-मान्यता एक स्कूल की चल रहे तीन स्कूल- राइट टू एजुकेशन का नहीं हो सही तरीके से प्रयोग- अभिभावकों से अतिरिक्त शुल्क लेकर कर रहे परेशानअमित गुप्ता
सहारनपुर। राइट टु एजुकेशन के तहत होने वाले दाखिलों की लिस्ट लगने के बाद भी यहां के स्कूल चुनौती बने हुए है। कई परिजन ऐसे है जिन्होंने अपने बच्चों का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन भी करा दिया और उनके बच्चें को एडमिशन भी कंफोर्म हो गया। परंतु इसके बावजूद भी यहां के स्कूल बच्चों के एडमिशन को साफ-साफ मना कर रहे है।
गौरतलब है कि राइट टु एजुकेशन के माध्यम से कई ऐसे स्कूलों का पता चला है जो कि मान्यता तो कक्षा एक से कक्षा पांच तक की लिए बैठे है, यदि स्कूल का मौका मुआयना किया जाए तो वहां केजी से लेकर आठ तक के बच्चों को शिक्षा दी जा रही है। पुल खुमरान स्थित स्वामी रामतीर्थ स्कूल के मालिक विरेंद्र कुमार सैनी की दादागिरी इतनी बढ़ गई है कि वह शासन-प्रशासन से आये निर्देशों को ताक पर रखते हुए बच्चों का एडमिशन नहीं कर रहे है। साथ ही अभिभावकों को दादागिरी दिखाकर उन्हें स्कूल से भगा रहे है। वहीं इस स्कूल में बच्चों के अभिभावकों से अतिरिक्त शुल्क वसूला जा रहा है। यदि कोई बच्चों स्कूल में पास होकर अपनी टीसी मांगता है तो स्कूल प्रशासन उनसे पांच से एक हजार रूपये तक वसूल रहा है। एक अभिभावक ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि उसके बेटे का एडमिशन स्वामी रामतीर्थ स्कूल में राइट टु एजेकेशन के तहत केजी कक्षा में होना था, परंतु स्कूल का प्रधानाचार्य शासन से आई लिस्ट से भी एडमिशन नहीं कर रहा है। इसे विडंबना ही कहेंगे की जहंा सरकार गरीब बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा पर जोर लगा रही है। जिससे कोई भी बिना पढ़े ना रहे, परंतु ऐसे स्कूल व उनके संचालक गरीब बच्चों को व उनके माता पिता को आघात पहुंचा रहे है।
बीएसए विभाग में ऐसी शिकायतों का अंबार लगा है। जिनके बच्चों को राइट टु एजुकेशन के तहत दाखिले नहीं दिए जा रहे है। परंतु प्रशासन का इस और ध्यान नहीं है। ऐसे में बच्चों के अभिभावक बस बीएस विभाग के चक्कर ही काट रहे है। ये एक स्कूल का मामला नहीं है जिसमें बच्चों के अभिभावकों को एडमिशन के लिए परेशान किया जा रहा है। ऐसे दर्जनों स्कूल है जहां अभिभावक अपने बच्चों का एडमिशन कराने के लिए चक्कर काट रहे है। हैरानी की बात ये है कि इस स्कूल मालिक के कुल तीन स्कूल चल रहे है। आरटी पब्लिक स्कूल व एसएसटी पब्लिक स्कूल ये तीनों स्कूल एक ही मालिक है। गौरतलब है कि कुछ शिक्षा से जुड़े कुछ लोगों ने शिक्षा का धंधा बना लिया है। जिले में ऐसे स्कूलों की संख्या दर्जनों के पार है जो एक मान्यता लेकर कई-कई स्कूलों से बिजनेस कर रहे है। काबिल-ए-गौर ये है कि इतने बड़े पैमाने पर जिले में शिक्षा के नाम पर बच्चों के अभिभावकों से लूट हो रही है। परंतु प्रशासन शान्त बैठा है, जब इस मसले पर संबंधित अधिकारियों से बात की जाती है तो उनका वहीं पारम्परिक बयान होता है कि जांच करेंगे, पर होता कुछ नहीं जिससे इन शिक्षा माफियों के सिर बुलंद हो रहे है। अब देखना ये है कि जिन अभिभावकों के बच्चों के नाम राइट टू एजुकेशन के तहत लिस्ट में आ चुके है वे इन शिक्षा माफियाओं से किस प्रकार से बच्चों के दाखिले दिला पायेंगे।
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