लंदन: चैंपियंस ट्रॉफी शुरू होने में अब सिर्फ 3 दिन ही बाकी है. वॉर्मअप मैचों की शुरुआत हो चुकी है. यह चैंपियंस ट्रॉफी का 8वां टूर्नामेंट है इससे पहले 7 चैंपियंस ट्रॉफी टूर्नामेंट हो चुके है. चैंपियंस ट्रॉफी का पहला टूर्नामेंट 1998 में बांग्लादेश में हुआ था.
नॉकआउट कप से चैंपियंस ट्रॉफी तक
चैंपियंस ट्रॉफी टूर्नामेंट को आईसीसी नॉकआउट कप से जाना जाता था, जिसको 2002 में आईसीसी नॉकआउट कप से बदलकर आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी कर दिया गया था. यह ट्रॉफी हर दो साल में आयोजित होती थी, लेकिन साल 2009 से वर्ल्ड कप के तर्ज पर इसे भी 4 साल के अंतराल में कराना शुरू कर दिया गया.
आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2017 में 8 टीमें हिस्सा ले रही हैं. इन 8 टीमों में से बहुत से ऐसे खिलाड़ी है जो कई सालों से चैंपियंस ट्रॉफी और वर्ल्ड कप खेलते आ रहे है.
एक नजर डालते हैं पांच ऐसे खिलाड़ियों पर, जिन्होंने 2006 आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में युवा खिलाड़ी के तौर पर भाग लिया था और आज वह चैंपियंस ट्रॉफी 2017 में अपनी टीम के सबसे अनुभवी खिलाड़ियों में से एक हैं.
एबी डीविलियर्स : मौजूदा क्रिकेट के सबसे खतरनाक और विस्फोटक बल्लेबाज एबी डीविलियर्स चैंपियंस ट्रॉफी 2017 में दक्षिण अफ्रीका टीम की कप्तानी करते हुए नजर आएंगे. डीविलियर्स ने 2006 में दक्षिण अफ्रीका की तरफ से पहली बार चैंपियंस ट्रॉफी में हिस्सा लिया था. वह अपने शुरूआती करियर में ज्यादा विस्फोटक बल्लेबाज नहीं थे. डीविलियर्स ने पहली चैंपियंस ट्रॉफी में मात्र 3 मैच खेले, जिसमें उन्होंने 36.66 के औसत से 110 रन बनाए और एक अर्धशतकीय पारी खेली थी.
यह विस्फोटक बल्लेबाज अपनी चौथी चैंपियंस ट्रॉफी खेलेगा और चाहेगा कि दक्षिण अफ्रीका टीम इस चैंपियंस ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन करके 1998 के इतिहास को दोहराए, जब दक्षिण अफ्रीका ने इस टूर्नामेंट का पहला ही खिताब अपने नाम किया था.
महेंद्र सिंह धोनी: टीम इंडिया के सबसे सफल कप्तान रहे महेंद्र सिंह धोनी ने अपना पहला आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी का मैच राहुल द्रविड़ की कप्तानी में 2006 में खेला था. धोनी ने जब 3 मैचों में एक अर्धशतक के साथ 81 रन बनाए थे, लेकिन 2013 में बतौर कप्तान उन्होंने भारत को यह खिताब दिलाने में योगदान दिया.
एमएस धोनी 10 साल बाद बतौर खिलाड़ी विराट कोहली की कप्तानी में खेलेंगे. धोनी को कप्तानी का अनुभव है और वह कोहली के साथ कप्तानी के गुर मैदान में साझा करते हुए नजर आ सकते हैं.
शोएब मालिक: पाकिस्तान टीम के सबसे अनुभवी खिलाड़ी शोएब मालिक ने भी साल 2006 में पाकिस्तान के लिए चैंपियंस ट्रॉफी में शिरकत की थी. मलिक ने 2002, 2004 में भी चैंपियंस ट्रॉफी में हिस्सा लिया था और 2006 चैंपियंस ट्रॉफी उनकी तीसरी चैंपियंस ट्रॉफी थी.
मलिक ने पाकिस्तान के लिए लगातार अच्छा क्रिकेट खेला है और बेहतरीन प्रदर्शन भी किया है. उनका अनुभव उनकी टीम के लिए फायदेमंद रहेगा. पाकिस्तान ने अभी तक चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब अपने नाम नहीं किया है और मलिक भी चाहेंगे कि चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब पाकिस्तान के नाम हो जाए, जिसके लिए वह अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देना चाहेंगे. मलिक ने 2006 चैंपियंस ट्रॉफी में 3 मैच खेले थे, जहां उन्होंने 49 के औसत से 98 रन बनाये थे.
