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    Tuesday 14 February 2017

    सज गया सियासी मैदान, होगा दिलचस्प इम्तिहान - UP Election 2017



    * दूसरे चरण में फिर कसौटी पर मुस्लिम फैक्टर  * देवबंदियों और बरेलवियों की ओर जमी निगाहें * वोटों के ‘धुव्रीकरण‘ से बदल सकती है तस्वीर * सपा-कांग्रेस और बसपा की साख कसौटी पर * भाजपा को मुस्लिम मतों के बंटवारे की उम्मीद 

    पवन शर्मा 
    सहारनपुर। यूपी के चुनावी अखाड़े में जारी सियासी ‘दंगल‘ का दूसरा दौर बेहद दिलचस्प रंगत में ढलता नजर आ रहा है। इस चरण में, सूबे के सीमांत जिले सहारनपुर सहित जिन 11 जिलों में वोट डाले जाने हैं, वहां एक बार फिर आम मतदाताओं के रुख पर तमाम निगाहें टिकी हैं। खासकर, मुस्लिम और दलित वोटरों का रुझान जानने की खातिर अलग ही ‘क्रेज‘ है। ऐसा इसलिए क्योंकि, एक तरफ जहां चुनाव के दौरान सपा-कांग्रेस गठबंधन और बसपा ने अल्पसंख्यक वोटरों पर ‘हकपरस्ती‘ जताने में कोई कमी नहीं छोड़ी है तो वहीं, दलित वोट बैंक को लेकर भी तस्वीर साफ नहीं हुई है। जबकि, भाजपा की उम्मीदों का पूरा दारोमदार एक बार फिर ‘धुव्रीकरण‘ के उसी दांव पर है, जिसे चुनावी माहौल में पहले भी बखूबी आजमाया जाता रहा है।   
    यूपी में जारी चुनावी मुहिम के दूसरे दौर में बुधवार को 11 जिलों की 67 सीटों पर मतदान होना है। पहले दौर में वेस्ट यूपी के जिन 15 जिलों की 73 सीटों पर रिकाॅर्ड 64 फीसदी मतदान हुआ, उनमें ज्यादातर को ‘जाटलैंड‘ का हिस्सा माना  जाता है। यही कारण रहा कि, भाजपा और रालोद सरीखे दलों ने इस दौर में खास तौर पर जाट वोटरों को अपने-अपने पाले में खींचने की खातिर एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया तो, कमोबेश इसी तर्ज पर अब चुनाव के दूसरे दौर में अल्पसंख्यक वोटों का रुझान जानने के लिए तमाम सियासी खेमों में अलग ही बेचैनी झलक रही है। चूंकि, दूसरे चरण में करीब 36 फीसदी मतदाता मुस्लिम हैं, जिसे देखते हुए सपा-कांग्रेस गठबंधन और बसपा, दोनों की ओर से यह बेहद अहम वोट बैंक अपने पाले में होने का दावा चुनाव प्रचार के अंतिम दौर तक दावा किया जाता रहा। दोनों ही पार्टियों ने इस बार मुस्लिम चेहरों को खासे टिकट भी दिए हैं। यह बात दीगर है कि, आम मुसलमान ने मतदान के ऐन पहले तक पत्ते नहीं खोले हैं, जिसे लेकर सियासी महारथियों के पसीने छूट रहे हैं। वे बखूबी जानते हैं कि इस दौर में मुस्लिम और दलित मतदाताओं के हाथ में उनकी किस्मत की चाबी है। 

    बात आंकड़ों की करें तो, इस दौर में शामिल कुल 11 जिलों में छह मुस्लिम बहुल हैं। सहारनपुर में यह ग्राफ करीब 42 फीसदी और है तो, रामपुर में सर्वाधिक 51 फीसदी मतदाता मुसलमान हैं। इसी तरह, मुरादाबाद में 47, बिजनौर में 43, अमरोहा में 41 और बरेली में करीब 35 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं। यही कारण है कि मुस्लिम वोट बैंक की इसी अहमियत को भांपते हुए इन जिलों की 67 सीटों पर बसपा ने सबसे ज्यादा 26, सपा-कांग्रेस गठबंधन ने 25 और रालोद ने 13 मुस्लिम चेहरों को टिकट दिया है। दिलचस्प पहलू यह है कि, इस चरण के तहत सहारनपुर जिले की देवबंद समेत कुल 13 सीटों पर सपा-कांग्रेस गठबंधन और बसपा के मुस्लिम उम्मीदवारों के बीच कांटे की लड़ाई है। तमाम कयासों के बावजूद, इन तमाम सीटों पर मुस्लिम वोट न केवल निर्णायक हैं बल्कि, यदि ऐन मौके पर उनमें बड़े पैमाने पर बंटवारे की स्थिति बनती है तो स्वाभाविक रूप से भाजपा को इसका लाभ मिल सकता है। वहीं, मुस्लिम वोटों के समीकरण को चुनावी नजरिए से परखने पर एक और दिलचस्प स्थिति यह उभर रही है कि, इस दौर में देवबंद और बरेली में एक साथ मतदान होना है। नतीजतन, चुनावी ऐतबार से इस दफा देवबंदी और बरेलवी, दोनों विचारधाराओं के मुसलमानों का वास्तविक रुख जानने की खातिर भी सियासी रणनीतिकार भरसक जोर लगा रहे हैं। इस्लाम के जानकारों की मानें तो, इस दौर में सहारनपुर और बिजनौर को छोड़कर शेष ज्यादातर जिलों में बरेलवी विचारधारा का अपेक्षाकृत अधिक जोर है। यानी आंकड़ों के लिहाज से करीब 80 फीसदी मुसलमान इस चुनाव में प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला करेंगे। लेकिन, आम मुसलमानों की सबसे बड़ी उलझन यह है कि, उसे देवबंद सरीखी कई सीटों पर इस बार सपा-कांग्रेस और बसपा सरीखे प्रमुख दलों की ओर से चुनाव में आमने-सामने उतारे गए दो-दो मुस्लिम प्रत्याशियों के बीच अपनी पसंद चुनने में तगड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। जबकि, इस स्थिति को लेकर भाजपा खासी खुश है क्योंकि, उसे मुस्लिम वोटों के बंटवारे का सबसे ज्यादा लाभ अपने ही हक में होने की उम्मीद है।  
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    ...क्या गुल खिलाएगा गठबंधन ?
    सहारनपुर। सूबे के जिन जिलों में बुधवार को मतदान होना है, वहां पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में इस बार सियासी तस्वीर खासी बदल चुकी है। एक तरफ जहां सपा व कांग्रेस इस बार ‘गठबंधन‘ धर्म निभा रही हैं वहीं, बसपा भी नई रणनीति के साथ चुनाव मैदान में है। इस चरण में, इन दोनों सियासी खेमों की साख दांव पर होगी। आंकड़ों के लिहाज से 2012 के विधानसभा चुनाव में इस दौर में शामिल कुल 67 सीटों में सबसे ज्यादा 34 सीटें समाजवादी पार्टी ने झटकी थीं तो बसपा ने 18, भाजपा ने 10, कांग्रेस ने तीन और अन्य ने केवल एक सीट पर कब्जा जमाया था। ऐसे में, सबकी निगाहें गठबंधन के प्रदर्शन पर टिकी हैं। 
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    Item Reviewed: सज गया सियासी मैदान, होगा दिलचस्प इम्तिहान - UP Election 2017 Rating: 5 Reviewed By: Sonali
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