दिल्ली यूनिवर्सिटी के लेडी श्रीराम कॉलेज में अंग्रेजी ऑनर्स की प्रथम वर्ष की छात्रा गुरमेहर कौर को लेकर पिछले 5 दिन से सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी हुई है. गुरमेहर के वीडियो, ट्वीट और फिर उसे मिली धमकी को लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. गुरमेहर के दादा कवंलजीत सिंह ने पूरे प्रकरण पर दुख का इजहार किया है.
मेरी पोती ने ऐसी कोई बात तो नहीं की जो देश के खिलाफ हो. उसने यही कहा ना कैम्पस में फाइट नहीं होनी चाहिए. और इस पर क्या क्या नहीं बोल दिया गया हो. पोती मेरी सिर्फ 21 साल की है और ये लोग क्या क्या बहस कर रहे हैं. एक MP ने फिर एक मंत्री (किरन रिजिजू) ने भी बोल दिया है कि ये देशद्रोह का काम है, कौन उसके दिमाग में जहर भर रहा है आदि आदि. मुझे कोई चिंता नहीं है. क्या कर लेंगे ये? मेरा बेटा चला गया. ज्यादा से ज्यादा ये उसे (पोती) मार ही डालेंगे ना. किसी की जिंदगी छीन लेना, लाइफ का कोई ऑब्जेक्ट नहीं होना चाहिए. चाहे वो ABVP हो या कोई और. सुनो तो सही मेरी पोती क्या कह रही है.
मेरा बेटा कैप्टन मंदीप हैरी करगिल युद्ध के दौरान 6 अगस्त 1999 को 26 दुश्मनों को मार कर शहीद हुआ. ये देख लो कि इनाम में क्या दिया. सरकार उस वक्त भी इन्हीं की थी, बीजेपी की. लेकिन जो कुछ भी हुआ वो सब जानते हैं. इन्होंने हम लोगों, माता-पिता को आई-कार्ड तक नहीं दिए. अब भी सरकार इन्हीं की है. कॉलेजों को लड़ाइयों का अखाड़ा नहीं बनने देना चाहिए. ना ही छात्रों को राजनीति का मोहरा बनाना चाहिए. कॉलेजों में इस तरह का माहौल सही नहीं है.
दोनों मुल्क राजनीति कर रहे हैं. पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को सुलझाना नहीं चाहता, राजनीतिक कारणों से इसे हवा देता रहता है. भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक किया. उसके बाद भी हमारे कई जवान शहीद हो चुके हैं. नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने से पहले जो कहा था कि 1 के बदले 10 सिर लाएंगे उसका क्या हुआ. आपको बता दे कि गुरमेहर कौर के पिता कैप्टन मनदीप करगिल के शहीद नहीं थे. वे आतंकवादियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए थे लेकिन करगिल की जंग में नहीं. हालांकि, गुरमेहर ने पिछले साल पोस्ट किए गए प्ले कार्ड्स वीडियो में दावा किया था कि उनके पिता की जान करगिल जंग के दौरान गई थी, जबकि आर्मी रिकॉर्ड कुछ और बताते हैं.
मेरी पोती ने ऐसी कोई बात तो नहीं की जो देश के खिलाफ हो. उसने यही कहा ना कैम्पस में फाइट नहीं होनी चाहिए. और इस पर क्या क्या नहीं बोल दिया गया हो. पोती मेरी सिर्फ 21 साल की है और ये लोग क्या क्या बहस कर रहे हैं. एक MP ने फिर एक मंत्री (किरन रिजिजू) ने भी बोल दिया है कि ये देशद्रोह का काम है, कौन उसके दिमाग में जहर भर रहा है आदि आदि. मुझे कोई चिंता नहीं है. क्या कर लेंगे ये? मेरा बेटा चला गया. ज्यादा से ज्यादा ये उसे (पोती) मार ही डालेंगे ना. किसी की जिंदगी छीन लेना, लाइफ का कोई ऑब्जेक्ट नहीं होना चाहिए. चाहे वो ABVP हो या कोई और. सुनो तो सही मेरी पोती क्या कह रही है.
मेरा बेटा कैप्टन मंदीप हैरी करगिल युद्ध के दौरान 6 अगस्त 1999 को 26 दुश्मनों को मार कर शहीद हुआ. ये देख लो कि इनाम में क्या दिया. सरकार उस वक्त भी इन्हीं की थी, बीजेपी की. लेकिन जो कुछ भी हुआ वो सब जानते हैं. इन्होंने हम लोगों, माता-पिता को आई-कार्ड तक नहीं दिए. अब भी सरकार इन्हीं की है. कॉलेजों को लड़ाइयों का अखाड़ा नहीं बनने देना चाहिए. ना ही छात्रों को राजनीति का मोहरा बनाना चाहिए. कॉलेजों में इस तरह का माहौल सही नहीं है.
दोनों मुल्क राजनीति कर रहे हैं. पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को सुलझाना नहीं चाहता, राजनीतिक कारणों से इसे हवा देता रहता है. भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक किया. उसके बाद भी हमारे कई जवान शहीद हो चुके हैं. नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने से पहले जो कहा था कि 1 के बदले 10 सिर लाएंगे उसका क्या हुआ. आपको बता दे कि गुरमेहर कौर के पिता कैप्टन मनदीप करगिल के शहीद नहीं थे. वे आतंकवादियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए थे लेकिन करगिल की जंग में नहीं. हालांकि, गुरमेहर ने पिछले साल पोस्ट किए गए प्ले कार्ड्स वीडियो में दावा किया था कि उनके पिता की जान करगिल जंग के दौरान गई थी, जबकि आर्मी रिकॉर्ड कुछ और बताते हैं.
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