प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 'मन की बात' कार्यक्रम में जब स्वच्छता के मुद्दे पर बात करते हुए ट्विन पिट टॉयलेट का जिक्र किया और बताया कि कैसे एक आईएएस अफसर खुद इसे प्रमोट करने के लिए गटर में उतरा और सफाई में जुटा तो सोशल मीडिया पर आईएएस परम लैयर की तस्वीर वायरल हो गई. इस तस्वीर में लैयर एक ट्विट पिट टॉयलेट की सफाई करते नजर आ रहे हैं. तस्वीर खुद लैयर ने 18 फरवरी को ट्वीट की थी और कहा था कि गंगादेवीपल्ली गांव में उन्होंने बताया कि कैसे ट्विट पिट टॉयलेट की सफाई करना सुरक्षित और स्वच्छ काम है.
गौरतलब है कि मन की बात में पीएम ने कहा कि 17-18 फरवरी को हैदराबाद में टॉयलेट पिट एंपटिंग एक्सरसाइज का आयोजन किया गया. इसमें छह घर के टॉयलेट पिट ख़ाली करके उनकी सफ़ाई की गई और अधिकारियों ने स्वयं ने दिखाया कि ट्विन पिट टॉयलेट के उपयोग हो चुके गड्ढों को, उसे ख़ाली कर पुनः प्रयोग में लाया जा सकता है. उन्होंने यह भी दिखाया कि यह नई तकनीक के शौचालय कितने सुविधाजनक हैं और इन्हें ख़ाली करने में सफ़ाई को लेकर कोई असुविधा महसूस नहीं होती है, कोई संकोच नहीं होता है, जो मानसिकता होती है, वो भी आड़े नहीं आती है और हम भी और सामान्य सफ़ाई करते हैं, वैसे ही एक टॉयलेट के गड्ढे साफ़ कर सकते हैं.
मोदी ने कहा कि इस प्रयास का परिणाम हुआ, देश के मीडिया ने इसको बहुत प्रचारित भी किया, उसको महत्व भी दिया. और स्वाभाविक है, जब एक IAS अफ़सर खुद टॉयलेट के गड्ढे की सफ़ाई करता हो, तो देश का ध्यान जाना बहुत स्वाभाविक है. और ये जो टॉयलेट पिट की सफ़ाई है और उसमें से जो जिसे आप-हम कूड़ा-कचरा मानते हैं, लेकिन खाद की दृष्टि से देखें, तो ये एक प्रकार से ये काला सोना होता है. वेस्ट से वैल्थ क्या होती है, ये हम देख सकते हैं, और ये सिद्ध हो चुका है.
मोदी ने बताया कि छह सदस्यीय परिवार के लिये एक सामान्य ट्विट पिट टॉयलेट लगभग पांच वर्ष में भर जाता है. इसके बाद कचरे को आसानी से दूर कर, दूसरे पिट में रिडायरेक्ट किया जा सकता है. छह-बारह महीनों में पिट में जमा कचरा पूरी तरह से डीकंपोज हो जाता है. ये कचरा हैंडल करने में बहुत ही सुरक्षित होता है और खाद की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण खाद ‘NPK’. किसान भली-भांति ‘NPK’ से परिचित हैं, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम - ये पोषक तत्वों से पूर्ण होता है; और यह कृषि क्षेत्र में बहुत ही उत्तम खाद माना जाता है.
गौरतलब है कि मन की बात में पीएम ने कहा कि 17-18 फरवरी को हैदराबाद में टॉयलेट पिट एंपटिंग एक्सरसाइज का आयोजन किया गया. इसमें छह घर के टॉयलेट पिट ख़ाली करके उनकी सफ़ाई की गई और अधिकारियों ने स्वयं ने दिखाया कि ट्विन पिट टॉयलेट के उपयोग हो चुके गड्ढों को, उसे ख़ाली कर पुनः प्रयोग में लाया जा सकता है. उन्होंने यह भी दिखाया कि यह नई तकनीक के शौचालय कितने सुविधाजनक हैं और इन्हें ख़ाली करने में सफ़ाई को लेकर कोई असुविधा महसूस नहीं होती है, कोई संकोच नहीं होता है, जो मानसिकता होती है, वो भी आड़े नहीं आती है और हम भी और सामान्य सफ़ाई करते हैं, वैसे ही एक टॉयलेट के गड्ढे साफ़ कर सकते हैं.
मोदी ने कहा कि इस प्रयास का परिणाम हुआ, देश के मीडिया ने इसको बहुत प्रचारित भी किया, उसको महत्व भी दिया. और स्वाभाविक है, जब एक IAS अफ़सर खुद टॉयलेट के गड्ढे की सफ़ाई करता हो, तो देश का ध्यान जाना बहुत स्वाभाविक है. और ये जो टॉयलेट पिट की सफ़ाई है और उसमें से जो जिसे आप-हम कूड़ा-कचरा मानते हैं, लेकिन खाद की दृष्टि से देखें, तो ये एक प्रकार से ये काला सोना होता है. वेस्ट से वैल्थ क्या होती है, ये हम देख सकते हैं, और ये सिद्ध हो चुका है.
मोदी ने बताया कि छह सदस्यीय परिवार के लिये एक सामान्य ट्विट पिट टॉयलेट लगभग पांच वर्ष में भर जाता है. इसके बाद कचरे को आसानी से दूर कर, दूसरे पिट में रिडायरेक्ट किया जा सकता है. छह-बारह महीनों में पिट में जमा कचरा पूरी तरह से डीकंपोज हो जाता है. ये कचरा हैंडल करने में बहुत ही सुरक्षित होता है और खाद की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण खाद ‘NPK’. किसान भली-भांति ‘NPK’ से परिचित हैं, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम - ये पोषक तत्वों से पूर्ण होता है; और यह कृषि क्षेत्र में बहुत ही उत्तम खाद माना जाता है.
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