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    Saturday, 27 May 2017

    300 करोड़ रुपये के घोटाले के बाद हड़बड़ाहट में केजरीवाल अस्पतालों के दौरे कर रह हैं: कपिल मिश्रा - arvind kejriwal kapil mishra delhi government corruption allegations

    नई दिल्ली: दिल्ली कैबिनेट के पूर्व मंत्री और केजरीवाल के खिलाफ बड़े खुलासे का दावा करने वाले कपिल मिश्रा ने अब स्वास्थ्य विभाग में तीन बड़े घोटाले का आरोप लगाया है. कपिल ने आरोप लगाया गया कि दवाओं की खरीद में 300 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया है.

    कपिल मिश्रा ने बताया कि दवाइयों और एंबुलेंस की खरीद के साथ अधिकारियों के तबादले में भी घोटाला किया गया, जो दवाएं अस्पतालों में भेजनी चाहिए थी, वो गोदामों में सड़ रही हैं. तरुण सीम को 100 करोड़ की दवाई खरीदने की छूट दी गई.

    कपिल ने केजरीवाल, तरुण सीम और सत्येंद्र जैन पर आरोप लगाते हुए कहा कि स्वास्थ्य विभाग में नियम-कानून तोड़कर 30 एमएस की नियुक्ति सत्येंद्र जैन ने की और जूनियरों को एमएस का पद दिया गया. इन मामलों में एलजी के सीधे हस्तक्षेप की जरूरत है.


    आजतक के साथ खास बातचीत में मिश्रा ने दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में दवाइयों की किल्लत के पीछे घोटाले की आशंका जताई थी. राजधानी के अस्पताल पिछले कई दिनों से इस कमी से जूझ रहे हैं. मिश्रा का कहना था कि केजरीवाल इस कमी की वजहों से अच्छी तरह वाकिफ हैं.


    मिश्रा की मानें तो उन्हें स्वास्थ्य मंत्रालय में 3 बड़े घोटालों की जानकारी मिली है. उनके मुताबिक केजरीवाल को घोटाले की पूरी जानकारी है. इसीलिए उन्होंने ना तो सत्येंद्र जैन से जवाब तलब किया है और ना ही हेल्थ सेक्रेटरी या चीफ सेक्रेटरी को इस बारे में कोई खत लिखा है. मिश्रा का कहना था कि इसी हड़बड़ाहट में केजरीवाल अस्पतालों के दौरे कर रह हैं.


    मिश्रा ने कहा कि आम आदमी पार्टी के भीतर जानबूझकर सत्येंद्र जैन के खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है ताकि केजरीवाल को आरोपों से बचाया जा सके. उनका दावा था कि सरकारी अस्पतालों में जरूरत से ज्यादा दवाइयां खरीदे जाने के बावजूद मरीजों को किल्लत महसूस हो रही है.

    कपिल ने केजरीवाल पर लगाए आरोप
    1. सत्येंद्र जैन के कहने पर अरविंद केजरीवालजी ने सारे अस्पतालों की दवाइयां खरीदने के अधिकारों को खत्म कर दिया.

    2. एक केंद्रीय खरीद एजेंसी CPA बनाई गई और ऑर्डर दिया गया कि अब से सारी दवाइयां सिर्फ CPA खरीदेगी.

    3. CPA के डायरेक्टर की कोई फाइनेंसियल पावर नहीं थी, पर 100 करोड़ की पावर दी गई.

    4. DGHS बनाया गया- डायरेक्टर जनरल हेल्थ सर्विसेज तरुण सीम को बनाया.

    5. सत्येंद्र जैन ने आर्डर किया कि आने वाले महीनों की दवाइयां एडवांस में खरीदी जाए. इसके लिए डेंगू और चिकनगुनिया का बहाना बनाया गया.

    6. तरुण सीम ने एक ईमेल लिखा सारे MS को. निर्देश दिए कि अपना अपना सारा स्टॉक शाम तक उठा लीजिये.

    7. मेल के जवाब में डायरेक्टर ने जवाब दिया कि ये दवाइयां अस्पतालों की जरूरत के हिसाब से नहीं बल्कि मंत्री सत्येंद्र जैन के कहने पर ली गई.

    8. अस्पतालों ने दवाई नही उठायी क्योंकि न जरूरत थी न जगह.

    9. सितंबर में क्रय प्रणाली पूरी तरह से ढह गई.

    10. स्टॉक में दवाइयां है, गोदाम में खराब हो गई, नई खरीदने की स्थिति नहीं.

    11. आज की तारीख में कोई क्रय प्रणाली नहीं.

    12. अस्पतालों के बजट वापस लिया जा चुका है.

    कपिल मिश्रा के सवाल
    1. सत्येंद्र जैन ने खुद कहा कि 6 महीने का स्टॉक है. समान कहां गया?

    2. अस्पतालों की दवाई खरीदने की पावर खत्म की गई?

    3. अरविंद केजरीवाल ने हेल्थ मिनिस्टर या हेल्थ सेक्रेटरी जो कि उस दिन साथ खड़े थे उनसे सवाल क्यों नहीं किया, चीफ सेक्रटरी को क्यों लिखा?

    4. देश मे सबसे ज्यादा हेल्थ बजट होने के बावजूद दवाइयां खत्म होने का जिम्मेदार कौन?

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