नई दिल्ली/कोलकाता: सुप्रीम कोर्ट द्वारा अवमानना के मामले में छह माह के लिए जेल की सजा सुनाने के बाद से कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस सी.एस.कर्णन गायब हो गए. कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक कर्णन के देश से भागने की आशंका जताई जा रही है, हालांकि इस बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिल सकी है.
इससे पहले न्यायालय की अवमानना मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा छह महीने जेल की सजा पाए कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सी.एस.कर्णन आखिर गए कहां, यह बुधवार (10 मई) को पहेली बनी रही. पश्चिम बंगाल पुलिस बुधवार (10 मई) को चेन्नई पहुंची. चेन्नई में कुछ सूत्रों ने कहा कि वह राज्य के गेस्ट हाउस से आंध्र प्रदेश के श्रीकालाहस्ती स्थित शिव मंदिर के लिए निकले हैं. लेकिन, यहां से 120 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मंदिर के एक अधिकारी ने टेलीफोन पर आईएएनएस से कहा कि न्यायाधीश का कोई अता-पता नहीं है.
अधिकारी ने कहा, "वह न तो कल (मंगलवार, 9 मई) और न ही आज (बुधवार, 10 मई) यहां पहुंचे हैं. हमें इस बारे में कोई जानकारी नहीं कि वह कल गुरुवार (11 मई) को मंदिर पहुंचेंगे या नहीं." मंदिर के एक अन्य अधिकारी ने इससे पहले कहा था कि न्यायमूर्ति कर्णन बुधवार (10 मई) शाम तक श्रीकालहस्ती पहुंचकर गुरुवार सुबह मंदिर में दर्शन करने वाले हैं.
कोलकाता के अपने घर से निकलने के बाद न्यायमूर्ति कर्णन मंगलवार (9 मई) को चेन्नई गेस्ट हाउस पहुंचे. न्यायमूर्ति ने अभी आधिकारिक तौर पर कमरा नहीं छोड़ा है और उनका बिल अभी बकाया है. अधिकारियों ने बताया कि कर्णन के साथ आए दो अन्य वकीलों से भी गेस्ट हाउस में उनके कमरे खाली करने को कहा गया है.
सर्वोच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक को तत्काल न्यायमूर्ति कर्णन की गिरफ्तारी के आदेश पर अमल करने के लिए एक टीम गठित करने का आदेश दिया है. सर्वोच्च न्यायालय ने मीडिया पर भी न्यायमूर्ति कर्णन की किसी भी टिप्पणी को प्रकाशित करने पर रोक लगा दी है. उन्हें भारत के प्रधान न्यायाधीश समेत शीर्ष न्यायालय के न्यायाधीशों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाने के मामले में अवमानना का दोषी ठहराया गया है.
इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार (9 मई) को एक अप्रत्याशित आदेश में कलकत्ता उच्च न्यायालय के विवादास्पद न्यायाधीश न्यायमूर्ति सी एस कर्णन को न्यायालय की अवमानना का दोषी ठहराते हुये उन्हें छह महीने के जेल की सजा सुनायी. न्यायालय ने पश्चिम बंगाल के डीजीपी को न्यायमूर्ति कर्णन को तत्काल हिरासत में लेने का आदेश दिया. न्यायमूर्ति कर्णन उच्च न्यायालय के पहले पीठासीन न्यायाधीश होंगे जिन्हें अवमानना के आरोपों में शीर्ष अदालत जेल भेजेगी. शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों में इस बात पर सर्वसम्मति थी कि उन्हें जेल भेजा जा सकता है.
