आंध्र प्रदेश विधानसभा के स्पीकर के शिव प्रसाद ने महिलाओं को लेकर हैरान करने वाला बयान दिया है. राष्ट्रीय महिला संसद के तहत एक प्रेस-मीट में शिव प्रसाद ने कहा कि अगर हम महिलाओं को कार की तरह घर में पार्क कर रखें तो उनके साथ रेप नहीं होगा. जब महिलाओं को सोसायटी में एक्सपोजर मिलता है तो वो इस तरह के अपराधों का शिकार बनती हैं. शिव प्रसाद तेलुगुदेशम पार्टी से विधायक हैं.
अपने चार मिनट के संबोधन में महिला सशक्तिकरण के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि आप गाड़ी खरीदते हैं, जब आप उसे गैराज में पार्क कर रखते हैं तो एक्सीडेंट की संभावना नहीं होती, है न? जब आप उसे बाजार या सड़क पर ले जाते हैं तो एक्सीडेंट हो सकता है. 50 की स्पीड पर एक्सीडेंट होने की संभावना कम होती है लेकिन सौ की स्पीड पर ये बढ़ जाती है.
उन्होंने कहा कि पहले जब महिलाएं महज गृहिणी थीं वो हर तरह के अपराधों से सुरक्षित थीं सिवाय भेदभाव के, लेकिन आज महिलाएं समाज में एक्सपोजर पा रही हैं क्योंकि वे अच्छी शिक्षा पा रही हैं, नौकरी और बिजनेस कर रही हैं. छेड़छाड़, शोषण, रेप, अपहरण की घटनाएं केवल तभी होती हैं जब महिला समाज में जाती है, अगर महिला घर से बाहर न निकले तो ये घटनाएं नहीं होंगी.
हालांकि जल्द ही स्पीकर को अपनी गलती का अहसास हो गया तो उन्होंने कहना शुरू कर दिया कि वो महिलाओं की शिक्षा या उनके काम करने के खिलाफ नहीं हैं. उन्हें पढ़ना चाहिए, काम करना चाहिए, कमाने की आजादी मिलनी चाहिए लेकिन उनकी सुरक्षा का ध्यान रखा जाना चाहिए. गौरतलब है कि अमरावती में आयोजित तीन दिवसीय कॉन्फ्रेंस में देशभर से दस हजार महिलाएं हिस्सा ले रही हैं जिनमें महिला सांसद, विधायक, बिजनेसवुमन आदि शामिल हैं.
अपने चार मिनट के संबोधन में महिला सशक्तिकरण के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि आप गाड़ी खरीदते हैं, जब आप उसे गैराज में पार्क कर रखते हैं तो एक्सीडेंट की संभावना नहीं होती, है न? जब आप उसे बाजार या सड़क पर ले जाते हैं तो एक्सीडेंट हो सकता है. 50 की स्पीड पर एक्सीडेंट होने की संभावना कम होती है लेकिन सौ की स्पीड पर ये बढ़ जाती है.
उन्होंने कहा कि पहले जब महिलाएं महज गृहिणी थीं वो हर तरह के अपराधों से सुरक्षित थीं सिवाय भेदभाव के, लेकिन आज महिलाएं समाज में एक्सपोजर पा रही हैं क्योंकि वे अच्छी शिक्षा पा रही हैं, नौकरी और बिजनेस कर रही हैं. छेड़छाड़, शोषण, रेप, अपहरण की घटनाएं केवल तभी होती हैं जब महिला समाज में जाती है, अगर महिला घर से बाहर न निकले तो ये घटनाएं नहीं होंगी.
हालांकि जल्द ही स्पीकर को अपनी गलती का अहसास हो गया तो उन्होंने कहना शुरू कर दिया कि वो महिलाओं की शिक्षा या उनके काम करने के खिलाफ नहीं हैं. उन्हें पढ़ना चाहिए, काम करना चाहिए, कमाने की आजादी मिलनी चाहिए लेकिन उनकी सुरक्षा का ध्यान रखा जाना चाहिए. गौरतलब है कि अमरावती में आयोजित तीन दिवसीय कॉन्फ्रेंस में देशभर से दस हजार महिलाएं हिस्सा ले रही हैं जिनमें महिला सांसद, विधायक, बिजनेसवुमन आदि शामिल हैं.
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