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    Sunday 5 February 2017

    संजय जीत के प्रति ‘काॅन्फिडेंट‘, मुकेश रचना चाहते हैं ‘इतिहास‘ - Special interview of Jan leader with Mukesh Dixit

    -- सुनियोजित धुव्रीकरण व दंगों को अहम ‘फैक्टर‘ मानते हैं सपा-कांग्रेस प्रत्याशी
    -- विकास व कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर तमाम गैर बसपाई सरकारें फेलः दीक्षित 

    पवन शर्मा 
    सहारनपुर। मौसमी उतार-चढ़ाव के बीच सहारनपुर नगर सीट पर चुनावी माहौल धीरे-धीरे गर्मा रहा है। ऐसे में, एक तरफ जहां सातवीं बार चुनाव मैदान में उतरे सपा-कांग्रेस प्रत्याशी संजय गर्ग वोटों के सुनियोजित ध्रुवीकरण और दंगों को चुनावी हार-जीत का अहम ‘फैक्टर‘ मानते हैं तो वहीं, बसपा प्रत्याशी मुकेश दीक्षित इस बार शहर सीट पर बसपा की जीत के साथ नया ‘इतिहास‘ रचने का दावा कर रहे हैं। 'जन लीडर‘ न्यूज़ पोर्टल से अलग-अलग साक्षात्कार में इन दोनों सियासी महारथियों ने अपने दिलीजज्बात साझा किए। इसी के प्रमुख अंशः-
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    नतीजे बताएंगे, कौन ‘होली‘ के साथ मनाएगा 'दीवाली': दीक्षित
    जन लीडरः- किस तरह का चुनावी माहौल देख रहे हैं ? आपके चुनावी मुद्दे क्या हैं ?
    मुकेशः- विकास और कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर चुनाव मैदान में हैं। बसपा के सिवा यहां किसी ने विकास नहीं किया। हमारे प्रतिद्वंद्वी कहते हैं कि विकास कार्य ‘पाइप लाइन‘ में हैं। हमारे सारे कार्य ‘आॅनलाइन‘ हैं। 

    जन लीडरः- बसपा पर ग्रामीण क्षेत्रों की पार्टी होने की छाप है। क्या शहर सीट पर इस बार यह धारणा बदलने वाली है ? 
    मुकेशः- जी हां, 100 प्रतिशत ! हम सहारनपुर की सातों विधानसभा सीट जीतने जा रहे हैं। सब लोग तैयार हैं। 11 मार्च को यह पता चल जाएगा कि किसकी ‘होली‘ मनेगी और कौन होली के साथ ‘दीवाली‘ मनाएगा।

    जन लीडरः- आपके प्रतिद्वंद्वी कह रहे हैं कि, बसपा के पास सिर्फ एक वर्ग का वोट है। अन्य किसी तबके पर न आपकी पहुंच है और न पकड़। क्या वाकई ऐसा है ? 
    मुकेशः- ये सब झूठ बोल रहे हैं। ये सिर्फ बौखलाहट है। अल्पसंख्यक समाज से लेकर हर वर्ग के लोग हमारे साथ हैं।  बसपा सबको साथ लेकर चलती है। बहनजी ने सबको टिकट बांटे हैं। 2007 में बसपा की सरकारी बनी थी। 2017 में फिर सरकार बनेगी। बहनजी के लिए ‘सात‘ अंक बहुत शुभ है। 

    जन लीडरः- ब्राह्मण समाज का क्या रुझान है ? खासकर, हिंदुत्व और राम मंदिर का चर्चा नए सिरे से उठने के बाद। 
    मुकेशः- उनके पास कोई और मुद्दा नहीं है। भाजपा के लोग अदालत में विचाराधीन इस मुद्दे का जिक्र क्यों कर रहे हैं ? कोर्ट जो फैसला करेगी, वो सबको मान्य होगा। ब्राह्मण समाज पूरी तरह मेरे साथ है। नतीजे सबकी आंखें खोल देंगे। दूसरों को कमजोर करने के लिए सुनियोजित ढंग से अफवाह फैलाई जा रही है कि, ब्राह्मण समाज भाजपा या हिंदुत्व के साथ है। हिंदुत्व की बात करने वाले 80 प्रतिशत लोग पूजा तक नहीं करते। ब्राह्मण समाज एकजुट रहेगा।  

