नई दिल्ली: एक तरफ सभी पार्टियों के नेता दलितों के घर भोजन कर समाज में ऊंच-नीच, जात-पात को मिटाने का संदेश देते हैं. वहीं दूसरी तरफ इस चुनावों में ऐसे प्रत्याशी भी देखे जा रहे हैं जिनको अभी भी इस जाति दंश को झेलना पड़ रहा है. यूपी चुनावों के लिहाज से इसी कड़ी में एक दलित प्रत्याशी को भी इसी तरह की परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है. यह आलम तब है जब इस प्रत्याशी के पिता खुद भी पांच बार विधायक और एक बार सांसद रह चुके हैं.
यूपी में हाथरस जिले की इगलास सीट से दलित प्रत्याशी राजवीर दिलेर खड़े हैं. राजवीर वाल्मीकि समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और यह सीट सुरक्षित है. इस सीट से बीजेपी ने राजवीर को अपना प्रत्याशी बनाया है. राजवीर जब चुनाव प्रचार के लिए अगड़ी जातियों के घर जाते हैं तो अपना स्टील का गिलास साथ ले जाते हैं ताकि यदि कोई उनको चाय ऑफर करे तो वह इसी गिलास में पीते हैं.
सिर्फ इतना ही नहीं कई बार इनको इन घरों में बैठने के लिए कुर्सी नहीं दी जाती और उनको नीचे जमीन पर बैठना पड़ता है. हालांकि रिपोर्ट के मुताबिक राजवीर को इससे फर्क नहीं पड़ता और वे कहते हैं कि ये तो एक परंपरागत आदत है. उनका यह भी कहना है कि जातिगत व्यवस्था एक सच्चाई है और वह इसको स्वीकार करते हैं.
यूपी में हाथरस जिले की इगलास सीट से दलित प्रत्याशी राजवीर दिलेर खड़े हैं. राजवीर वाल्मीकि समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और यह सीट सुरक्षित है. इस सीट से बीजेपी ने राजवीर को अपना प्रत्याशी बनाया है. राजवीर जब चुनाव प्रचार के लिए अगड़ी जातियों के घर जाते हैं तो अपना स्टील का गिलास साथ ले जाते हैं ताकि यदि कोई उनको चाय ऑफर करे तो वह इसी गिलास में पीते हैं.
सिर्फ इतना ही नहीं कई बार इनको इन घरों में बैठने के लिए कुर्सी नहीं दी जाती और उनको नीचे जमीन पर बैठना पड़ता है. हालांकि रिपोर्ट के मुताबिक राजवीर को इससे फर्क नहीं पड़ता और वे कहते हैं कि ये तो एक परंपरागत आदत है. उनका यह भी कहना है कि जातिगत व्यवस्था एक सच्चाई है और वह इसको स्वीकार करते हैं.
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