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जगदीश सिंह खेहर की अध्यक्षता वाली सात सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा, ‘‘सर्वसम्मति से हमारा यह मत है कि न्यायमूर्ति सी एस कर्णन ने न्यायालय की अवमानना, न्यायपालिका और इसकी प्रक्रिया की अवमानना की है.’’ संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर, न्यायमूर्ति पी सी घोष और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ शामिल हैं. संविधान पीठ ने कहा कि वह इस बात से संतुष्ट है कि न्यायमूर्ति कर्णन को छह महीने की जेल की सजा दी जानी चाहिए.छह माह के लिए जेल की सजा सुनाने के बाद कर्णन के देश से भागने की आशंका - justice cs karnan missing or left india
इससे पहले न्यायालय की अवमानना मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा छह महीने जेल की सजा पाए कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सी.एस.कर्णन आखिर गए कहां, यह बुधवार (10 मई) को पहेली बनी रही. पश्चिम बंगाल पुलिस बुधवार (10 मई) को चेन्नई पहुंची. चेन्नई में कुछ सूत्रों ने कहा कि वह राज्य के गेस्ट हाउस से आंध्र प्रदेश के श्रीकालाहस्ती स्थित शिव मंदिर के लिए निकले हैं. लेकिन, यहां से 120 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मंदिर के एक अधिकारी ने टेलीफोन पर आईएएनएस से कहा कि न्यायाधीश का कोई अता-पता नहीं है.
अधिकारी ने कहा, "वह न तो कल (मंगलवार, 9 मई) और न ही आज (बुधवार, 10 मई) यहां पहुंचे हैं. हमें इस बारे में कोई जानकारी नहीं कि वह कल गुरुवार (11 मई) को मंदिर पहुंचेंगे या नहीं." मंदिर के एक अन्य अधिकारी ने इससे पहले कहा था कि न्यायमूर्ति कर्णन बुधवार (10 मई) शाम तक श्रीकालहस्ती पहुंचकर गुरुवार सुबह मंदिर में दर्शन करने वाले हैं.
कोलकाता के अपने घर से निकलने के बाद न्यायमूर्ति कर्णन मंगलवार (9 मई) को चेन्नई गेस्ट हाउस पहुंचे. न्यायमूर्ति ने अभी आधिकारिक तौर पर कमरा नहीं छोड़ा है और उनका बिल अभी बकाया है. अधिकारियों ने बताया कि कर्णन के साथ आए दो अन्य वकीलों से भी गेस्ट हाउस में उनके कमरे खाली करने को कहा गया है.
सर्वोच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक को तत्काल न्यायमूर्ति कर्णन की गिरफ्तारी के आदेश पर अमल करने के लिए एक टीम गठित करने का आदेश दिया है. सर्वोच्च न्यायालय ने मीडिया पर भी न्यायमूर्ति कर्णन की किसी भी टिप्पणी को प्रकाशित करने पर रोक लगा दी है. उन्हें भारत के प्रधान न्यायाधीश समेत शीर्ष न्यायालय के न्यायाधीशों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाने के मामले में अवमानना का दोषी ठहराया गया है.
इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार (9 मई) को एक अप्रत्याशित आदेश में कलकत्ता उच्च न्यायालय के विवादास्पद न्यायाधीश न्यायमूर्ति सी एस कर्णन को न्यायालय की अवमानना का दोषी ठहराते हुये उन्हें छह महीने के जेल की सजा सुनायी. न्यायालय ने पश्चिम बंगाल के डीजीपी को न्यायमूर्ति कर्णन को तत्काल हिरासत में लेने का आदेश दिया. न्यायमूर्ति कर्णन उच्च न्यायालय के पहले पीठासीन न्यायाधीश होंगे जिन्हें अवमानना के आरोपों में शीर्ष अदालत जेल भेजेगी. शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों में इस बात पर सर्वसम्मति थी कि उन्हें जेल भेजा जा सकता है.
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जगदीश सिंह खेहर की अध्यक्षता वाली सात सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा, ‘‘सर्वसम्मति से हमारा यह मत है कि न्यायमूर्ति सी एस कर्णन ने न्यायालय की अवमानना, न्यायपालिका और इसकी प्रक्रिया की अवमानना की है.’’ संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर, न्यायमूर्ति पी सी घोष और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ शामिल हैं. संविधान पीठ ने कहा कि वह इस बात से संतुष्ट है कि न्यायमूर्ति कर्णन को छह महीने की जेल की सजा दी जानी चाहिए.छह माह के लिए जेल की सजा सुनाने के बाद कर्णन के देश से भागने की आशंका - justice cs karnan missing or left india
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