नई दिल्ली: आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2017 के लिए टीम घोषित करने की डेडलाइन आज यानी 25 अप्रैल की है. आईसीसी ने चैंपियंस ट्रॉफी में शिरकत कर रहे सभी देशों को निर्देश दिए थे कि वो आज तक अपनी-अपनी टीम की घोषणा कर दें. लगभग सभी देश टीम का चयन कर भी चुके हैं. लेकिन बीसीसीआई ने न तो अब तक भारतीय टीम का चयन किया है, न ही फिलहाल दो दिन तक ऐसा करने के मूड में है. इसका कारण है आईसीसी का नया वित्तीय मॉडल.
दरअसल बीसीसीआई,आईसीसी के नए वित्तीय मॉडल से सहमत नहीं है. इस मॉडल के विरोध में बीसीसीआई चैंपियंस ट्रॉफी के बहिष्कार की भी धमकी दे चुका है. इस मॉडल को लागू करने या न करने को लेकर अंतिम फैसला आईसीसी की दुबई में जारी बैठक में होगा, जो 27 अप्रैल को खत्म हो रही है. इस बैठक के खत्म होने के बाद जो फैसला आएगा, उसी के आधार पर बीसीसीआई टीम का चयन करने या न करने का फैसला लेगा.
क्रिकेट की दुनिया में तीन देशों का राज चलता है. भारत, इंग्लैण्ड और ऑस्ट्रेलिया. इन तीनों देश को क्रिकेट का ‘बिग थ्री’ कहा जाता है. आईसीसी के पिछले वित्तीय मॉडल के आधार पर बिग थ्री को मिलने वाले राजस्व का प्रतिशत बाकी देशों को मिलने वाले राजस्व प्रतिशत से ज्यादा था. इन तीन क्रिकेट बोर्ड के पास बेतहाशा पैसा होने का भी यही कारण था.
लेकिन अब आईसीसी ने इस मॉडल को बदलकर हर सदस्य देश का राजस्व बराबर करने का मूड बना लिया है. बीसीसीआई इसके विरोध में है. उसका तर्क है कि क्रिकेट को सबसे ज्यादा मुनाफा, सबसे ज्यादा लोकप्रियता और अन्य मदों से सबसे ज्यादा लाभ ये तीन देश ही देते हैं, इसलिए इनको कुछ अतिरिक्त लाभ देने में आईसीसी को हर्ज नहीं होना चाहिए.
दरअसल बीसीसीआई,आईसीसी के नए वित्तीय मॉडल से सहमत नहीं है. इस मॉडल के विरोध में बीसीसीआई चैंपियंस ट्रॉफी के बहिष्कार की भी धमकी दे चुका है. इस मॉडल को लागू करने या न करने को लेकर अंतिम फैसला आईसीसी की दुबई में जारी बैठक में होगा, जो 27 अप्रैल को खत्म हो रही है. इस बैठक के खत्म होने के बाद जो फैसला आएगा, उसी के आधार पर बीसीसीआई टीम का चयन करने या न करने का फैसला लेगा.
क्रिकेट की दुनिया में तीन देशों का राज चलता है. भारत, इंग्लैण्ड और ऑस्ट्रेलिया. इन तीनों देश को क्रिकेट का ‘बिग थ्री’ कहा जाता है. आईसीसी के पिछले वित्तीय मॉडल के आधार पर बिग थ्री को मिलने वाले राजस्व का प्रतिशत बाकी देशों को मिलने वाले राजस्व प्रतिशत से ज्यादा था. इन तीन क्रिकेट बोर्ड के पास बेतहाशा पैसा होने का भी यही कारण था.
लेकिन अब आईसीसी ने इस मॉडल को बदलकर हर सदस्य देश का राजस्व बराबर करने का मूड बना लिया है. बीसीसीआई इसके विरोध में है. उसका तर्क है कि क्रिकेट को सबसे ज्यादा मुनाफा, सबसे ज्यादा लोकप्रियता और अन्य मदों से सबसे ज्यादा लाभ ये तीन देश ही देते हैं, इसलिए इनको कुछ अतिरिक्त लाभ देने में आईसीसी को हर्ज नहीं होना चाहिए.
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