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    Friday 12 May 2017

    जो पाप है क्या उसे शरियत में लिया जा सकता है?: सुप्रीम कोर्ट - triple talaq debate in supreme court

    नई दिल्ली: ट्रिपल तलाक के मसले पर सुप्रीम कोर्ट में दूसरे दिन की सुनवाई चल रही है. सलमान खुर्शीद इस्लाम में निकाह, मेहर और तलाक को लेकर अपनी दलील दे रहे हैं. इस पर जस्टिस रोहिंगटन नरीमन ने उनसे पूछा कि इस्लाम में निकाह और तलाक़ को लेकर मौजूद व्यवस्था में थ्‍यौरी और व्‍यावहारिकता में जो अंतर है, क्या आप ये बताना चाहते हैं? क्या आप चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट उस व्यवस्था को लागू करे जो इस्लाम में है? इस पर सलमान खुर्शीद ने कहा कि हां. लेकिन कोर्ट को इस मामले में कोई कानून नहीं बनाना चाहिए बल्कि इस्लाम में जो बेहतर तरीका बताया गया है, उसे बताना चाहिए. जब तीसरी बार तलाक बोला जाता है तो वो वापस नहीं हो सकता, लेकिन इसके लिए 3 महीने का वक्त होता है.

    निजी तौर पर कोर्ट की मदद कर रहे पूर्व कानून मंत्री और कांग्रेसी नेता सलमान खुर्शीद ने कहा कि मेरी निजी राय में ट्रिपल तलाक पाप है. AIMPLB का स्टैंड है कि ट्रिपल तलाक घिनौना है लेकिन तब भी वैध है. जस्टिस कूरियन जोजफ ने पूछा-क्या जो धर्म के मुताबिक ही घिनौना है वो कानून के तहत वैध ठहराया जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि जो पाप है क्या उसे शरियत में लिया जा सकता है?

    इस पर सलमान खुर्शीद ने कहा कि नहीं ठहराया जा सकता चाहे वो संवैधानिक तौर पर वैध हो तो भी. लोग ये कहकर कि इस पाप को ईश्वर से लिया है, कानून बना सकते हैं ? अगर ट्रिपल तलाक को 1 तलाक कर दिया जाए तो 90 फीसदी दिक्कतें एक बार में दूर हो जाएंगी. तीन महीने के इद्दतकाल में पति-पत्नी को सुलह का मौका दिया चाहिए.

    सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि अगर भारत में ट्रिपल तलाक विशिष्ट है तो दूसरे देशों ने कानून बनाकर ट्रिपल तलाक को खत्म कर दिया? खुर्शीद ने कहा कि इसी तरह की दिक्कतें आईं होगी तो उन देशों को लगा होगा कि इसे खत्म कर देना चाहिए.

    मेहर की बात पर CJI ने कहा
    - कि इस पर सुनवाई की फिलहाल जरूरत नहीं
    - अगर ट्रिपल तलाक खत्म होगा तो उसके परिणामों पर बाद में फैसला लेंगे.
    - यहां मुद्दा ये नहीं है कि कुछ लोग बैठकर फैसला करने की कोशिश कर रहे हैं और फैसला नहीं होता तो वो अलग बात है.
    - लेकिन यहां तो एक ही वक्त पर एक शख्स चाहे जहां फैसला ले लेता है.

    सलमान खुर्शीद ने कहा
    - निकाहनामे में शर्तें लिखी रहती हैं जिससे तलाक देना मुश्किल हो जाता है

    जस्टिस कूरियन ने पूछा
    - क्या निकाहनामे में लिखा जाना चाहिए कि ट्रिपल तलाक नहीं होगा? खुर्शीद की ओर से बहस पूरी हुई.

    जस्टिस रोहिंग्टन ने कहा
    - ट्रिपल तलाक इस्लाम में शादी खत्म करने का सबसे बुरा और अवांछनीय तरीका है
    - हालांकि ट्रिपल तलाक को इस्लाम के विभिन्न स्कूल आफ थाट्स में वैध माना गया है.

    वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने कहा
    - ट्रिपल तलाक घिनौना है क्योंकि ये महिलाओं को तलाक में बराबर के अधिकार नहीं मिलते

    CJI खेहर ने कहा कि
    - ट्रिपल तलाक क्या परंपरा है या शरियत का हिस्सा हैं
    - भारत के अलावा कहां ये लागू है
    - बहुत सारे लोग देश में मौत की सजा को सिन यानी पाप मानते हैं लेकिन कानूनन ये वैध है.
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