    जन लीडरः- आम मतदाता के लिए क्या संदेश है कि, वह भयमुक्त होकर मतदान करे ? 
    मुकेशः- सब निर्भीक होकर मतदान करें। बसपा शासन में कभी सांप्रदायिक दंगे नहीं होते। सपा के पौने पांच साल के शासन में 500 दंगे हुए। बसपा शासन में जब अयोध्या प्रकरण पर अदालती आदेश आया तो कहीं कोई अप्रिय घटना नहीं हुई। 

    जन लीडरः- सहारनपुर में मेडिकल काॅलेज का नाम बदला गया ? इस पर क्या कहेंगे ? 
    मुकेशः- यह एक गंदी सोच का प्रमाण है। जिस दिन बहनजी शपथ लेंगी, उस दिन मेडिकल काॅलेज की कायापलट हो जाएगी।



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    मैं देख रहा हूं बड़ा बदलावः संजय गर्ग 
    ‘जन लीडरः- इस बार के चुनाव को किस तरह देख रहे हैं। क्या किसी बड़े बदलाव के आसार हैं ? 
    संजय गर्गः- मेरा यह सातवां चुनाव है। मैं एक बड़ा परिवर्तन देख रहा हूं। पूरा व्यापारी समाज नोटबंदी से आहत है और भाजपा के खिलाफ मत देने का मन बना चुका है। 

    जन लीडरः- पंजाब और गोवा में रिकाॅर्ड मतदान हुआ। यहां भी इस बार काफी युवा मतदाता हैं। मतदान की स्थिति कैसी रहेगी ?
    संजयः- युवाओं में उत्साह और जोश है। मैं समझता हूं, निश्चित रूप से यहां मतदान प्रतिशत बढ़ेगा। 

    जन लीडरः- बीते ज्यादातर चुनाव में अंतिम वक्त पर धुव्रीकरण का खासा असर दिखाई देता रहा है। इस बार क्या होने जा रहा है ? 
    संजयः- ध्रुवीकरण पर नोटबंदी हावी है। लोगों के पेट पर चोट लगी है। सर्राफा व्यापारी आहत हैं। रियल स्टेट के लोगों का पूरा कारोबार जमींदोज हो गया है। हौजरी उद्योग घटकर 25 प्रतिशत रह गया है। लकड़ी कारोबार के एक्सपोर्ट आॅर्डर कैंसल हो रहे हैं। तमाम व्यापारी और बाजार ठंडे पड़े हैं। मोरगंज में व्यापारियों की बड़ी-बड़ी पंचायतें हो रही हैं। चूंकि, लोग आहत हैं और उनका रोजगार छीना गया है। इसलिए वे इस बात के लिए केंद्र सरकार को सजा देना चाहते हैं। 

    जन लीडरः- चुनाव के समय तमाम तरह की बातें सामने आती हैं। इस बार राम मंदिर का मुद्दा नए सिरे से चर्चा में है। क्या इससे मतदाता प्रभावित होंगे ? 
    संजयः- एक कारतूस, जो एक बार चल जाता है, मैं नहीं समझता, अब कोई उस पर दोबारा ध्यान देगा। चुनावी एजेंडे में मतदाताओं के बीच यह मामला किसी प्राथमिकता में नहीं है। 

    जन लीडरः- पिछले चुनाव में आपका प्रदर्शन अच्छा रहा लेकिन, आपकी अपनी बिरादरी यानी वैश्य समाज का इतना साथ आपको नहीं मिला, जिससे आपकी हार हुई। क्या इस बार यह तस्वीर बदलने वाली है ?
    संजयः- मैं तीन चुनाव हारा हूं। दंगा और धुव्रीकरण इसके बड़े कारण हैं। पिछली बार यानी, उपचुनाव से ऐन पहले गुरुद्वारा रोड प्रकरण को लेकर दंगा हुआ। इसके चलते, भाजपा लोगों के बीच नफरत की दीवारें खड़ी करने में कामयाब हो गई। परंतु इस बार ऐसा कोई माहौल नहीं है। 

    जन लीडरः- इस बार भी मतदाताओं को दिग्भ्रमित करने से लेकर उकसाने तक के प्रयास हो रहे हैं। आप मतदाताओं से क्या कहना चाहेंगे, जिससे वे निर्भीक होकर मतदान करें ?
    संजयः- निश्चित रूप से मतदाता अपना मन बना चुका है। भाजपा के पास तो कोई एजेंडा ही नहीं है और वह आम जनता के बीच बेनकाब हो चुकी है। खाली नफरत की दीवारों में बांटकर लोगों की भूख को दूर नहीं किया जा सकता। 



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