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    Friday 19 May 2017

    आईसीजे के फैसले को पाकिस्तान नहीं मानता हैं तो भारत के पास और भी विकल्प हैं - If pakistan ignores icj order on kulbhushan jadhav then india have other options

    नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय पंचाट, यानी आईसीजे ने भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को पाकिस्तानी सैन्य अदालत द्वारा सुनाई गई फांसी की सज़ा पर अंतिम निर्णय सुनाए जाने तक रोक लगाने का आदेश दिया है, लेकिन पाकिस्तान ने यह कहकर इस आदेश को मानने से इंकार कर दिया है कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में अंतरराष्ट्रीय पंचाट के अधिकारक्षेत्र को कबूल नहीं करता है. अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस 'बाध्यकारी' फैसले को पाकिस्तान द्वारा नहीं माने जाने की स्थिति में भारत क्या-क्या कर सकता है, या दूसरे शब्दों में उसके पास क्या-क्या विकल्प बचते हैं.


    विशेषज्ञों के अनुसार, इन परिस्थितियों में भारत के पास संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जाने का विकल्‍प मौजूद है, क्योंकि संयुक्‍त राष्‍ट्र (UN) का चार्टर कहता है कि हर यूएन सदस्‍य अंतरराष्‍ट्रीय पंचाट के फैसलों को मानने को बाध्‍य है, और यदि कोई पार्टी या पक्ष आईसीजे के फैसले का क्रियान्‍वयन करने में विफल रहता है, तो दूसरा पक्ष या पार्टी सुरक्षा परिषद का रुख कर सकता है, जहां सुरक्षा परिषद फैसले का क्रियान्‍वयन करवाए जाने के उपायों पर विचार करेगी.

    इस संबंध में पूर्व सॉलिसिटर जनरल सिद्धार्थ लूथरा की राय है - हालांकि यह सही है कि जिस तरह घरेलू अदालत के किसी फैसले को लागू किया जाता है, ठीक उसी तरह इसे लागू नहीं किया जा सकता, लेकिन इस तरह के सूरतेहाल में भारत, पाकिस्‍तान के खिलाफ प्रतिबंध लगाए जाने की बात कह सकता है.

    सिद्धार्थ लूथरा ने कहा, ''आईसीजे ऐसा निकाय है, जहां आप सहमति के आधार पर जाते हैं... इस मामले में पाकिस्‍तान कह सकता है कि भारत ने आईसीजे में जाने से पहले हमसे सहमति नहीं ली थी, सो, इस मामले में कोर्ट के अधिकारक्षेत्र पर सवाल उठ सकता है... ऐसे फैसले वास्‍तव में तभी बाध्‍यकारी होते हैं, जब संबंधित सभी देश इसे मानने पर सहमति देते हैं... यदि पाकिस्‍तान इस फैसले के खिलाफ जाता है, तो भारत इस मसले को सुरक्षा परिषद के पास ले जा सकता है...''

    दरअसल, भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव (46) को इसी साल मार्च में पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी, जिस पर रोक का अनुरोध करते हुए भारत ने आईसीजे का दरवाज़ा खटखटाया था. अंतरराष्ट्रीय पंचाट ने गुरुवार को भारत की दलीलों को कबूल करते हुए कुलभूषण की फांसी की सजा पर अंतरिम रोक लगा दी थी, लेकिन इसके बाद पाकिस्तान ने पंचाट के फैसले के खिलाफ बयान दिया.

    आईसीजे के चार्टर के अनुच्छेद 59 के मुताबिक अदालत का फैसला सभी पक्षों के लिए बाध्यकारी होता है, और उसे सभी को मानना पड़ता है, लेकिन फैसला आने के बाद पाकिस्तान के एक टीवी चैनल से बात पाक विदेश कार्यालय के प्रवक्ता नफीस जकारिया ने कहा कि जाधव का मामला अंतरराष्ट्रीय पंचाट में ले जाकर भारत ने 'अपना असली चेहरा छिपाने की कोशिश की है, और उनका मुल्क भारत को दुनिया के सामने बेनकाब करेगा...' उन्होंने कहा, जाधव ने एक बार नहीं, दो बार अपने अपराध स्वीकार किए हैं, और पाकिस्तान पहले ही आईसीजे को सूचित कर चुका है कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में उसके न्यायक्षेत्र को स्वीकार नहीं करता.


    सुरक्षा परिषद में जाने के अलावा भारत के पास पाकिस्तान पर कूटनयिक दबाव डलवाए जाने का विकल्प भी मौजूद है, जिस पर विचार किया जा सकता है. पाकिस्तान आमतौर पर अमेरिका, रूस और सऊदी अरब जैसे देशों की बात नहीं टालता है, सो, भारत की ओर से अपने अंतरराष्ट्रीय संबंधों से भी पाकिस्तान पर दबाव डलवाया जा सकता है.
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