अरुणाचल प्रदेश के पूर्व सीएम कालिखो पुल के सुसाइड नोट में छिपे राज आहिस्ता-आहिस्ता सामने आ रहे हैं. पिछले दिनों मीडिया में सार्वजनिक हुए इस नोट में कांग्रेस और बीजेपी के कई नेताओं के अलावा कुछ पूर्व और मौजूदा जजों पर भी घूसखोरी के आरोप लगाए गए हैं.
पुल पहले कांग्रेस में थे. साल 2015 में उन्होंने नबाम तुकी की सरकार के खिलाफ बगावत की और सीएम बने. लेकिन साढ़े चार महीने बाद सुप्रीम कोर्ट ने तुकी सरकार की बर्खास्तगी को असंवैधानिक करार दिया. खुदकुशी की चिट्ठी में पुल लिखते हैं कि सर्वोच्च अदालत के फैसले को उनके पक्ष में करने के लिए कुछ दलाल उनसे मोटी रकम मांग रहे थे.
'मेरे विचार' शीर्षक के इस सुसाइड नोट के ये हिस्से छापे हैं- ‘मुझसे और मेरे करीबियों से कई बार संपर्क किया गया कि अगर मैं 86 करोड़ रुपये देता हूं तो फैसला मेरे हक में दिया जाएगा. मैं एक आम आदमी हूं, मेरे पास न उस तरह पैसा है, न ही मैं ऐसा करना चाहता हूं.’
‘(नाम) ने मेरे एक आदमी से संपर्क किया और 49 करोड़ रुपये मांगे.’
‘(नाम) ने मुझसे 37 करोड़ रुपये की मांग की थी.’
एक दूसरी वेबसाइट ने पुल की पत्नी के हवाले से दावा किया है कि जजों के खिलाफ आरोपों के सबूत मौजूद हैं. पुल के करीबियों के पास ऐसी रसीद हैं जिसमें आरोपी जजों की ओर से घूस लेने वाले लोगों के दस्तखत हैं. रसीद में 15 जुलाई 2016 की तारीख दर्ज है. इसके करीब एक महीना बाद पुल ने जान दी थी.
इस वेबसाइट के मुताबिक पुल ने दावा किया था कि एक जज ने 36 करोड़ लेकर गलत फैसला सुनाया था. गुवाहाटी हाईकोर्ट ने एक सीनियर मंत्री के खिलाफ की गई सुनवाई में (नाम) को दोषी ठहराते हुए सीबीआई जांच के आदेश दिए थे. पुल के मुताबिक उसी केस में (नाम) ने 28 करोड़ की घूस देकर स्टे ले लिया.
कालिखो पुल की पहली पत्नी दंगविम्साई पुल शुक्रवार को दिल्ली में थीं. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को 2 पन्नों चिट्ठी लिखी है. चिट्ठी में मांग की गई है कि आरोपों की जांच सीबीआई से करवाई जाए. चिट्ठी में दंगविम्साई ने लिखा- 'मेरे पति की डायरी/सुसाइड नोट में राज्य की सियासत के अलावा न्यायपालिका में भी भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं. आरोपों के दायरे में सुप्रीम कोर्ट के दो सीनियर जज भी शामिल हैं जो अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन को खत्म करने से जुड़े फैसले में शामिल थे. इसलिए ये जरुरी है कि इन दावों की बिनाह पर एफआईआर दर्ज की जाए और सीबीआई को जांच सौंपी जाए.'
अब तक केंद्र सरकार ने इन आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. लेकिन जिस तरह से जज और सत्ता के गलियारों के बड़े नाम उनके सुसाइड नोट में सामने आए हैं, उसे देखते हुए बहुत दिनों तक इसकी अनदेखी करना संभव नहीं होगा. माना जा रहा है कि सरकार इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के रुख का इंतजार करेगी.
पुल पहले कांग्रेस में थे. साल 2015 में उन्होंने नबाम तुकी की सरकार के खिलाफ बगावत की और सीएम बने. लेकिन साढ़े चार महीने बाद सुप्रीम कोर्ट ने तुकी सरकार की बर्खास्तगी को असंवैधानिक करार दिया. खुदकुशी की चिट्ठी में पुल लिखते हैं कि सर्वोच्च अदालत के फैसले को उनके पक्ष में करने के लिए कुछ दलाल उनसे मोटी रकम मांग रहे थे.
'मेरे विचार' शीर्षक के इस सुसाइड नोट के ये हिस्से छापे हैं- ‘मुझसे और मेरे करीबियों से कई बार संपर्क किया गया कि अगर मैं 86 करोड़ रुपये देता हूं तो फैसला मेरे हक में दिया जाएगा. मैं एक आम आदमी हूं, मेरे पास न उस तरह पैसा है, न ही मैं ऐसा करना चाहता हूं.’
‘(नाम) ने मेरे एक आदमी से संपर्क किया और 49 करोड़ रुपये मांगे.’
‘(नाम) ने मुझसे 37 करोड़ रुपये की मांग की थी.’
एक दूसरी वेबसाइट ने पुल की पत्नी के हवाले से दावा किया है कि जजों के खिलाफ आरोपों के सबूत मौजूद हैं. पुल के करीबियों के पास ऐसी रसीद हैं जिसमें आरोपी जजों की ओर से घूस लेने वाले लोगों के दस्तखत हैं. रसीद में 15 जुलाई 2016 की तारीख दर्ज है. इसके करीब एक महीना बाद पुल ने जान दी थी.
इस वेबसाइट के मुताबिक पुल ने दावा किया था कि एक जज ने 36 करोड़ लेकर गलत फैसला सुनाया था. गुवाहाटी हाईकोर्ट ने एक सीनियर मंत्री के खिलाफ की गई सुनवाई में (नाम) को दोषी ठहराते हुए सीबीआई जांच के आदेश दिए थे. पुल के मुताबिक उसी केस में (नाम) ने 28 करोड़ की घूस देकर स्टे ले लिया.
कालिखो पुल की पहली पत्नी दंगविम्साई पुल शुक्रवार को दिल्ली में थीं. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को 2 पन्नों चिट्ठी लिखी है. चिट्ठी में मांग की गई है कि आरोपों की जांच सीबीआई से करवाई जाए. चिट्ठी में दंगविम्साई ने लिखा- 'मेरे पति की डायरी/सुसाइड नोट में राज्य की सियासत के अलावा न्यायपालिका में भी भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं. आरोपों के दायरे में सुप्रीम कोर्ट के दो सीनियर जज भी शामिल हैं जो अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन को खत्म करने से जुड़े फैसले में शामिल थे. इसलिए ये जरुरी है कि इन दावों की बिनाह पर एफआईआर दर्ज की जाए और सीबीआई को जांच सौंपी जाए.'
अब तक केंद्र सरकार ने इन आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. लेकिन जिस तरह से जज और सत्ता के गलियारों के बड़े नाम उनके सुसाइड नोट में सामने आए हैं, उसे देखते हुए बहुत दिनों तक इसकी अनदेखी करना संभव नहीं होगा. माना जा रहा है कि सरकार इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के रुख का इंतजार करेगी.
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