-जिला अस्पताल में कई कर्मचारी सेवानिवृत्ति के बाद भी नहीं छोड़ रहे आवास
- परिसर में कई मकानों के अलाटमेंट किसी और के नाम रह रहे रिश्तेदार
अमित गुप्ता
सहारनपुर।
- परिसर में कई मकानों के अलाटमेंट किसी और के नाम रह रहे रिश्तेदार
अमित गुप्ता
सहारनपुर।
जिला अस्पताल अपनी कार्यशैली के लिए समय-समय पर चर्चा में रहता है। यहां कई कर्मचारी ऐसे है जिन्हें रिटायर्ड हुए सालों बीत गए है, परंतु इन कर्मचारियों को मोह सरकारी आवासों से नहीं छुट रहा है। हैरानी की बात ये है कि कुछ आवास ऐसे है जो अलाटमेंट किसी को हुए है और वहां रह कोई और रहा है। कई कर्मचारी ऐसे है जो सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त तो हो गए परंतु आपसी सांठ-गांठ के चलते वहीं पर संविदा पर नौकरी कर रहे है। यहीं नहीं इन कर्मचारियों ने अपने परिजनों ने अवैध रूप से अस्पताल परिसर में परचून की दुकानें भी खुलवा रखी है। परंतु इस और अस्पताल प्रशासन शिकायतों के बाद भी ध्यान नहीं दे रहा है।
प्रमुख चिकित्सक के यहां संविदा पर कार्यरत मांगेराम 30 जून 2016 को सेवानिवृत्त हो चुका है परंतु स्वास्थ्य विभाग में अपने तालमेल की वजह से वह फिर दोबार सीएमओ की गाड़ी पर दोबारा संविदा पर उनकी गाड़ी चला रहा है। यहीं नहीं इतने महीने सेवानिवृत्ति होने के बाद भी इसने सरकारी आवास नहीं छोड़ा है। सूत्रों की माने तो यह सरकारी आवास को इसलिए नहीं छोड़ रहा है क्योंकि ये सरकारी आवास उसके भाई प्रमोद जो की वाहन चालक के पद पर अस्पताल में ही तैनात है उसके नाम पर है। वहीं प्रमोद अस्पताल परिसर से बाहर मकान किराये पर लेकर रह रहा है। सूत्र बताते है कि मांगेराम ने अपनी तीन लडक़ी, पत्नी तक को संविदा पर जिला अस्पताल में लगवा रखा है और अवैध रूप से इसने परिसर में ही परचून की दुकान चला रखी है।
वहीं दूसरी और शिवकुमार भी वाहन चालक के पद से लगभग दो साल पहले रिटायर हो चुका है। इसका भी यही हाल है इसने भी अपने भाई सुरेश कुमार के नाम सरकारी आवास अलाटमेंट करा रखा है और ये खुद अपने निजी आवास में बाहर रहता है। इसने भी अस्पताल परिसर में अवैध रूप से परचून की दुकान चला रखी है। हैरानी की बात ये है कि इन लोगों को जो सरकारी मकान अलाट है उनका विभाग द्वारा एचआरए नहीं काटा जा रहा है। जब सरकारी अस्पताल के अधिकारी ही इस प्रकार से नियम कानून की धज्जियां उड़ायेंगे तो फिर किस प्रकार से लोगों को वे कानून का पालन करने को कह सकते है। पूर्व में भी इनकी शिकायतें कर्मचारियों द्वारा अस्पताल प्रशासन को की जा चुकी है परंतु कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है।
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क्या नियम
सरकारी विभाग से यदि कोई कर्मचारी सेवानिवृत्त होता है तो उसके लिए सरकारी आवास को खाली करने की समय अवधि छह माह होती है। यदि वह किसी कारणवश ऐसा नहीं करता है तो उसे विभाग से लिखित में अनुमति लेनी होती है और ये विभाग के विवेक पर निर्भर है कि वह उस कर्मचारी की परिस्थिति को देखते हुए उसको सरकारी आवास में रहने की अवधि दे या ना दे। परंतु छह माह के बाद उससे आवास का किराया वसूला जाता है।
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इंसेट
जब इस बाबत सीएमओ बीएस सोढी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि ये कर्मचारी जल्द ही सरकारी आवास को खाली कर देंगे। यदि इनके द्वारा कोई भी अवैध रूप से कार्य हो रहे है उनकी जांच करके सख्त कार्रवाई की जायेगी और संविदाकर्मियों को हम सरकारी आवास अलाट कर देते है जिससे बिल्डिंग का मेंटिनेंस बना रहे।
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