अजमेर: भारत दौरे के तीसरे दिन बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना ने रविवार को अजमेर में मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर जियारत की. वो गरीब नवाज के दर पर करीब आधा घंटा रुकीं और दुनिया में अमन चैन की दुआ मांगी.
शेख हसीना सुबह मंत्रियों और अधिकारियों की टीम के साथ जयपुर एयरपोर्ट पहुंचीं. यहां से वो हेलीकॉप्टर के जरिये अजमेर के घूघरा एयरपोर्ट गईं. इसके बाद वो सड़क के रास्ते से दरगाह पहुंचीं. दरगाह के दरवाजे पर उनका राजस्थानी अंदाज में रंगारंग स्वागत किया गया. इस मौके पर कच्छी घोड़ी और कालेबेलिया नर्तकों ने अपना हुनर दिखाया. स्वागत से खुश हसीना ने इन कलाकारों के साथ तस्वीरें खिंचवाईं.
भारत की मेहमान हसीना के स्वागत में दरगाह के पूरे इलाके में रेड कार्पेट बिछाया गया था. दरगाह के खादिम कमीलुद्दीन अपनी सदारत में उन्हें भीतर लेकर गए. बाद में दरगाह कमेटी की तरफ से सभी मेहमानों की दस्तारबंदी की गई. बांग्लादेशी पीएम ने दरगाह की विजिट बुक में बांग्ला भाषा में ये संदेश लिखा- 'ये अल्लाह के वली का दरबार है. यहां आने से रूहानी फैज मिलता है. दिल को सुकून मिलता है. यहां जो भी आता है, मुरादें पाता है. ख्वाजा के दरबार में आने से अल्लाहताला दुआएं कुबूल करता है.'
कमीलुद्दीन के मुताबिक शेख हसीना ने बताया कि वो काफी वक्त से ख्वाजा के दर पर आना चाहती थीं. हसीना के मुताबिक वो सूफी विचारधारा से काफी प्रभावित हैं. शेख हसीना अपने परिवार के साथ पहले भी यहां आ चुकी हैं.
शेख हसीना सुबह मंत्रियों और अधिकारियों की टीम के साथ जयपुर एयरपोर्ट पहुंचीं. यहां से वो हेलीकॉप्टर के जरिये अजमेर के घूघरा एयरपोर्ट गईं. इसके बाद वो सड़क के रास्ते से दरगाह पहुंचीं. दरगाह के दरवाजे पर उनका राजस्थानी अंदाज में रंगारंग स्वागत किया गया. इस मौके पर कच्छी घोड़ी और कालेबेलिया नर्तकों ने अपना हुनर दिखाया. स्वागत से खुश हसीना ने इन कलाकारों के साथ तस्वीरें खिंचवाईं.
भारत की मेहमान हसीना के स्वागत में दरगाह के पूरे इलाके में रेड कार्पेट बिछाया गया था. दरगाह के खादिम कमीलुद्दीन अपनी सदारत में उन्हें भीतर लेकर गए. बाद में दरगाह कमेटी की तरफ से सभी मेहमानों की दस्तारबंदी की गई. बांग्लादेशी पीएम ने दरगाह की विजिट बुक में बांग्ला भाषा में ये संदेश लिखा- 'ये अल्लाह के वली का दरबार है. यहां आने से रूहानी फैज मिलता है. दिल को सुकून मिलता है. यहां जो भी आता है, मुरादें पाता है. ख्वाजा के दरबार में आने से अल्लाहताला दुआएं कुबूल करता है.'
कमीलुद्दीन के मुताबिक शेख हसीना ने बताया कि वो काफी वक्त से ख्वाजा के दर पर आना चाहती थीं. हसीना के मुताबिक वो सूफी विचारधारा से काफी प्रभावित हैं. शेख हसीना अपने परिवार के साथ पहले भी यहां आ चुकी हैं.
0 comments:
Post a Comment