कोलकाता: समाजवादी पार्टी में रोज नया विवाद सामने आ रहा है। बीते रविवार को पार्टी से बाहर निकाले गए किरणमय नंदा ने आरोप लगाया कि उनके निष्कासन से जुड़ी चिट्ठी में मुलायम सिंह यादव का दस्तखत 'फर्जी' है। नंदा पार्टी के सीनियर और संस्थापकों सदस्यों में थे और निकाले जाने से पहले वह पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद पर काम कर रहे थे। हालांकि, नंदा ने दावा किया कि वह अब भी इस पर कायम हैं, क्योंकि पार्टी के सदस्यों ने अखिलेश यादव को अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना है।
समाजवादी पार्टी में निष्कासन ड्रामे को गंभीर मोड़ देते हुए नंदा ने ईटी को बताया कि उन्हें पार्टी हाई कमान से निष्कासन की चिट्ठी या औपचारिक निर्देश नहीं मिला है। उन्होंने कहा, 'एक रिपोर्टर ने मुझे एक चिट्टी दिखाई, जिसमें मुझे निकाले जाने की बात थी और इस पर नेताजी का फर्जी दस्तखत था। मेरे पास नेताजी की कई चिट्ठियां हैं और मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि निष्कासन नोटिस में दस्तखत फर्जी है। यह दस्तखत बाकी दस्तावजों पर उनके हस्ताक्षर से बिल्कुल अलग है।'
नंदा समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में हैं। उन्होंने 1982 मे बंगाल सोशलिस्ट पार्टी की शुरुआत की थी और 1992 में अपनी पार्टी का विलय मुलायम सिंह यादव की पार्टी में किया था। समाजवादी पार्टी में जहां यादव फैमिली की एकता खतरे में है, वहीं अखिलेश के समर्थन को लेकर नंदा की राय पूरी तरह साफ है। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग अपने हितों की खातिर बीजेपी से मिल गए हैं और ये लोग पार्टी के भीतर परेशानी पैदा कर रहे हैं।
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