युवराज सिंह: टीम इंडिया के सबसे अनुभवी ऑलराउंडर युवराज सिंह ने अपने शानदार प्रदर्शन से टीम में वापसी कर चुके हैं. वह भारत के लिए चैंपियंस ट्रॉफी में 2000 से खेल रहे हैं, जब चैंपियंस ट्रॉफी को नॉकआउट कप कहा जाता था. अपने पहले ही टूर्नामेंट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उन्होंने शानदार 83 रनों की पारी खेली थी.
2006 में उन्होंने केवल 2 ही मैच खेले, जिसमें उन्होंने 54 रन ही बनाए. 2009 में चोटिल होने के कारण वह चैंपियंस ट्रॉफी से बाहर हो गये थे और 2013 में खराब प्रदर्शन के कारण उनको टूर्नामेंट से बाहर कर दिया गया था.
युवराज सिंह 11 साल के बाद आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2017 में वापसी कर रहे हैं. वह वनडे में फिलहाल शानदार फॉर्म में है, इंग्लैंड के खिलाफ हुई वनडे सीरीज में उन्होंने 150 रनों की ताबड़तोड़ पारी खेल कर अपनी वापसी के संकेत दिए थे. युवराज का भारतीय टीम में होना बल्लेबाजी के साथ गेंदबाजी विभाग को भी मजबूती देता है.
शाकिब अल हसन: बांग्लादेश टीम के सबसे अनुभवी ऑलराउंडर शाकिब अल हसन ने अपना पहला चैंपियंस ट्रॉफी मैच 2006 में खेला था, उन्होंने तब भी शानदार प्रदर्शन किया था. बांग्लादेश टीम जल्द ही टूर्नामेंट से बाहर हो गई थी लेकिन शाकिब ने 3 मैचों में बल्ले के साथ 103 रन बनाए, जिसमें एक अर्धशतक भी शामिल था, साथ ही गेंदबाजी में उन्होंने 3 विकेट भी चटकाए थे.
हाल ही में बांग्लादेश आईसीसी वनडे रैंकिंग में अब तक की अपनी सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग पर पहुंची है. बांग्लादेश टीम छठे स्थान पर काबिज है. वर्ल्ड चैंपियन टीम रह चुकी पाकिस्तान, श्रीलंका और वेस्टइंडीज से बांग्लादेश आगे चल रही है. चैंपियंस ट्रॉफी में वह अपनी प्रतिभा से ज्यादा करने का विश्वास रख रहे हैं, साथ ही शाकिब जैसे अनुभवी ऑलराउंडर ख़िलाड़ी का टीम में होना उन्हें मजबूती प्रदान करता है.
नॉकआउट कप से चैंपियंस ट्रॉफी तक
चैंपियंस ट्रॉफी टूर्नामेंट को आईसीसी नॉकआउट कप से जाना जाता था, जिसको 2002 में आईसीसी नॉकआउट कप से बदलकर आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी कर दिया गया था. यह ट्रॉफी हर दो साल में आयोजित होती थी, लेकिन साल 2009 से वर्ल्ड कप के तर्ज पर इसे भी 4 साल के अंतराल में कराना शुरू कर दिया गया.
आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2017 में 8 टीमें हिस्सा ले रही हैं. इन 8 टीमों में से बहुत से ऐसे खिलाड़ी है जो कई सालों से चैंपियंस ट्रॉफी और वर्ल्ड कप खेलते आ रहे है.
एक नजर डालते हैं पांच ऐसे खिलाड़ियों पर, जिन्होंने 2006 आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में युवा खिलाड़ी के तौर पर भाग लिया था और आज वह चैंपियंस ट्रॉफी 2017 में अपनी टीम के सबसे अनुभवी खिलाड़ियों में से एक हैं.
एबी डीविलियर्स : मौजूदा क्रिकेट के सबसे खतरनाक और विस्फोटक बल्लेबाज एबी डीविलियर्स चैंपियंस ट्रॉफी 2017 में दक्षिण अफ्रीका टीम की कप्तानी करते हुए नजर आएंगे. डीविलियर्स ने 2006 में दक्षिण अफ्रीका की तरफ से पहली बार चैंपियंस ट्रॉफी में हिस्सा लिया था. वह अपने शुरूआती करियर में ज्यादा विस्फोटक बल्लेबाज नहीं थे. डीविलियर्स ने पहली चैंपियंस ट्रॉफी में मात्र 3 मैच खेले, जिसमें उन्होंने 36.66 के औसत से 110 रन बनाए और एक अर्धशतकीय पारी खेली थी.
