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    Wednesday 10 May 2017

    सीपीईसी पाकिस्तान को राजनीतिक और आर्थिक तौर पर चीन के अधीन कर देगा - Pakistan politically and economically dependent on China by CPEC

    चीन सरकार की महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर(सीपीईसी) न सिर्फ भारत की संप्रभुता के लिए खतरा पैदा कर सकता है बल्कि इस प्रोजेक्ट से पाकिस्तान की हालत भी ग्रीस जैसी हो सकती है और वह राजनीतिक और आर्थिक तौर पर चीन के अधीन हो जाएगा.



    रेटिंग एजेंसी मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने पाकिस्तान के बढ़ते सरकारी कर्ज के प्रति आगाह करते हुए कहा है कि पाकिस्तान का बाह्य रिण इस साल जून तक बढ़कर 79 अरब डालर हो जाएगा. बढ़ते कर्ज के कारण देश की वित्तीय स्थिति कमजोर होगी और कर्ज वहन करने की उसकी क्षमता पर असर पड़ेगा.
    वहीं पाकिस्तान में कराची आधारित अर्थशास्त्रियों का दावा है कि चीन के वन बेल्ट वन रोड (OBOR) प्रोजेक्ट के तहत तैयार होने वाला सीपीईसी पाकिस्तान को राजनीतिक और आर्थिक तौर पर चीन के अधीन कर देगा.पाकिस्तान के प्रमुख अर्थशास्त्री कैसर बंगाली ने दावा किया है कि इस प्रोजेक्ट में शामिल होने से पाकिस्तान की स्थिति भी ग्रीस जैसी हो सकती है जहां वह अपने कर्ज को चुकाने के लिए नए कर्ज के चक्र में फंस गया है. ऐसी स्थिति में आर्थिक तौर पर पाकिस्तान पूरी तरह से चीन के अधीन हो जाएगा.

    गौरतलब है कि अपनी नवीनतम रिपोर्ट में मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने भी कहा है कि पाकिस्तान के समक्ष चुनौतियों में उच्च सरकारी रिण बोझ, कमजोर भौतिक व सामाजिक बुनियादी ढांचा, कमजोर बाह्य भुगतान सिथति तथा उच्च राजनीतिक जोखिम शामिल है. वहीं चीन सरकार ने पाकिस्तान के सीपीईसी में अपने निवेश को बढ़ाने का फैसला लिया है. हाल ही में चीन ने इस प्रोजेक्ट के तहत पाकिस्तान में प्रस्तावित निवेश को 46 बिलियन डॉलर से बढ़ाकर 62 बिलियन डॉलर कर दिया है. इस प्रोजेक्ट के तहत चीन सरकार पाकिस्तान के ग्वदर पोर्ट को जिनजियांग प्रांत से जोड़ने के लिए इंडस्ट्रियल पार्क, रेलवे और रोड नेटवर्क तैयार करेगा.

    जुलाई-जून 2016-17 के आखिर तक पाकिस्तान का बाह रिण बढ़कर 79 अरब डालर हो जाएगा जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र का हिस्सा 77.7 अरब डालर रहेगा. मौजूदा वित्त वर्ष के लिए उक्त अनुमान स्टेट बैंक आफ पाकिस्तान द्वारा जारी पहले के पूर्वानुमान से कहीं अधिक है. केंद्रीय बैंक ने कहा था कि कुल बाह्य रिण व देनदारी दिसंबर 2016 के आखिर तक 74.2 अरब डालर हो गई. लिहाजा इन आंकड़ों में सीपीईसी के तहत होने वाले निवेश से पाकिस्तान उस आर्थिक स्थिति में पहुंच सकता है जहां अपने कर्ज को चुकाने के लिए उसे और कर्ज की दरकार होगी और यह स्थिति उसे सिर्फ ग्रीस बनाने के लिए पर्याप्त होगी.
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