नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने ईवीएम मशीन पर सवाल उठाने वाले नेताओं की बोलती बंद करने वाला कदम उठा लिया है. वर्ष 2019 में होने वाला देश का अगला लोकसभा चुनाव पूरी तरह वीवीपैट (Voter Vefiable Paper Audit Trail) मशीनों के जरिए ही होगा. वीवीपैट मशीन से वोटर खुद ही यह देख सकेगा कि उसने जिसको वोट दिया था उसी को वोट मिला या नहीं. जरूरत होने पर वोट डालते समय निकले वाली पर्ची से दोबारा गिनती करके उसे ईवीएम के नतीजे से मिलाया भी जा सकेगा.
केंद्रीय सरकार ने वीवीपैट के लिए 3173 करोड़ 47 लाख रुपये की मंजूरी दी, और चुनाव आयोग ने बिना देर किए मशीनें बनाने का ऑर्डर देश की दो एक्सपर्ट कम्पनियों को सौंप दिया. दोनों पीएसयू कम्पनियां ECIL और BEL को 8 लाख 7 हज़ार 500 मशीनें तैयार करने का ऑर्डर आयोग ने दिया है. आयोग ने 21 अप्रैल को जारी किए गए आदेश पत्र में दोनों कंपनियों को सख्त ताकीद भी की है कि एक्सपर्ट कमेटियों द्वारा मंज़ूर सुरक्षा मानकों और डिजाइन का पूरा ध्यान रखा जाए. आयोग ने दोनों कंपनियों के सीएमडी के नाम जारी पत्र में सितंबर 2018 तक मशीनों की सप्लाई करने को कहा है. ताकि टेक्निकल एक्सपर्ट टीम उनकी जांच तमाम कसौटियों पर करते हुए अपनी तसल्ली कर ले.
वीवीपैट मशीनों के लिए चुनाव आयोग को सरकार से 12 बार चिट्ठी लिखकर आर्थिक मंजूरी की गुहार लगानी पड़ी. आयोग 2013 में वीवीपैट वाली मशीनों से ही आम चुनाव कराने का सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद यूपीए और फिर एनडीए सरकार को चिट्ठी लिखकर बजट की व्यवस्था करने की मांग करता रहा है. अब जाकर केंद्र सरकार ने बजट की मंजूरी दी. अभी हाल में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद बीएसपी, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने ईवीएम मशीन को लेकर सवाल उठाए थे और कहा था कि हो सकता है बीजेपी को जिताने के लिए इन मशीनों में छेड़छाड़ की गई हो. हालांकि सरकार और निवार्चन आयोग दोनों ने ये बार-बार कहा था कि ईवीएम मशीन पूरी तरह से भरोसेमंद हैं और इन से छेड़छाड़ करना नामुमकिन है.
गौरतलब है कि चुनाव आयोग के 21 मार्च को लिखी चिट्ठी ने असर दिखाया और पिछली कैबिनेट की बैठक में 3173.47 करोड़ रुपये की मंजूरी 2016-17 से 2018-19 वित्तीय वर्ष के लिए दे दी. बजट की मंजूरी मिलते ही आयोग ने भी फौरन वीवीपैट युक्त ईवीएम मशीनें बनने का आर्डर कर दिया.
गौरतलब है कि वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा के आमचुनाव में हर बूथ के ईवीएम में वीवीपैट की सुविधा होने की संभावना है. हमारा गणतंत्र चाक -चौबंद सुरक्षा तंत्र वाले स्वच्छ व निष्पक्ष मतदान की ओर एक कदम और आगे बढ़ जाएगा. अपने मजबूत कदमों के निशान छोड़ते हुए जिन पर दुनिया चल सके.
केंद्रीय सरकार ने वीवीपैट के लिए 3173 करोड़ 47 लाख रुपये की मंजूरी दी, और चुनाव आयोग ने बिना देर किए मशीनें बनाने का ऑर्डर देश की दो एक्सपर्ट कम्पनियों को सौंप दिया. दोनों पीएसयू कम्पनियां ECIL और BEL को 8 लाख 7 हज़ार 500 मशीनें तैयार करने का ऑर्डर आयोग ने दिया है. आयोग ने 21 अप्रैल को जारी किए गए आदेश पत्र में दोनों कंपनियों को सख्त ताकीद भी की है कि एक्सपर्ट कमेटियों द्वारा मंज़ूर सुरक्षा मानकों और डिजाइन का पूरा ध्यान रखा जाए. आयोग ने दोनों कंपनियों के सीएमडी के नाम जारी पत्र में सितंबर 2018 तक मशीनों की सप्लाई करने को कहा है. ताकि टेक्निकल एक्सपर्ट टीम उनकी जांच तमाम कसौटियों पर करते हुए अपनी तसल्ली कर ले.
वीवीपैट मशीनों के लिए चुनाव आयोग को सरकार से 12 बार चिट्ठी लिखकर आर्थिक मंजूरी की गुहार लगानी पड़ी. आयोग 2013 में वीवीपैट वाली मशीनों से ही आम चुनाव कराने का सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद यूपीए और फिर एनडीए सरकार को चिट्ठी लिखकर बजट की व्यवस्था करने की मांग करता रहा है. अब जाकर केंद्र सरकार ने बजट की मंजूरी दी. अभी हाल में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद बीएसपी, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने ईवीएम मशीन को लेकर सवाल उठाए थे और कहा था कि हो सकता है बीजेपी को जिताने के लिए इन मशीनों में छेड़छाड़ की गई हो. हालांकि सरकार और निवार्चन आयोग दोनों ने ये बार-बार कहा था कि ईवीएम मशीन पूरी तरह से भरोसेमंद हैं और इन से छेड़छाड़ करना नामुमकिन है.
गौरतलब है कि चुनाव आयोग के 21 मार्च को लिखी चिट्ठी ने असर दिखाया और पिछली कैबिनेट की बैठक में 3173.47 करोड़ रुपये की मंजूरी 2016-17 से 2018-19 वित्तीय वर्ष के लिए दे दी. बजट की मंजूरी मिलते ही आयोग ने भी फौरन वीवीपैट युक्त ईवीएम मशीनें बनने का आर्डर कर दिया.
गौरतलब है कि वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा के आमचुनाव में हर बूथ के ईवीएम में वीवीपैट की सुविधा होने की संभावना है. हमारा गणतंत्र चाक -चौबंद सुरक्षा तंत्र वाले स्वच्छ व निष्पक्ष मतदान की ओर एक कदम और आगे बढ़ जाएगा. अपने मजबूत कदमों के निशान छोड़ते हुए जिन पर दुनिया चल सके.
0 comments:
Post a Comment