7 फरवरी 1999 को स्पिनर अनिल कुंबले ने अपने प्रदर्शन से टीम इंडिया को कई जीतें दिलाई हैं. टीम इंडिया के मौजूदा कोच कुंबले की छवि एक ऐसे खिलाड़ी की थी जो मुश्किल परिस्थितियों में भी आखिरी क्षणों तक हार नहीं मानता था. सात फरवरी 1999 को उन्होंने ऐसा हैरतअंगेज प्रदर्शन किया था जो भारतीय क्रिकेट के लिए मील का पत्थर बन गया. कुंबले के इस प्रदर्शन का गवाह बना था देश की राजधानी दिल्ली का फिरोजशाह कोटला मैदान. सात फरवरी 1999 को कोटला मैदान पर प्रबल प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ कुंबले ने पारी में सभी 10 विकेट अपने नाम पर किए थे. उनके इस प्रदर्शन की बदौलत टीम इंडिया ने मैच में 212 रनों के अंतर से जीत हासिल कर दो टेस्ट मैचों की सीरीज 1-1 से बराबर रखने में कामयाबी हासिल की थी. चेन्नई में हुआ सीरीज का पहला मैच पाकिस्तानी टीम ने जीता था. परफेक्ट 10 के इस प्रदर्शन के जरिये कुंबले ने पारी में सभी विकेट लेने के इंग्लैंड के जिम लेकर के रिकॉर्ड की बराबरी की थी. कुंबले का यह कारनामा इतना अनोखा था, इसका पता इसी बात से चलता है कि इंटरनेशनल क्रिकेट में अब तक कोई भी गेंदबाज पारी मे सभी 10 विकेट हासिल नहीं कर पाया है.
पारी के दौरान की यादें ताजा करते हुए श्रीनाथ ने कहा था कि मैच के अंतिम क्षणों में, मैं कुंबले के साथ गेंदबाजी कर रहा था. मैं जानबूझकर गेंदों को विकेट के काफी बाहर डाल रहा था ताकि आखिरी विकेट मेरे नहीं, अनिल कुंबले के ही खाते में आए. आखिरकार हुआ भी यही, कुंबले ने अंतिम विकेट के रूप में वसीम अकरम को लक्ष्मण के हाथों कैच कराकर वह उपलब्धि हासिल कर ली जो इंटरनेशनल क्रिकेट में जिम लेकर और उनके (कुंबले के) अलावा कोई नहीं कर पाया है
पारी के दौरान की यादें ताजा करते हुए श्रीनाथ ने कहा था कि मैच के अंतिम क्षणों में, मैं कुंबले के साथ गेंदबाजी कर रहा था. मैं जानबूझकर गेंदों को विकेट के काफी बाहर डाल रहा था ताकि आखिरी विकेट मेरे नहीं, अनिल कुंबले के ही खाते में आए. आखिरकार हुआ भी यही, कुंबले ने अंतिम विकेट के रूप में वसीम अकरम को लक्ष्मण के हाथों कैच कराकर वह उपलब्धि हासिल कर ली जो इंटरनेशनल क्रिकेट में जिम लेकर और उनके (कुंबले के) अलावा कोई नहीं कर पाया है
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