लखनऊ: बाबरी विध्वंस केस में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती जैसे नेताओं पर आरोप तय होने के महज 24 घंटे बाद बुधवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अयोध्या के दौरे पर पहुंचे हैं. करीब दो महीने पहले मुख्यमंत्री बनने के बाद सीएम योगी का यह पहला अयोध्या दौरा है. वहां पहुंचने के बाद सबसे पहले उन्होंने हनुमानगढ़ी के दर्शन किए और पूजा-अर्चना की. इसके बाद वह रामलला के दर्शन करने गए. वहां से सरयू नदी के तट पर आचमन के लिए गए और वहां घाटों का निरीक्षण किया.
वैसे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद उनका अयोध्या जाना तय था लेकिन बाबरी विध्वंस केस में बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं पर आरोप तय होने के तत्काल बाद वहां अचानक जाने के फैसले के सियासी निहितार्थ निकाले जा रहे हैं. यह इसलिए भी अहम है क्योंकि कोर्ट में सुनवाई के लिए हाजिर होने के लिए पहुंचे बीजेपी के इन वरिष्ठ नेताओं से सीएम योगी आदित्यनाथ ने मुलाकात भी की थी. दरअसल जानकारों के मुताबिक सीएम योगी की इस यात्रा के जरिये ऐसा लगता है कि बीजेपी यह संदेश देना चाहती है कि राम मंदिर का मुद्दा उसके लिए अभी भी अहम है और वह उसके एजेंडे में शामिल है. वजह चाहे जो भी हो लेकिन इस यात्रा की टाइमिंग ने सियासी खलबली जरूर मचा दी है.
15 सालों में पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री के अयोध्या दौरे को देखते हुए फैजाबाद जिले में जबरदस्त सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं. इससे पहले 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह अयोध्या गए थे. सीएम योगी तकरीबन नौ घंटे अयोध्या में रहेंगे और वह डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में पार्टी के पदाधिकारियों से विचार-विमर्श भी करेंगे. इसके अलावा प्रशासनिक अधिकारियों संग समीक्षा बैठक करेंगे और शाम को महंत नृत्य गोपालदास के जन्मोत्सव कार्यक्रम में शामिल होंगे. वैसे पार्टी की तरफ से यह कहा जा रहा है कि महंत नृत्य गोपालदास के जन्मोत्सव कार्यक्रम में उनको पहले ही आमंत्रित किया गया था और उनका वहां जाने का पहले से ही कार्यक्रम था. इसलिए इस दौरे के सियासी निहितार्थ नहीं निकाले जाने चाहिए क्योंकि यह महज इत्तेफाक है कि बाबरी केस की सुनवाई के अगले ही दिन महंत नृत्य गोपालदास का जन्मदिन पड़ गया.
वैसे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद उनका अयोध्या जाना तय था लेकिन बाबरी विध्वंस केस में बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं पर आरोप तय होने के तत्काल बाद वहां अचानक जाने के फैसले के सियासी निहितार्थ निकाले जा रहे हैं. यह इसलिए भी अहम है क्योंकि कोर्ट में सुनवाई के लिए हाजिर होने के लिए पहुंचे बीजेपी के इन वरिष्ठ नेताओं से सीएम योगी आदित्यनाथ ने मुलाकात भी की थी. दरअसल जानकारों के मुताबिक सीएम योगी की इस यात्रा के जरिये ऐसा लगता है कि बीजेपी यह संदेश देना चाहती है कि राम मंदिर का मुद्दा उसके लिए अभी भी अहम है और वह उसके एजेंडे में शामिल है. वजह चाहे जो भी हो लेकिन इस यात्रा की टाइमिंग ने सियासी खलबली जरूर मचा दी है.
15 सालों में पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री के अयोध्या दौरे को देखते हुए फैजाबाद जिले में जबरदस्त सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं. इससे पहले 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह अयोध्या गए थे. सीएम योगी तकरीबन नौ घंटे अयोध्या में रहेंगे और वह डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में पार्टी के पदाधिकारियों से विचार-विमर्श भी करेंगे. इसके अलावा प्रशासनिक अधिकारियों संग समीक्षा बैठक करेंगे और शाम को महंत नृत्य गोपालदास के जन्मोत्सव कार्यक्रम में शामिल होंगे. वैसे पार्टी की तरफ से यह कहा जा रहा है कि महंत नृत्य गोपालदास के जन्मोत्सव कार्यक्रम में उनको पहले ही आमंत्रित किया गया था और उनका वहां जाने का पहले से ही कार्यक्रम था. इसलिए इस दौरे के सियासी निहितार्थ नहीं निकाले जाने चाहिए क्योंकि यह महज इत्तेफाक है कि बाबरी केस की सुनवाई के अगले ही दिन महंत नृत्य गोपालदास का जन्मदिन पड़ गया.
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