लगभग एक साल पहले शराबबंदी लागू करने वाले बिहार राज्य के अधिकारी अब राज्य या देश से बाहर जाकर भी शराब नहीं पी सकेंगे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल ने राज्य शराबबंदी कानून में इसी सप्ताह एक संशोधन को मंज़ूरी दी है, जिसके तहत देश या दुनिया के किसी भी हिस्से में शराब पीते हुए पाए जाने पर राज्य के नौकरशाहों, जजों तथा मजिस्ट्रेटों को दंडित किया जाएगा.
सज़ा के तौर पर इन अधिकारियों के वेतन में कटौती की जा सकती है, उन्हें निलंबित किया जा सकता है, और उन्हें बर्खास्त भी किया जा सकता है. इस नए नियम को लागू करने के लिए अधिकारियों के लिए सेवा नियमों में बदलाव कर दिया गया है. अब तक अधिकारियों पर सिर्फ ड्यूटी के दौरान शराब पीने पर पाबंदी थी.
शीर्ष अधिकारियों के मुताबिक, न्यायिक अधिकारियों के लिए इससे पहले इस तरह का कोई नियम मौजूद नहीं था. शराबबंदी का यह नियम डेपुटेशन पर राज्य से बाहर तैनात किए गए अधिकारियों पर भी लागू होगा.
हाल ही में मुख्यमंत्री से एक जनसभा के दौरान सवाल किया गया था कि क्या नौकरशाहों का उस शख्स द्वारा एल्कोहल टेस्ट कराया जा सकता है, जिसका आरोप है कि अधिकारियों ने शराबबंदी के बावजूद शराब पीना नहीं छोड़ा है.
यह फिलहाल स्पष्ट नहीं है कि सरकार के पास राज्य से बाहर तैनात या मौजूद अधिकारियों पर नज़र रखने की क्या योजना है. एक रिपोर्ट के अनुसार, ऐसा हो सकता है कि कार्रवाई तभी की जाए, जब कोई शिकायत प्राप्त हो.
चुनावी वादा पूरा करते हुए नीतीश कुमार ने पिछले साल अप्रैल माह में शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था, और इसे क्रांतिकारी कदम बताया था, जिसकी बदौलत एक झटके में अपराध कम हो गया, सांप्रदायिक सद्भाव बढ़ा और लोगों के खानपान की आदतों में सुधार हुआ.
पिछले महीने नीतीश कुमार तथा सरकार में उनके सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने शराबबंदी के समर्थन में राज्य के हज़ारों लोगों के साथ मिलकर मानव शृंखला बनाई थी, जिसके दुनिया की सबसे लम्बी मानव शृंखला होने का दावा किया गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शराबबंदी की प्रशंसा किए जाने के बाद राज्य में विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने भी इस शृंखला में सरकार का साथ दिया था. अधिकारियों का दावा है कि 11,000 किलोमीटर लम्बी मानव शृंखला की तस्वीरें तीन सैटेलाइटों के अतिरिक्त विमानों, हेलीकॉप्टरों तथा ड्रोनों की मदद से खींची गई थीं.
सज़ा के तौर पर इन अधिकारियों के वेतन में कटौती की जा सकती है, उन्हें निलंबित किया जा सकता है, और उन्हें बर्खास्त भी किया जा सकता है. इस नए नियम को लागू करने के लिए अधिकारियों के लिए सेवा नियमों में बदलाव कर दिया गया है. अब तक अधिकारियों पर सिर्फ ड्यूटी के दौरान शराब पीने पर पाबंदी थी.
शीर्ष अधिकारियों के मुताबिक, न्यायिक अधिकारियों के लिए इससे पहले इस तरह का कोई नियम मौजूद नहीं था. शराबबंदी का यह नियम डेपुटेशन पर राज्य से बाहर तैनात किए गए अधिकारियों पर भी लागू होगा.
हाल ही में मुख्यमंत्री से एक जनसभा के दौरान सवाल किया गया था कि क्या नौकरशाहों का उस शख्स द्वारा एल्कोहल टेस्ट कराया जा सकता है, जिसका आरोप है कि अधिकारियों ने शराबबंदी के बावजूद शराब पीना नहीं छोड़ा है.
यह फिलहाल स्पष्ट नहीं है कि सरकार के पास राज्य से बाहर तैनात या मौजूद अधिकारियों पर नज़र रखने की क्या योजना है. एक रिपोर्ट के अनुसार, ऐसा हो सकता है कि कार्रवाई तभी की जाए, जब कोई शिकायत प्राप्त हो.
चुनावी वादा पूरा करते हुए नीतीश कुमार ने पिछले साल अप्रैल माह में शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था, और इसे क्रांतिकारी कदम बताया था, जिसकी बदौलत एक झटके में अपराध कम हो गया, सांप्रदायिक सद्भाव बढ़ा और लोगों के खानपान की आदतों में सुधार हुआ.
पिछले महीने नीतीश कुमार तथा सरकार में उनके सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने शराबबंदी के समर्थन में राज्य के हज़ारों लोगों के साथ मिलकर मानव शृंखला बनाई थी, जिसके दुनिया की सबसे लम्बी मानव शृंखला होने का दावा किया गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शराबबंदी की प्रशंसा किए जाने के बाद राज्य में विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने भी इस शृंखला में सरकार का साथ दिया था. अधिकारियों का दावा है कि 11,000 किलोमीटर लम्बी मानव शृंखला की तस्वीरें तीन सैटेलाइटों के अतिरिक्त विमानों, हेलीकॉप्टरों तथा ड्रोनों की मदद से खींची गई थीं.
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