हैदराबाद: मैं आपसे सवाल करूं कि क्या आपने कभी एमआरपी से ज्यादा कीमत देकर पीने के पानी की बोतल खरीदी है, तो शायद सभी का जवाब 'हां' ही होगा. हम सब ने कभी न कभी रेलवे स्टेशन से लेकर रेस्टोरेंट में पानी के बोतल की तय कीमत से ज्यादा पैसे चुकाए होंगे. यह जानते हुए भी की दुकानदार या वेंडर हमसे ज्यादा पैसे ले रहा है, हमने शायद ही कभी इसपर एक्शन लिया होगा. कुछ लोग थोड़ा बहुत विरोध जताकर इसे भूल जाते हैं. हैदराबाद के रेस्टोरेंट में पानी के बोतल की कीमत एमआरपी से ज्यादा वसूलने पर एक शख्स इतना बुरा लगा कि वह न्याय के लिए कोर्ट पहुंच गया. कोर्ट ने इस मामले में सजा के रूप में रेस्टोरेंट पर 2000 रुपए का जुर्माना लगाया है, जो उस शख्स को ही दिया जाएगा.
आंध्रप्रदेश के प्रकाशम जिले में रहने वाले सीएच कोंडैयाह 27 जुलाई 2015 को हैदराबाद के बंजारा हिल्स स्थित सरवी फूड कोर्ट होटल में लंच के लिए गए थे. यहां उनसे पानी के बोतल की दोगुनी कीमत मांगी गई. पानी के बोतल पर एमआरपी 20 रुपए था, लेकिन होटल ने उनसे 40 रुपए की मांग की. सीएच कोंडैयाह ने इसका विरोध किया तो होटल के कर्मचारी ने कहा कि ये सामान्य बात है, वे सभी ग्राहकों से ज्यादा पैसे वसूलते हैं.
ये बात कोंडैयाह को इतनी बुरी लगी की उन्होंने सरवी फोर्ट होटल के खिलाफ जिला फोरम में पहुंच गए. मामले की सुनवाई के दौरान सरवी फूड कोर्ट ने दलील दी कि आतिथ्य कानून के सिद्धांतों के लेखक एलन पन्नेट और मिचेल जॉन बोएले के मुताबिक कोई भी ग्राहक मेनू में उल्लेख भुगतान करने के लिए बाध्य है और ग्राहक इसकी शिकायत नहीं कर सकता कि उससे अधिक दाम वसूले गए हैं.
होटल की ओर से ये भी कहा गया कि याचिकाकर्ता कोंडैयाह ने उनके होटल के माहौल का आनंद लिया था और अब वो वह किसी भी निवारण का दावा करने के हकदार नहीं है। मामला बढ़ने पर होटल प्रशासन ने साबित करने की कोशिश की कि कोंडैयाह उस तारीख को लंच करने के लिए आए ही नहीं थे. उनका आरोप था कि कोंडैयाह ने नकली बिल बनाकर होटल को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं.
जिला फोरम की ओर से कराए गए जांच में साबित हो गया कि कोंडैयाह 27 जुलाई 2015 को सरवी फूड कोर्ट में खाना खाने गए थे. इसके बाद फोरम ने फैसला सुनाया कि होटल खुद के बनाए किसी भी खाद्य पदार्थ की कीमत तय करने और मेनू कार्ड बनाए रखने के लिए हकदार है, लेकिन डिब्बा बंद खाद्य पदार्थों और पानी की बोतल या सॉफ्ट ड्रिंक की तय कीमत से ज्यादा पैसे वसूलने का अधिकार नहीं है.
इसके अलावा फोरम ने होटल सरवी फूड कोर्ट को लीगल मेट्रोलोजी नियम 2011 के उल्लंघन को दोषी पाया. सजा के तौर पर 2000 रुपए का जुर्माना लगाया. जुर्माने की रकम कोंडैयाह को क्षतिपूर्ति के रूप में मिली.
आंध्रप्रदेश के प्रकाशम जिले में रहने वाले सीएच कोंडैयाह 27 जुलाई 2015 को हैदराबाद के बंजारा हिल्स स्थित सरवी फूड कोर्ट होटल में लंच के लिए गए थे. यहां उनसे पानी के बोतल की दोगुनी कीमत मांगी गई. पानी के बोतल पर एमआरपी 20 रुपए था, लेकिन होटल ने उनसे 40 रुपए की मांग की. सीएच कोंडैयाह ने इसका विरोध किया तो होटल के कर्मचारी ने कहा कि ये सामान्य बात है, वे सभी ग्राहकों से ज्यादा पैसे वसूलते हैं.
ये बात कोंडैयाह को इतनी बुरी लगी की उन्होंने सरवी फोर्ट होटल के खिलाफ जिला फोरम में पहुंच गए. मामले की सुनवाई के दौरान सरवी फूड कोर्ट ने दलील दी कि आतिथ्य कानून के सिद्धांतों के लेखक एलन पन्नेट और मिचेल जॉन बोएले के मुताबिक कोई भी ग्राहक मेनू में उल्लेख भुगतान करने के लिए बाध्य है और ग्राहक इसकी शिकायत नहीं कर सकता कि उससे अधिक दाम वसूले गए हैं.
होटल की ओर से ये भी कहा गया कि याचिकाकर्ता कोंडैयाह ने उनके होटल के माहौल का आनंद लिया था और अब वो वह किसी भी निवारण का दावा करने के हकदार नहीं है। मामला बढ़ने पर होटल प्रशासन ने साबित करने की कोशिश की कि कोंडैयाह उस तारीख को लंच करने के लिए आए ही नहीं थे. उनका आरोप था कि कोंडैयाह ने नकली बिल बनाकर होटल को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं.
जिला फोरम की ओर से कराए गए जांच में साबित हो गया कि कोंडैयाह 27 जुलाई 2015 को सरवी फूड कोर्ट में खाना खाने गए थे. इसके बाद फोरम ने फैसला सुनाया कि होटल खुद के बनाए किसी भी खाद्य पदार्थ की कीमत तय करने और मेनू कार्ड बनाए रखने के लिए हकदार है, लेकिन डिब्बा बंद खाद्य पदार्थों और पानी की बोतल या सॉफ्ट ड्रिंक की तय कीमत से ज्यादा पैसे वसूलने का अधिकार नहीं है.
इसके अलावा फोरम ने होटल सरवी फूड कोर्ट को लीगल मेट्रोलोजी नियम 2011 के उल्लंघन को दोषी पाया. सजा के तौर पर 2000 रुपए का जुर्माना लगाया. जुर्माने की रकम कोंडैयाह को क्षतिपूर्ति के रूप में मिली.
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