यह विस्फोटक बल्लेबाज अपनी चौथी चैंपियंस ट्रॉफी खेलेगा और चाहेगा कि दक्षिण अफ्रीका टीम इस चैंपियंस ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन करके 1998 के इतिहास को दोहराए, जब दक्षिण अफ्रीका ने इस टूर्नामेंट का पहला ही खिताब अपने नाम किया था.
महेंद्र सिंह धोनी: टीम इंडिया के सबसे सफल कप्तान रहे महेंद्र सिंह धोनी ने अपना पहला आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी का मैच राहुल द्रविड़ की कप्तानी में 2006 में खेला था. धोनी ने जब 3 मैचों में एक अर्धशतक के साथ 81 रन बनाए थे, लेकिन 2013 में बतौर कप्तान उन्होंने भारत को यह खिताब दिलाने में योगदान दिया.
एमएस धोनी 10 साल बाद बतौर खिलाड़ी विराट कोहली की कप्तानी में खेलेंगे. धोनी को कप्तानी का अनुभव है और वह कोहली के साथ कप्तानी के गुर मैदान में साझा करते हुए नजर आ सकते हैं.
शोएब मालिक: पाकिस्तान टीम के सबसे अनुभवी खिलाड़ी शोएब मालिक ने भी साल 2006 में पाकिस्तान के लिए चैंपियंस ट्रॉफी में शिरकत की थी. मलिक ने 2002, 2004 में भी चैंपियंस ट्रॉफी में हिस्सा लिया था और 2006 चैंपियंस ट्रॉफी उनकी तीसरी चैंपियंस ट्रॉफी थी.
मलिक ने पाकिस्तान के लिए लगातार अच्छा क्रिकेट खेला है और बेहतरीन प्रदर्शन भी किया है. उनका अनुभव उनकी टीम के लिए फायदेमंद रहेगा. पाकिस्तान ने अभी तक चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब अपने नाम नहीं किया है और मलिक भी चाहेंगे कि चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब पाकिस्तान के नाम हो जाए, जिसके लिए वह अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देना चाहेंगे. मलिक ने 2006 चैंपियंस ट्रॉफी में 3 मैच खेले थे, जहां उन्होंने 49 के औसत से 98 रन बनाये थे.
युवराज सिंह: टीम इंडिया के सबसे अनुभवी ऑलराउंडर युवराज सिंह ने अपने शानदार प्रदर्शन से टीम में वापसी कर चुके हैं. वह भारत के लिए चैंपियंस ट्रॉफी में 2000 से खेल रहे हैं, जब चैंपियंस ट्रॉफी को नॉकआउट कप कहा जाता था. अपने पहले ही टूर्नामेंट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उन्होंने शानदार 83 रनों की पारी खेली थी.
2006 में उन्होंने केवल 2 ही मैच खेले, जिसमें उन्होंने 54 रन ही बनाए. 2009 में चोटिल होने के कारण वह चैंपियंस ट्रॉफी से बाहर हो गये थे और 2013 में खराब प्रदर्शन के कारण उनको टूर्नामेंट से बाहर कर दिया गया था.
युवराज सिंह 11 साल के बाद आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2017 में वापसी कर रहे हैं. वह वनडे में फिलहाल शानदार फॉर्म में है, इंग्लैंड के खिलाफ हुई वनडे सीरीज में उन्होंने 150 रनों की ताबड़तोड़ पारी खेल कर अपनी वापसी के संकेत दिए थे. युवराज का भारतीय टीम में होना बल्लेबाजी के साथ गेंदबाजी विभाग को भी मजबूती देता है.
शाकिब अल हसन: बांग्लादेश टीम के सबसे अनुभवी ऑलराउंडर शाकिब अल हसन ने अपना पहला चैंपियंस ट्रॉफी मैच 2006 में खेला था, उन्होंने तब भी शानदार प्रदर्शन किया था. बांग्लादेश टीम जल्द ही टूर्नामेंट से बाहर हो गई थी लेकिन शाकिब ने 3 मैचों में बल्ले के साथ 103 रन बनाए, जिसमें एक अर्धशतक भी शामिल था, साथ ही गेंदबाजी में उन्होंने 3 विकेट भी चटकाए थे.
हाल ही में बांग्लादेश आईसीसी वनडे रैंकिंग में अब तक की अपनी सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग पर पहुंची है. बांग्लादेश टीम छठे स्थान पर काबिज है. वर्ल्ड चैंपियन टीम रह चुकी पाकिस्तान, श्रीलंका और वेस्टइंडीज से बांग्लादेश आगे चल रही है. चैंपियंस ट्रॉफी में वह अपनी प्रतिभा से ज्यादा करने का विश्वास रख रहे हैं, साथ ही शाकिब जैसे अनुभवी ऑलराउंडर ख़िलाड़ी का टीम में होना उन्हें मजबूती प्रदान करता है.
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