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    Tuesday 14 February 2017

    कमल खिलाने की आस पर भारी भाजपा की ‘भितरघात‘ - BJP in up election


    * शहर सीट पर कमजोर है भाजपा की चुनावी मुहिम * ‘ओवर काॅन्फिडेंस‘ के शिकार बन रहे पार्टी प्रत्याशी * शहर में एक भी बड़े स्टार प्रचारक ने नहीं की सभा * पार्टी सांसद तक ने निभाई प्रचार की औपचारिकता * अब केवल वोटों के ‘धुव्रीकरण‘ पर पार्टी का फोकस 


    पवन शर्मा 
    सहारनपुर। इस बार, विधानसभा चुनाव के घमासान में वेस्ट यूपी की कई अहम सीटों पर ‘पछुआ‘ हवाओं का रुख शायद भाजपा की ओर नहीं है। सहारनपुर नगर पर भी यही नजारा है। यहां एक तरफ पार्टी की पूरी चुनावी मुहिम ‘भितरघात‘ समेत तमाम चुनौतियों के ‘चक्रव्यूह‘ से घिरी है तो वहीं पार्टी प्रत्याशी ‘ओवर काॅन्फिडेंस‘ के शिकार हैं। शायद यही वजह है कि, इस बार न तो उनके समर्थन में कोई बड़ी चुनावी जनसभा हुई और न किसी स्टार प्रचारक ने यहां मोर्चा संभाला। और तो और, पार्टी सांसद समेत कई प्रमुख नेता भी यहां चुनाव प्रचार में औपचारिकता निभाते नजर आए। लिहाजा, अब पार्टी की उम्मीदें एक बार फिर वोटों के ‘धुव्रीकरण‘ रूपी उसी पुराने ‘तीर‘ पर टिकी हैं, जिसे उसने चुनाव-दर-चुनाव आजमाया है।   

    सूबे के सीमांत जिले सहारनपुर की शहर सीट पर फिलहाल भाजपा का कब्जा है। पार्टी की ओर से यहां फिर उन्हीं राजीव गुम्बर पर दांव खेला गया है, जो 2014 में भाजपा सांसद राघव लखनपाल शर्मा की ओर से खाली की गई सीट पर मोदी लहर के जादू की बदौलत जीत दर्ज करने में सफल रहे थे। काबिल-ए-गौर पहलू यह है कि, उपचुनाव की तर्ज पर एक बार फिर गुम्बर का मुकाबला सपा-कांग्रेस गठबंधन के संयुक्त प्रत्याशी संजय गर्ग से माना जा रहा है। पिछले चुनाव में सपा के टिकट पर लड़े संजय को शहर सीट के कुल 3,92,760 वोट में लगभग 82 हजार वोट मिले थे जबकि गुम्बर उनसे करीब 25 हजार वोटों से जीते थे। हालांकि, तब बसपा चुनाव मैदान में नहीं थी जबकि, कांग्रेस भी अलग चुनाव लड़ी थी। लेकिन, अब बसपा उम्मीदवार मुकेश दीक्षित न केवल पूरे दमखम से चुनाव लड़ रहे हैं बल्कि, वे इस बार अपनी पार्टी की ओर से पूरे राज्य में आजमाए जा रहे ‘बीडीएम‘ फैक्टर यानी ब्राह्मण-दलित-मुस्लिम वोटों के समीकरण के बूते बड़े उलटफेर के भी मूड में हैं। जाहिर है कि, यदि दीक्षित वाकई भाजपा के परंपरागत हिंदु वोट बैंक का अहम हिस्सा माने जाने ब्राह्मण वोटों को बड़े पैमाने पर अपने पाले में खींचने में सफल रहे तो इसका सीधा नुकसान भाजपा प्रत्याशी को होना तय है। वहीं, कांग्रेस से गठबंधन का लाभ भी सपा प्रत्याशी को जरूर मिलेगा।  

    इसी तरह, शहर सीट पर भाजपा की पूरी चुनावी मुहिम को पार्टी के सांगठनिक गलियारों से अब सतह पर उभर रही गहरी ‘भितरघात‘ ने भी काफी क्षति पहुंचाई है। हालांकि, दर-हकीकत यह ‘चिंताजनक‘ स्थिति चुनाव से काफी पहले ही बन चुकी थी लेकिन, हाईकमान से लेकर खुद पार्टी के स्थानीय रणनीतिकारों तक ने पूरे मसले को गंभीरता से नहीं लिया, जिसका सीधा खामियाजा अब ऐन चुनाव के मौके पर पार्टी प्रत्याशी को उठाना पड़ सकता है। साफ तौर पर अलग-अलग खेमों में बंट चुकी भाजपा में पार्टी प्रत्याशी के प्रति ‘बेरुखी‘ का यह आलम है कि, इस बार उनके पक्ष में न तो किसी बड़े स्टार प्रचारक ने सहारनपुर का रुख किया और न ही यहां कोई ऐसी जनसभा हुई, जिससे यह लगे कि, पूरी पार्टी उनके साथ है। सबसे ज्यादा गंभीर हालात, खुद पार्टी सांसद राघव लखनपाल शर्मा तक की ओर से उनके चुनावी अभियान में सक्रिय भागीदारी न किए जाने के चलते दिखाई दिए। इसकी एक ताजातरीन काबिल-ए-गौर झलक चुनाव प्रचार के अंतिम दिन भी बखूबी नजर आई, जब पार्टी सांसद ने शहर सीट पर गुम्बर के रोड शो या जनसंपर्क को तवज्जो देने के बजाए सरसावा में आयोजित भाजपा अध्यक्ष अमित शो की चुनावी सभा में कहीं अधिक समय व्यतीत किया। इतना ही नहीं, आम लोगों पर पड़ी नोटबंदी की मार से लेकर शहर सीट पर अपने करीब ढाई वर्ष के कार्यकाल में उम्मीदों के अनुरूप विकास कार्य न कराने को लेकर भीतर ही भीतर मतदाताओं के बड़े वर्ग में गहरा रही नाराजगी ने भी भाजपा प्रत्याशी की चुनावी मुहिम को पलीता लगाने में कोई कमी नहीं छोड़ी है। नतीजतन, चुनाव प्रचार के आखिरी दौर में अब उनकी और उनके समर्थकों की निगाहें एक बार फिर वोटों के ‘धुव्रीकरण‘ पर टिकी हैं, जिसकी बदौलत पहले भी भाजपा मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने में कामयाब रही है। हालांकि, ऐसा तभी मुमकिन होगा, जब मतदान के दिन उनके परंपरागत वोट बैंक का हिस्सा माने जाने वाले वर्गों का मतदान प्रतिशत उम्मीद के अनुरूप रहे। यह बात दीगर है कि, चैतरफा नजर आती तमाम चुनौतियों के ‘चक्रव्यूह‘ से घिरे गुम्बर के लिए फिलवक्त जीत की राह कतई आसान नहीं होगी, जिसे लेकर उनके प्रतिद्वंद्वियों के सियासी खेमे बेहद उत्साहित हैं।    
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    Item Reviewed: कमल खिलाने की आस पर भारी भाजपा की ‘भितरघात‘ - BJP in up election Rating: 5 Reviewed By: Sonali
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