम अगली बार नहीं होगी. वह यह भी नहीं भूले होंगे कि किस तरह उन्हें कप्तानी से हटाया गया लिहाजा वह इस टीम के लिये आखिरी पारी यादगार खेलना चाहेंगे. पुणे को बेन स्टोक्स की कमी खलेगी जो चैम्पियंस ट्राफी की तैयारी के लिये इंग्लैंड टीम से जुड़ चुके हैं. राहुल त्रिपाठी (388 रन) ने अच्छा प्रदर्शन किया है जबकि वाशिंगटन सुंदर ने गेंदबाजी में जलवा दिखाया है.
मुंबई वर्ष 2013 और 2015 में चेन्नई सुपरकिंग्स को हराकर आइपीएल चैंपियन रही थी, जबकि 2010 के फाइनल में उसे इसी टीम से पराजय का सामना करना पड़ा था. 2013 में मुंबई ने चेन्नई को 23 जबकि 2015 में 41 रन से पराजित किया था. अगर इस सत्र की बात करें तो मुंबई ने बहुत बढिय़ा प्रदर्शन किया है. उसने अपने 14 में से 10 मैच जीतकर 20 अंकों के साथ अंकतालिका में पहला स्थान हासिल किया. हालांकि, क्वालीफायर-1 में पुणे से हारने के कारण उसे झटका लगा, लेकिन क्वालीफायर-2 में उसने कोलकाता नाइटराइडर्स को छह विकेट से हराकर फाइनल में अपनी जगह पक्की कर ली.
दो बार की चैम्पियन मुंबई चौथा फाइनल खेलेगी और अगर पुणे टीम में रिकार्ड सातवां आईपीएल फाइनल खेल रहे महेंद्र सिंह धोनी नहीं होते तो उसका पलड़ा भारी कहा जा सकता था. मुंबई के कुछ सितारों मसलन कप्तान रोहित शर्मा, कीरोन पोलार्ड, हरभजन सिंह और अंबाती रायुडू को बखूबी पता है कि फाइनल मुकाबले कैसे जीते जाते हैं. चूंकि वे 2013 और 2015 में विजयी टीम के सदस्य थे. मुंबई की ताकत उसकी बेंच स्ट्रेंथ भी है. जब जोस बटलर गए तो लैंडल सिमंस ने उनकी जगह ली और मिशेल जानसन की गैर मौजूदगी में मिशेल मैक्लीनागन (19 विकेट) खतरनाक साबित हुए हैं, नीतिश राणा (333 रन) आईपीएल की खोज में से एक रहे हैं और चोट से वापसी के बाद रायुडू भी उतने ही प्रभावी साबित हुए.
हरभजन सिंह हमेशा की तरह किफायती साबित हुए लेकिन टीम प्रबंधन ने लेग स्पिनर कर्ण शर्मा पर भरोसा किया जिसने दूसरे क्वालीफायर में केकेआर के चार विकेट सिर्फ 16 रन देकर चटकाये. लसिथ मलिंगा और जसप्रीत बुमरा के रूप में उनके पास डैथ ओवरों के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज हैं. पोलार्ड अपना दिन होने पर अकेले मैच जिता सकते हैं. हार्दिक और कृणाल पांड्या टीम को संतुलित बनाते हैं और रोहित भी मैच विनर हैं. दूसरी ओर धोनी 2008 के आईपीएल के सर्वश्रेष्ठ फिनिशर में से एक हैं. वह 2008 से 2015 के बीच छह फाइनल खेल चुके हैं जब चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान थे. चेन्नई ने 2010 और 2011 में खिताबी जीत दर्ज की थी. पुणे के कप्तान स्टीव स्मिथ को धोनी के अनुभव पर भरोसा होगा. वह शेन वार्न (राजस्थान रायल्स), एडम गिलक्रिस्ट (डेक्कन चार्जर्स) और डेविड वार्नर (सनराइजर्स हैदराबाद) के बाद आईपीएल जीतने वाले चौथे आस्ट्रेलियाई कप्तान बनने की कोशिश में होंगे.
सनराइजर्स के खिलाफ करो या मरो के लीग मैच के दौरान धोनी ने अपने पुराने फार्म की बानगी पेश की. उन्होंने मुंबई के खिलाफ पहले क्वालीफायर में आखिरी दो ओवरों में पांच छक्के उड़ाकर टीम को जीत दिलाई. पूरी संभावना है कि धोनी अगले सत्र में फिर चेन्नई की पीली जर्सी में दिखेंगे चूंकि पुणे की टीम अगली बार नहीं होगी. वह यह भी नहीं भूले होंगे कि किस तरह उन्हें कप्तानी से हटाया गया लिहाजा वह इस टीम के लिये आखिरी पारी यादगार खेलना चाहेंगे. पुणे को बेन स्टोक्स की कमी खलेगी जो चैम्पियंस ट्राफी की तैयारी के लिये इंग्लैंड टीम से जुड़ चुके हैं. राहुल त्रिपाठी (388 रन) ने अच्छा प्रदर्शन किया है जबकि वाशिंगटन सुंदर ने गेंदबाजी में जलवा दिखाया है.
मुंबई वर्ष 2013 और 2015 में चेन्नई सुपरकिंग्स को हराकर आइपीएल चैंपियन रही थी, जबकि 2010 के फाइनल में उसे इसी टीम से पराजय का सामना करना पड़ा था. 2013 में मुंबई ने चेन्नई को 23 जबकि 2015 में 41 रन से पराजित किया था. अगर इस सत्र की बात करें तो मुंबई ने बहुत बढिय़ा प्रदर्शन किया है. उसने अपने 14 में से 10 मैच जीतकर 20 अंकों के साथ अंकतालिका में पहला स्थान हासिल किया. हालांकि, क्वालीफायर-1 में पुणे से हारने के कारण उसे झटका लगा, लेकिन क्वालीफायर-2 में उसने कोलकाता नाइटराइडर्स को छह विकेट से हराकर फाइनल में अपनी जगह पक्की कर ली.
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