चेन्नई: तमिलनाडु विधासनभा में भारी हंगामे के बीच मुख्यमंत्री इडाप्पडी के. पलानीस्वामी ने ने 122 वोटों के साथ विश्वासमत जीत लिया है. यह वोटिंग डीएमके विधायकों को बाहर ले जाए जाने के बाद हुई है. सिर्फ 11 विधायकों ने पलानीस्वामी के खिलाफ वोट किया था. सीएम को विश्वासमत जीतने के लिए सिर्फ 117 वोट चाहिए थे. वोटिंग के वक्त 133 विधायक सदन में मौजूद थे. जहां हंगामे के बाद डीएमके के विधायकों को बाहर कर दिया गया था, वहीं कांग्रेस और IUML ने वॉक आउट कर दिया था. हालांकि इस वोटिंग के बाद पूर्व सीएम पन्नीरसेल्वम ने कहा है कि 'अभी भी वक्त है और जनता तय करेगी कि यह वोटिंग कितनी वैध है.' विश्वासमत जीतने के बाद पलानीस्वामी, जयललिता की समाधि के सामने फूट फूटकर रोने लगे.
इससे पहले सदन में जो हंगामा बरपा उसके बाद सत्र को एक बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया. विधायकों ने सदन में कुर्सियां तोड़ी और पेपर फाड़े, यही नहीं डीएमके के विधायकों ने स्पीकर पी धनपाल के साथ बदसलूकी भी की जिसके बाद स्पीकर सदन छोड़कर चले गए. इसके बाद डीएमके विधायक कु का सेल्वम स्पीकर की कुर्सी पर बैठकर विरोध प्रदर्शन करने लगे.
बाद में स्पीकर ने डीएमके विधायकों को बाहर निकालने का आदेश दे दिया और सदन को दोपहर तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दिया. स्पीकर ने कहा 'मैं कैसे बताऊं आज विधानसभा में मेरे साथ क्या हुआ. मेरी शर्ट फाड़ी गई और मुझे अपमानित किया गया. मैं तो अपना काम कर रहा था.' स्पीकर के आदेश के बावजूद डीएमके के विधायकों ने जाने से इंकार कर दिया. सदन के बाहर 2 हजार से ज्यादा पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है. एमके स्टालिन के नेतृत्व में डीएमके के विधायक धरने पर बैठ गए लेकिन बाद में उन्हें बाहर ले जाया गया. स्टालिन ने कहा कि उनके साथ भी मारपीट हुई थी. वह राज्यपाल से मिले, साथ ही उन्होंने मरीना बीच पर धरने पर भूख हड़ताल करने का फैसला किया है.
इससे पहले सदन में जो हंगामा बरपा उसके बाद सत्र को एक बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया. विधायकों ने सदन में कुर्सियां तोड़ी और पेपर फाड़े, यही नहीं डीएमके के विधायकों ने स्पीकर पी धनपाल के साथ बदसलूकी भी की जिसके बाद स्पीकर सदन छोड़कर चले गए. इसके बाद डीएमके विधायक कु का सेल्वम स्पीकर की कुर्सी पर बैठकर विरोध प्रदर्शन करने लगे.
बाद में स्पीकर ने डीएमके विधायकों को बाहर निकालने का आदेश दे दिया और सदन को दोपहर तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दिया. स्पीकर ने कहा 'मैं कैसे बताऊं आज विधानसभा में मेरे साथ क्या हुआ. मेरी शर्ट फाड़ी गई और मुझे अपमानित किया गया. मैं तो अपना काम कर रहा था.' स्पीकर के आदेश के बावजूद डीएमके के विधायकों ने जाने से इंकार कर दिया. सदन के बाहर 2 हजार से ज्यादा पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है. एमके स्टालिन के नेतृत्व में डीएमके के विधायक धरने पर बैठ गए लेकिन बाद में उन्हें बाहर ले जाया गया. स्टालिन ने कहा कि उनके साथ भी मारपीट हुई थी. वह राज्यपाल से मिले, साथ ही उन्होंने मरीना बीच पर धरने पर भूख हड़ताल करने का फैसला किया है.
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