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    Thursday 16 February 2017

    गूगल, याहू और माइक्रोसॉफ्ट को भारतीय कानून की कोई कद्र नहीं है : सुप्रीम कोर्ट - Google, microsoft and yahoo does not follow indian law

    सुप्रीम कोर्ट ने दुनिया की बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों- गूगल, याहू और माइक्रोसॉफ्ट को लिंग परीक्षण के एक मामले में फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में यह पाया है कि इन तीनों कंपनियों को भारतीय कानून की कोई कद्र नहीं है. कोर्ट ने लिंग परीक्षण से जुड़े कंटेंट को बैन करने के लिए इन कंपनियों से एक इंटर्नल एक्सपर्ट पैनल बनाने का भी निर्देश दिया है, जो गर्भ में पल रहे बच्चे के लिंग जांच से जुड़े आपत्तिजनक शब्दों की पहचान करके, उससे जुड़ी चीज़ें दिखाने से रोके.

    कोर्ट ने दूसरे देशों में ऐसे ही कंटेंट बैन होने का उदाहरण देते हुए गूगल, याहू और माइक्रोसॉफ्ट को भारतीय कानून के प्रति उत्तरदायी होने की बात कही है. कोर्ट का कहना है कि जब दूसरे देशों में ये कंटेंट बैन है तो भारत से क्यों नहीं हो सकता.

    एक पिटिशन की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने तीनों कंपनियों से कहा, ‘आप किसी देश के कानून का उल्लंघन नहीं कर सकते. भारतीय कानून के प्रति आपको उत्तरदायी होनो होगा'. कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद सभी कंपनियों के वकीलों ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि वो हर हाल में भारतीय कानून का सम्मान और पालन करते रहेंगे.  गूगल की ओर से पेश वकील ने कहा कि हम पहले ही काफी आपत्तिजनक सामग्री हटा चुके हैं. हालांकि गूगल के इस दावे पर आपत्ति जाहिर करते हुए सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने कोर्ट में अपने मोबाइल पर गूगल के इस दावे को झुठलाते हुए कुछ शब्द डाल कर सर्च रिजल्ट कोर्ट को दिखाया और कहा कि अभी तक गूगल और अन्य कंपनियां ने कुछ भी ठोस नहीं किया है.

    सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से नोडल एजेंसी के बारे में लोगों को बताने को कहा है ताकि लोग इसके बारे में जान सकें और सीधे नोडल एजेंसी तक आ सकें. अब इस मामले की अगली सुनवाई 11 अप्रैल को होगी. इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट तीनों इन्टरनेट कंपनियों को कई बार फटकार लगा चूका है और आपत्तिजनक सामग्री को हटाने का निर्देश दे चूका है.

    पिछले साल दो जजों की एक बेंच ने भी गूगल इंडिया, याहू इंडिया और माइक्रोसॉफ्ट कॉर्प इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को लिंग परीक्षण से जुड़े कंटेंट्स को शिकायत को 36 घंटे के भीतर हटाने का निर्देश दिया था. मार्च 2015 में कोर्ट ने इन तीनों कंपनियों को निर्देश दिया था कि प्री कॉन्सेप्शन और प्री नैटल डाइगनोस्टिक टेक्नीक एक्ट 1994 का उल्लंघन करने वाले किसी भी विज्ञापन को न चलाए.
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