नई दिल्ली: नीति आयोग ने 2024 से लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने का सुझाव दिया है जिससे कि प्रचार मोड के कारण शासन व्यवस्था में पड़ने वाले व्यवधान को कम किया जा सके.ये भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि चुनावों को लेकर कम से कम कैम्पेन किया जाए ताकि सरकारी काम में दिक्कत न हो. कुछ असेंबलियों का कार्यकाल बढ़ सकता है.
मीडिया सूत्रों के मुताबिक पॉलिसी थिंक टैंक यानी नीति आयोग ने कहा है कि अगर सुझावों पर अमल किया जाता है तो इसमें अधिकतम एक बार की काट-छांट करनी पड़ेगी या फिर कुछ विधानसभाओं का कार्यकाल बढ़ाना पड़ सकता है.
और पढ़ें:लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ कराने से खर्च में आएगी कमी : राष्ट्रपति
नीति आयोग के सुझावों के देखते हुए इलेक्शन कमीशन ने देश में एकसाथ चुनाव का रोडमैप बनाने के लिए एक वर्किंग ग्रुप बनाने को कहा है.
2017-18 और 2018-20 तक 3 साल का एजेंडा तैयार किया जाएगा
इस पर रिपोर्ट 6 महीने में आ जाएगी और अगले साल मार्च तक अंतिम रूप से ब्लूप्रिंट तैयार हो जाएगा. इसमें 2017-18 और 2018-20 तक 3 साल का एजेंडा तैयार किया जाएगा.नीति आयोग की ड्राफ्ट रिपोर्ट के मुताबिक, 'भारत में सभी चुनाव फ्री और फेयर तरीके से और एकसाथ होने चाहिए. ताकि कम कैम्पेन हो और सरकारी काम में बाधा न पड़े.'
ये भी पढ़ें:पीएम मोदी ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ-साथ कराने पर दिया जोर
आयोग का कहना है कि हम वर्ष 2024 के चुनाव से इस दिशा में काम शुरू कर सकते हैं. इस साल गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर मुखर्जी ने अपने भाषण में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव को एकसाथ करवाने की वकालत की थी.
मोदी ने फरवरी में एकमुश्त चुनाव करवाने की वकालत करते हुए कहा था कि एकसाथ चुनाव से सभी को थोड़ा बहुत नुकसान होगा, हमें भी नुकसान होगा.
उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से अपील की थी कि वे इस विचार को राजनीति के संकीर्ण चश्मे से न देखें और सभी लोग सहयोग करें क्योंकि एक पार्टी या सरकार इसे नहीं कर सकती. हमें मिलकर एक रास्ता तलाशना होगा
मीडिया सूत्रों के मुताबिक पॉलिसी थिंक टैंक यानी नीति आयोग ने कहा है कि अगर सुझावों पर अमल किया जाता है तो इसमें अधिकतम एक बार की काट-छांट करनी पड़ेगी या फिर कुछ विधानसभाओं का कार्यकाल बढ़ाना पड़ सकता है.
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नीति आयोग के सुझावों के देखते हुए इलेक्शन कमीशन ने देश में एकसाथ चुनाव का रोडमैप बनाने के लिए एक वर्किंग ग्रुप बनाने को कहा है.
2017-18 और 2018-20 तक 3 साल का एजेंडा तैयार किया जाएगा
इस पर रिपोर्ट 6 महीने में आ जाएगी और अगले साल मार्च तक अंतिम रूप से ब्लूप्रिंट तैयार हो जाएगा. इसमें 2017-18 और 2018-20 तक 3 साल का एजेंडा तैयार किया जाएगा.नीति आयोग की ड्राफ्ट रिपोर्ट के मुताबिक, 'भारत में सभी चुनाव फ्री और फेयर तरीके से और एकसाथ होने चाहिए. ताकि कम कैम्पेन हो और सरकारी काम में बाधा न पड़े.'
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आयोग का कहना है कि हम वर्ष 2024 के चुनाव से इस दिशा में काम शुरू कर सकते हैं. इस साल गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर मुखर्जी ने अपने भाषण में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव को एकसाथ करवाने की वकालत की थी.
मोदी ने फरवरी में एकमुश्त चुनाव करवाने की वकालत करते हुए कहा था कि एकसाथ चुनाव से सभी को थोड़ा बहुत नुकसान होगा, हमें भी नुकसान होगा.
उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से अपील की थी कि वे इस विचार को राजनीति के संकीर्ण चश्मे से न देखें और सभी लोग सहयोग करें क्योंकि एक पार्टी या सरकार इसे नहीं कर सकती. हमें मिलकर एक रास्ता तलाशना होगा
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