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    Friday 26 May 2017

    सचिन तेंदुलकर के क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर बनने की कहानी है 'सचिन ए बिलियन ड्रीम्‍स' - movie review: sachin a billion dreams

    फिल्‍म: 'सचिन ए बिलियन ड्रीम्‍स'
    कास्‍ट : सचिन तेंदुलकर, अंजलि तेंदुलकर, सारा तेंदुलकर, अर्जुन तेंदुलकर, मयूरेश पेम, एम एस धोनी, विरेंद्र सहवाग
    डायरेक्‍टर : जेम्‍स अर्सकाइन
    रेटिंग : 4 स्‍टार

    क्रिकेट के दीवानों के लिए आज का शुक्रवार काफी खास है क्‍योंकि 'क्रिकेट के भगवान' यानी सचिन तेंदुलकर के जीवन से जुड़े कई पहलुओं से आज पर्दा उठ चुका है. आज रिलीज हुई फिल्‍म 'सचिन ए बिलियन ड्रीम्‍स' सचिन तेंदुलकर के क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर बनने की कहानी है. लेकिन आपको बता दें कि यह फिल्‍म 'भाग मिल्‍खा भाग' या 'एम एस धोनी: द अनटोल्‍ड स्‍टोरी' जैसी फीचर फिल्‍म नहीं है, बल्कि ये एक डॉक्यू-ड्रामा है. यानी इस फिल्‍म के कुछ हिस्से, जिनकी असल फुटेज उपलब्‍ध नहीं थी, सिर्फ उन्‍हीं दृश्‍यों का नाट्य रूपांतरण किया गया है, जैसे सचिन का बचपन दिखाने के लिए. इसके अलावा पूरी फिल्‍म इंटरव्‍यूज, घर पर बनाए गए वीडियो, तस्वीरों और प्रसारित क्रिकेट मैचों की फुटेज के सहारे आगे बढ़ती है. लेकिन इसके बाद भी इसमें एक बेहतरीन फीचर फिल्‍म वाली अपील है और एक अच्छी फिल्‍म के गुण हैं.

    भले ही आप क्रिकेट या सचिन के बहुत बड़े प्रशंसक न हों, इसके बावजूद पूरी फिल्‍म में आपकी उत्‍सुकता बनी रहेगी. इस फिल्‍म में बहुत कुछ ऐसा है जो न सिर्फ एक क्रिकेट फैन बल्कि एक नॉन क्रिकेट फैन भी जानना चाहेगा. जैसे सचिन जब जल्दी आउट हुए तो उन्होंने क्या सोचा, पाकिस्तानी टीम ने उन्हें पहली बार देखा तो क्या बोला, शेन वॉर्न की गेंदों का सामना करने के लिए उन्होंने क्या तैयारी की या फिर उनकी पत्नी अंजलि और उनके बीच किस तरह हुई प्‍यार की शुरुआत. यानी इस फिल्‍म में बहुत से ऐसे अनछुए पहलू और किस्‍से हैं जो आपको शायद न मालूम हो.



    'सचिन: ए बिलियन ड्रीम्‍स' के निर्देशक जेम्‍स अर्सकाइन हैं और इसे जेम्‍स अर्सकाइन व शिवकुमार अनंत ने लिखा है. इस फिल्‍म को संगीत, म्‍यूजिक मास्‍टर ए आर रहमान ने दिया है. इस फिल्‍म की खामियों की बात करें तो इसमें सिर्फ दो जगह इसके स्क्रीनप्ले में छोटी-छोटी खामियां लगीं क्योंकि दो जगह सचिन की कहानी धाराप्रवाह चलते-चलते झटके के साथ कहीं और चली जाती है. एक जगह जहां सचिन अपनी और टीम की बल्‍लेबाजी सुधारने की बात करते हैं और दूसरी जगह उनके कप्तान बनने पर टीम में जब असंतुष्टि की बात होती है. इसके अलावा बड़ी खूबसूरती से यह फिल्‍म आगे बढ़ती है. यह भले ही फीचर फिल्‍म न हो लेकिन यह आपका मनोरंजन भी करती है, आपकी आंखें नम भी करती है और आपको तालियां बजाने पर मजबूर भी करती है.



    इस फिल्‍म की एक और खास बात ये है कि यह फिल्‍म सचिन के जीवन के साथ-साथ हिंदुस्तान के बदलते सामाजिक ढांचे पर भी रोशनी डालती है और बताती है कि निराशाजनक माहौल में किस तरह सचिन एक ताजा हवा का झोंका बन कर आए. ये फिल्‍म सचिन और फिल्‍मकार का बड़ा ही स्मार्ट कदम है और बतौर समीक्षक भी मैं इसकी तारीफ करना चाहूंगा क्योंकि बायोपिक के चलन के बाद भी फिल्‍मकार और सचिन ने डॉक्यू-ड्रामा बनाने का निर्णय लिया. शायद उन्हें इसका अंदाजा था कि फीचर फिल्‍म के चलते शायद उन्हें थोड़ा बहुत ड्रामा भी फिल्‍म में डालना पड़ता जिसकी वजह से विषय की सत्यता को खतरा हो सकता था, जैसा कि अक्सर बायोपिक में होता है.

    बस यही कहेंगे, आप क्रिकेट फैन हैं या नहीं पर आपको यह फिल्‍म जरूर देखनी चाहिए. हालांकि इस फिल्‍म को रेटिंग के पैमाने पर मुझे नहीं तोलना चाहिए पर फिर भी आपकी सहूलियत के लिए, ताकि आपको अंदाजा हो जाए कि किस स्तर की फिल्‍म है, मैं इसे देता हूं 4 स्‍टार.
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    Item Reviewed: सचिन तेंदुलकर के क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर बनने की कहानी है 'सचिन ए बिलियन ड्रीम्‍स' - movie review: sachin a billion dreams Rating: 5 Reviewed By: Sonali
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