बेंगलुरु: गुरुवार की शाम को बेंगलुरु में अजब वाकया सामने आया. अक्सर सुर्खियों में रहने वाली यहां की बेलंदूर झील में अचानक आग लग गई. झील से आग की लपटें उठने लगीं. देखते ही देखते आसमान धुंए से भर गया. आनन-फानन में अग्निशामक दल को सूचना दी गई. शाम करीब 6 बजे एक फायर इंजन वहां पहुंचा. काफी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया जा सका. आग लगने के कारणों का पता लगाया जा रहा है. फिलहाल माना जा रहा है कि झील में आग प्रदूषण के कारण लगी.
बेलंदूर झील में भारी प्रदूषण की वजह से झाग निकलता रहता है. इसमें पहले भी कई बार आग लगी है. हालांकि पहले आग झाग के अंदर तक ही सीमित रहती थी लेकिन इस बार उसका दायरा बढ़ गया. एक अधिकारी ने बताया कि अब तक की जांच के मुताबिक आग झील के पानी में हुई रासायनिक प्रक्रिया की वजह से लगी और सूखे पत्तों तक पहुंची जिससे वे धू-धू करके जलने लगे. बेलंदूर झील के बगल में वरतूर लेक है. उसमें भी कुछ इसी तरह झाग बराबर निकलता रहता है. वहां भी कई बार आग की लपटें झाग में देखी गई हैं.
वैज्ञानिकों के मुताबिक आग लगने की सबसे बड़ी वजह पानी में बढ़ता प्रदूषण है. झील के आसपास वेटलैंड होने के बावजूद आवश्यक क्षमता के मुताबिक वाटर ट्रीटमेंट प्लांट नहीं लगाया गया है. सरकार इसके लिए जरूरी प्रयास नहीं कर रही है. इस लापरवाही की वजह से शहर का गंदा पानी सीधे झीलों में जा रहा है. इससे झीलों में प्रदूषण का स्तर सामान्य सीमा से कई गुना ज्यादा हो गया है.
इतना ही नहीं अतिक्रमण होने के कारण झील का क्षेत्र घट भी गया है. यह भी झील में प्रदूषण बढ़ने की बड़ी वजह है. हाल ही में ग्रीन ट्रिब्यूनल ने शहर के दो बिल्डरों पर तकरीबन 132 करोड़ रुपये का जुर्माना झील की जमीन पर अतिक्रमण की वजह से ठोका था. साथ ही साथ ट्रिब्यूनल ने बफर जोन का दायरा बढ़ाकर 75 फीट कर दिया है. हालांकि बफर जोन को खाली कराने की प्रक्रिया काफी धीमी चल रही है.
बेलंदूर झील में भारी प्रदूषण की वजह से झाग निकलता रहता है. इसमें पहले भी कई बार आग लगी है. हालांकि पहले आग झाग के अंदर तक ही सीमित रहती थी लेकिन इस बार उसका दायरा बढ़ गया. एक अधिकारी ने बताया कि अब तक की जांच के मुताबिक आग झील के पानी में हुई रासायनिक प्रक्रिया की वजह से लगी और सूखे पत्तों तक पहुंची जिससे वे धू-धू करके जलने लगे. बेलंदूर झील के बगल में वरतूर लेक है. उसमें भी कुछ इसी तरह झाग बराबर निकलता रहता है. वहां भी कई बार आग की लपटें झाग में देखी गई हैं.
वैज्ञानिकों के मुताबिक आग लगने की सबसे बड़ी वजह पानी में बढ़ता प्रदूषण है. झील के आसपास वेटलैंड होने के बावजूद आवश्यक क्षमता के मुताबिक वाटर ट्रीटमेंट प्लांट नहीं लगाया गया है. सरकार इसके लिए जरूरी प्रयास नहीं कर रही है. इस लापरवाही की वजह से शहर का गंदा पानी सीधे झीलों में जा रहा है. इससे झीलों में प्रदूषण का स्तर सामान्य सीमा से कई गुना ज्यादा हो गया है.
इतना ही नहीं अतिक्रमण होने के कारण झील का क्षेत्र घट भी गया है. यह भी झील में प्रदूषण बढ़ने की बड़ी वजह है. हाल ही में ग्रीन ट्रिब्यूनल ने शहर के दो बिल्डरों पर तकरीबन 132 करोड़ रुपये का जुर्माना झील की जमीन पर अतिक्रमण की वजह से ठोका था. साथ ही साथ ट्रिब्यूनल ने बफर जोन का दायरा बढ़ाकर 75 फीट कर दिया है. हालांकि बफर जोन को खाली कराने की प्रक्रिया काफी धीमी चल रही है.
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