नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुड़गांव के एक प्राइवेट हॉस्पिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. केएस सचदेवा और डॉ. मनीष प्रभाकर पर हत्या के एक आरोपी पूर्व MLA को गिरफ्तारी से बचाने के लिए अस्पताल में भर्ती करने के लिए 1.40 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. शीर्ष कोर्ट ने अदालत की अवमानना के तहत यह जुर्माना लगाया है.
उच्चतम न्यायालय ने डॉ. केएस सचदेवा को 70 लाख और मनीष प्रभाकर को 70 लाख रुपये सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में जमा कराने के आदेश दिए हैं. इसके साथ ही 6 जुलाई को कोर्ट यह तय करेगा कि इस रकम का क्या किया जाए.
इस मामले में गुड़गांव के एक प्राइवेट हॉस्पिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर केएस सचदेवा और डॉक्टर मनीष प्रभाकर ने कोर्ट से बिना शर्त माफ़ी मांगी है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जुर्माने की रकम कोर्ट की रजिस्ट्री में जमा की जाए. इस पैसे का क्या इस्तेमाल किया जाए, इसपर सुझाव देने के लिए अदालत ने वीके बाली से सुझाव मांगा है.
दरअसल सीबीआई रिपोर्ट से पता चला है कि महम सीट से 2002 में जीते इनेलो के पूर्व विधायक बलबीर उर्फ बाली पहलवान ने हत्या के एक मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए गुड़गांव के निजी अस्पताल के दो डॉक्टरों की मदद ली थी. अस्पताल के मैनेजिंग डायरेक्टर ने बाली पहलवान को सुख-सुविधाओं के साथ 527 दिनों तक हॉस्पिटल में रखा. एक अन्य डॉक्टर ने भी मदद की.
कलानौर थाना पुलिस ने 6 मई 2011 को बाली कार्यकर्ताओं पर विष्णु नामक व्यक्ति की गोली मारकर हत्या करने और हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया था. इस मामले में बाली गिरफ्तार हुए और पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने 11 फरवरी 2013 को उन्हें जमानत दे दी. शिकायतकर्ता बेल रद्द कराने सुप्रीम कोर्ट पहुंचे तो 24 अक्टूबर, 2013 को जमानत रद्द करते हुए आत्मसमर्पण के आदेश दिए गए. इस पर बाली खुद को बीमार बताते हुए गुड़गांव के अस्पताल में दाखिल हो गए. उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी हुए. फिर सीताराम ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की. इसमें कहा गया कि बाली को कोई बीमारी नहीं है. इस पर कोर्ट ने सीबीआई जांच को कहा. सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि बाली पहलवान को कोई बीमारी नहीं है. वह अस्पताल के मैनेजिंग डायरेक्टर और मेडिकल अफसर की मदद से खुद को बीमार बता रहा है. बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने बाली पहलवान को गिरफ्तार किया था.
उच्चतम न्यायालय ने डॉ. केएस सचदेवा को 70 लाख और मनीष प्रभाकर को 70 लाख रुपये सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में जमा कराने के आदेश दिए हैं. इसके साथ ही 6 जुलाई को कोर्ट यह तय करेगा कि इस रकम का क्या किया जाए.
इस मामले में गुड़गांव के एक प्राइवेट हॉस्पिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर केएस सचदेवा और डॉक्टर मनीष प्रभाकर ने कोर्ट से बिना शर्त माफ़ी मांगी है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जुर्माने की रकम कोर्ट की रजिस्ट्री में जमा की जाए. इस पैसे का क्या इस्तेमाल किया जाए, इसपर सुझाव देने के लिए अदालत ने वीके बाली से सुझाव मांगा है.
दरअसल सीबीआई रिपोर्ट से पता चला है कि महम सीट से 2002 में जीते इनेलो के पूर्व विधायक बलबीर उर्फ बाली पहलवान ने हत्या के एक मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए गुड़गांव के निजी अस्पताल के दो डॉक्टरों की मदद ली थी. अस्पताल के मैनेजिंग डायरेक्टर ने बाली पहलवान को सुख-सुविधाओं के साथ 527 दिनों तक हॉस्पिटल में रखा. एक अन्य डॉक्टर ने भी मदद की.
कलानौर थाना पुलिस ने 6 मई 2011 को बाली कार्यकर्ताओं पर विष्णु नामक व्यक्ति की गोली मारकर हत्या करने और हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया था. इस मामले में बाली गिरफ्तार हुए और पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने 11 फरवरी 2013 को उन्हें जमानत दे दी. शिकायतकर्ता बेल रद्द कराने सुप्रीम कोर्ट पहुंचे तो 24 अक्टूबर, 2013 को जमानत रद्द करते हुए आत्मसमर्पण के आदेश दिए गए. इस पर बाली खुद को बीमार बताते हुए गुड़गांव के अस्पताल में दाखिल हो गए. उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी हुए. फिर सीताराम ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की. इसमें कहा गया कि बाली को कोई बीमारी नहीं है. इस पर कोर्ट ने सीबीआई जांच को कहा. सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि बाली पहलवान को कोई बीमारी नहीं है. वह अस्पताल के मैनेजिंग डायरेक्टर और मेडिकल अफसर की मदद से खुद को बीमार बता रहा है. बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने बाली पहलवान को गिरफ्तार किया था.
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