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    Friday, 7 April 2017

    अजब-गजब: पीडि़त पति ने ससुरालियों से बीवी-बच्चा पाने को लगाए दीवारों पर पोस्टर - Distribute Poster and request for Family to come home


    -निकाह के दो माह बाद चली गई थी मायके, नहीं भेज रहे घर वाले
    -पत्नी को ससुराल से लेने जाता है तो पति पर बजता है ससुरालियों का ल_
    -सास को चेतावनी, यदि बीवी-बच्चे को न भेजा तो कर लूंगा आत्मदाह 
    जन लीडर न्यूज़

    सहारनपुर। आपने चुनाव प्रचार, स्कूलों, सर्कस और अनेक प्रकार के पोस्टर दीवारों पर लगे देखे होंगे। लेकिन खतौली में एक युवक ने पोस्टर के जरिए अपनी बीवी व बच्चें दिलाने की अपील करते हुए पोस्टर ही चस्पा दिए। इन पोस्टरों के जरिए युवक ने अपने बीवी-बच्चों को वापिस दिलाने के लिए खतौली के लोगों से गुहार लगाई है।

    बता दे मेरठ निवासी जावेद का निकाह तीन साल पहले महबूब उर्फ भूरा निवासी मोहल्ला सद्दीक नगर खतौली की लडक़ी से हुआ था। जिससे उसके एक लडक़ी भी है। शादी के कुछ महीनों के बाद ही आबिदा अपने घर पर रहने के लिए आ गई । उसके बाद कुछ मनमुटाव होने के कारण उसकी पत्नी ने अपनी ससुराल जाने के लिए मना कर दिया। 

    युवक ने बताया कि वह कई बार अपनी पत्नी व बच्ची को अपने घर मेरठ ले जाने की भरपूर कोशिश की, परंतु बात नहीं बनी। जब जावेद इन परिस्थितियों से थक हार गया तो उसने खतौली वासियों से पोस्टर के जरिये अपील की है। पोस्टर में उसने अपने सारे दुख बयां कर दिये है। पोस्टर में खतौली वासियों के लिए उसने लिखवाया है कि मुझे मेरी सास अपने बीवी बच्चे से न तो मिलने देती है ओर न ही मेरे साथ घर भेजती है। यदि में ससुराल जाता हूं तो पत्नी से एक कदम आगे सास उसके पीछे ल_ लेकर दौड़ती है। जावेद के मुताबिक वह मेरठ में फल बेचने का काम करता है। ये ही उसकी रोजी-रोटी का साधन है। उसने पोस्टर के जरिए खतौली वासियों से अपील की है कि आप सब उसके उजड़ते हुए घर को बचाकर मेरे बीवी बच्चें को उसके साथ मेरठ भिजवाने में मदद करे। वहीं पोस्टर में पीडि़त ने अंत में जावेद ने बीवी और बच्चे न मिलने पर आत्मदाह करने की चेतावनी भी दी है। 

     जावेद ने बताया कि उसने पत्नी व बच्ची को पाने के लिए कचहरी, थाना कुछ नहीं छोड़ा है। उसे हर जगह से निराशा ही हाथ लगी है। पुलिस ने तो दो टूक कह दिया कि अब पुरूषों की नहीं महिलाओं की चलती है। बेहतर उसके लिए यही है कि वो कोई ऐसे बेहतर रास्ता निकाल ले कि उसे उसकी बीवी-बच्चा मिल जाये। जावेद के मुताबिक उसके लिए जब सारे रास्ते बंद हो गये तो उसने पोस्टर का सहारा लेकर खतौली के नागरिकों से मदद मांगी। यदि वह यहां भी निराशा मिली तो आत्महत्या के अलावा उसके पास कोई रास्ता नहीं बचेगा। 

    ऐसी महिलाओं से फिर कौन बचायें?
    जावेद ने दूरभाष पर जब अपनी आप बीती बताई तो साथ ही ये भी बोला कि महिलाओं के साथ पति जुर्म भी ढ़ाहते है। इस बात में भी कोई शक नहीं है। लेकिन सभी पति ऐसे नहीं होते जो पत्नियों पर जुल्म करते है। उसने कहा कि ऐसी महिलाओं की संख्या भी कम नहीं है जो कानून व पुलिस का फायदा उठाकर पतियों पर जुल्म ढ़हाती है लेकिन इसके बावजूद ऐसी महिलाओं की सुनवाई प्राथमिकता से होती है। हकीकत जानने का प्रयास पुलिस व समाज बहुत कम करते है। उसने कहा कि जिस तरह उसकी तीन साल से मायके रहकर उस पर अत्याचार कर रही है। इसके बावजूद उसने पत्नी को तीन तलाक के शब्द इस्तेमाल कर तलाक नहीं दिया। फिर भी उसे न्याय नहीं मिल रहा है। सरकार की और से मुस्लिम महिलाओं के तलाक के मामलें में नया कानून लाने की प्रक्रिया चल रही है। ये एक गंभीर मामला है यदि ये कानून पास हुआ तो इसका लाभ अधिकांश वे महिलाएं उठायेंगी जो ससुराल में एक अच्छी ग्रहणी की भूमिका अदा करने के बजाए ससुरालियों का उत्पीडऩ करती है। टोकने पर कानून का सहारा लेकर उन्हें जेल तक भिजवा देती है। जिस तरह पुरूषों पर शिकंजा कस रहा है उसी तरह ऐसी महिलाओं पर भी शिंकजा कसना चाहिए जो निकाह के बाद अपने फर्ज को पूरा नहीं करती। 

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