नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने देश में गो रक्षा के लिए एक बड़ा कदम उठाया है. पर्यावरण मंत्री हर्षवर्धन ने शुक्रवार को कहा कि अब देश के अंदर किसी भी पशु बाजार में कत्लखानों के लिए मवेशियों की खरीद या बिक्री पर रोक लगा दी गई है.
पर्यावरण मंत्रालय ने द प्रीवेंशन ऑफ क्रुएलिटी टु एनिमल्स (रेगुलेशन ऑफ लाइवस्टॉक मार्केट्स) नियम 2017 को नोटिफाई कर दिय़ा है. इस नोटिफ़िकेशन का मक़सद मवेशी बाजार में जानवरों की खरीद- बिक्री को रेगुलेट करने के साथ मवेशियों के खिलाफ क्रूरता रोकना है. इस नोटिफ़िकेशन के बाद नियमों के मुताबिक मवेशी को बाजार में खरीदने या बेचने लाने वाले को ये सुनिश्चित करना होगा कि मवेशी को बाजार में कत्ल के मकसद से खरीदने या बेचने के लिए नहीं लाया गया है.
इसके लिए खरीदने और बेचने वाले दोनों को एनिमल मार्केट कमिटी के मेंबर सेक्रेटरी को एक अंडरटेकिंग देना पड़ेगा. बिना राज्य मवेशी संरक्षण कानून की मंजूरी के खरीदार मवेशी को राज्य के बाहर भी नहीं बेच सकेगा.
पर्यावरण मंत्री हर्षवर्धन का कहना हैं कि गाय, सांड़, भैंस, बैल, बछड़े, ऊंट जैसे जानवर इस कैटेगरी में आते हैं. हालांकि ये नियम बाजार के लिए हैं और मवेशियों की व्यक्तिगत तौर पर खरीद- बिक्री को इसमें स्पष्ट नहीं किया गया है. बूचड़खानों के लिए 50 से 60 फीसदी जानवर इन्ही मवेशी बाजारों से आते हैं. लिहाजा नोटिफ़िकेशन के बाद मीट के व्यापार पर इस असर पड़ेगा.
इस नोटिफ़िकेशन में बाजार की परिभाषा को साफ करते हुए बताया गया कि जहां अलग-अलग जगहों से जानवर बेचने या नीलामी के लिए लाए जाते हैं. जिला स्तर पर एक डिस्ट्रिक्ट एनिमल मार्केट मॉनिटरिंग कमिटी बनेगी. इसके अलावा स्थानीय स्तर पर एनिमल मार्केट कमेटी बनेगी. नोटिफ़िकेशन में साफ़-साफ़ कहा गया है कि खरीदने वाले को ये भी सुनिश्चित करना होगा कि वो मवेशी को खेती के उद्देश्य से ले जा रहा है. खरीदार को ये घोषणापत्र देना होगा कि वह 6 महीने तक मवेशी को नहीं बेचेगा. अब से मवेशी की धार्मिक उद्देश्य से बलि भी नहीं दी जा सकेगी.
मोदी सरकार ने तीन साल पूरे होते ही गो हत्या को रोकने के लिए क़दम उठाने शुरू कर दिए हैं, मतलब साफ़ है कि मोदी सरकार विकास ही नहीं, बल्कि विचारधारा पर भी काम करते हुए दिखना जरूरी समझती है.
पर्यावरण मंत्रालय ने द प्रीवेंशन ऑफ क्रुएलिटी टु एनिमल्स (रेगुलेशन ऑफ लाइवस्टॉक मार्केट्स) नियम 2017 को नोटिफाई कर दिय़ा है. इस नोटिफ़िकेशन का मक़सद मवेशी बाजार में जानवरों की खरीद- बिक्री को रेगुलेट करने के साथ मवेशियों के खिलाफ क्रूरता रोकना है. इस नोटिफ़िकेशन के बाद नियमों के मुताबिक मवेशी को बाजार में खरीदने या बेचने लाने वाले को ये सुनिश्चित करना होगा कि मवेशी को बाजार में कत्ल के मकसद से खरीदने या बेचने के लिए नहीं लाया गया है.
इसके लिए खरीदने और बेचने वाले दोनों को एनिमल मार्केट कमिटी के मेंबर सेक्रेटरी को एक अंडरटेकिंग देना पड़ेगा. बिना राज्य मवेशी संरक्षण कानून की मंजूरी के खरीदार मवेशी को राज्य के बाहर भी नहीं बेच सकेगा.
पर्यावरण मंत्री हर्षवर्धन का कहना हैं कि गाय, सांड़, भैंस, बैल, बछड़े, ऊंट जैसे जानवर इस कैटेगरी में आते हैं. हालांकि ये नियम बाजार के लिए हैं और मवेशियों की व्यक्तिगत तौर पर खरीद- बिक्री को इसमें स्पष्ट नहीं किया गया है. बूचड़खानों के लिए 50 से 60 फीसदी जानवर इन्ही मवेशी बाजारों से आते हैं. लिहाजा नोटिफ़िकेशन के बाद मीट के व्यापार पर इस असर पड़ेगा.
इस नोटिफ़िकेशन में बाजार की परिभाषा को साफ करते हुए बताया गया कि जहां अलग-अलग जगहों से जानवर बेचने या नीलामी के लिए लाए जाते हैं. जिला स्तर पर एक डिस्ट्रिक्ट एनिमल मार्केट मॉनिटरिंग कमिटी बनेगी. इसके अलावा स्थानीय स्तर पर एनिमल मार्केट कमेटी बनेगी. नोटिफ़िकेशन में साफ़-साफ़ कहा गया है कि खरीदने वाले को ये भी सुनिश्चित करना होगा कि वो मवेशी को खेती के उद्देश्य से ले जा रहा है. खरीदार को ये घोषणापत्र देना होगा कि वह 6 महीने तक मवेशी को नहीं बेचेगा. अब से मवेशी की धार्मिक उद्देश्य से बलि भी नहीं दी जा सकेगी.
मोदी सरकार ने तीन साल पूरे होते ही गो हत्या को रोकने के लिए क़दम उठाने शुरू कर दिए हैं, मतलब साफ़ है कि मोदी सरकार विकास ही नहीं, बल्कि विचारधारा पर भी काम करते हुए दिखना जरूरी समझती है.
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