नई दिल्ली: नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारुख अब्दुल्ला ने भारत-पाकिस्तान के रिश्तों और कश्मीर में पत्थर मारने वाले युवाओं पर बड़ा बयान दिया है, जिससे एक बार फिर राजनीति गर्मा गई है. फारुख अब्दुल्ला ने कहा कि कश्मीर में जो बच्चे पत्थर मारते हैं, उनका राज्य के टूरिज्म से कोई लेना-देना नहीं है वह अपने देश के लिए लड़ रहे हैं.
फारुख ने भारत-पाक के रिश्तों पर कहा कि अगर भारत और पाकिस्तान मिलकर इस मुद्दे को नहीं सुलझा पा रहे हैं, तो अमेरिका को बीच में आकर समझौता करने चाहिए. यह किसी पार्टी में लड़ाई नहीं है बल्कि सांप्रदायिकता के खिलाफ एक जंग है.
वहीं AIMIM के नेता असदुद्दीन ओवैसी फारुक की बात से सहमत नहीं हैं. औवेसी ने कहा कि फारुख साहब को चुनाव लड़ना है इसलिए इस तरह की बातें कर रहे हैं, उनके बेटे जब सीएम थे तब 100 से ज्यादा लड़कों की मौत हुई थी. तब तो उन्होंने कुछ नहीं कहा. अब चुनाव हैं तो वह बोल रहे हैं. औवेसी ने कहा कि भारत और पाकिस्तान का मसला दो देशों का मुद्दा है, इसमें किसी तीसरे की जरुरत नहीं है.
वहीं केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि चुनाव नजदीक आते ही वह थोड़े से परेशान हो गए हैं, उनसे इस प्रकार की उम्मीद नहीं थी कि चुनाव के दवाब में अलगाववादियों की भाषा बोल रहे हो. भारत और पाकिस्तान के मुद्दे पर जितेंद्र सिंह का कहना है कि शायद वो भूल गए हैं कि वह वर्षों तक सरकार का हिस्सा रहे हैं. इस प्रकार का उनकी पार्टी का भी स्टैंड है और 1994 में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया गया था कि जम्मू और कश्मीर को लेकर कोई भी विषय है. भारत और पाकिस्तान के बीच में किस प्रकार पाक अधिकृत कश्मीर को कैसे मुक्त कराया जाए, और भारत गणराज्य में शामिल किया जाए. उस प्रस्ताव को लेकर के फारुख अब्दुल्ला की पार्टी की सहमति की सहमति रही है.
केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने इस मुद्दे पर कहा कि वह फ्रीडम ऑफ स्पीच का दुरुपयोग कर रहे हैं, उनके मनम में जो भी आता है वह बोल देते हैं. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर इस बयान पर ऐसे कमेंट आ रहे हैं कि हम बता नहीं सकते. बाबुल बोले कि भारत सरकार का हमेशा से ही स्टैंड रहा है कि कोई तीसरा पक्ष दोनों देशों के बीच में नहीं आ सकता है.
शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि फारुख अब्दुल्ला कौन हैं, उनकी बात कौन मानेगा. उन्होंने कहा कि कश्मीर में आज जो भी हो रहा है उसके लिए उनका और नेहरू परिवार जिम्मेदार हैं. उन्होंने कहा कि फारुख को अगर समझ में नहीं आता है, तो वह राजनीति छोड़ दें और विदेश में जाकर रहें. संजय राउत ने कहा कि अगर अमेरिका भारत की मदद करना चाहता है तो वह दाऊद और हाफिज़ सईद को पकड़वाने में मदद करें.
केंद्रीय मंत्री हंसराज अहीर ने फारुख अब्दुल्ला के बयान पर कहा कि हम इस बयान को कभी स्वीकार नहीं कर सकते, उनका यह बयान ही गलत है. उन्होंने कहा कि हम कभी भी कश्मीर के मसले पर किसी बाहरी देश की मदद नहीं लेंगे. मौका आने पर पाकिस्तान को बता देंगे कि उसका अधिकार किसी भी जगह नहीं है.
फारुख ने भारत-पाक के रिश्तों पर कहा कि अगर भारत और पाकिस्तान मिलकर इस मुद्दे को नहीं सुलझा पा रहे हैं, तो अमेरिका को बीच में आकर समझौता करने चाहिए. यह किसी पार्टी में लड़ाई नहीं है बल्कि सांप्रदायिकता के खिलाफ एक जंग है.
वहीं AIMIM के नेता असदुद्दीन ओवैसी फारुक की बात से सहमत नहीं हैं. औवेसी ने कहा कि फारुख साहब को चुनाव लड़ना है इसलिए इस तरह की बातें कर रहे हैं, उनके बेटे जब सीएम थे तब 100 से ज्यादा लड़कों की मौत हुई थी. तब तो उन्होंने कुछ नहीं कहा. अब चुनाव हैं तो वह बोल रहे हैं. औवेसी ने कहा कि भारत और पाकिस्तान का मसला दो देशों का मुद्दा है, इसमें किसी तीसरे की जरुरत नहीं है.
वहीं केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि चुनाव नजदीक आते ही वह थोड़े से परेशान हो गए हैं, उनसे इस प्रकार की उम्मीद नहीं थी कि चुनाव के दवाब में अलगाववादियों की भाषा बोल रहे हो. भारत और पाकिस्तान के मुद्दे पर जितेंद्र सिंह का कहना है कि शायद वो भूल गए हैं कि वह वर्षों तक सरकार का हिस्सा रहे हैं. इस प्रकार का उनकी पार्टी का भी स्टैंड है और 1994 में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया गया था कि जम्मू और कश्मीर को लेकर कोई भी विषय है. भारत और पाकिस्तान के बीच में किस प्रकार पाक अधिकृत कश्मीर को कैसे मुक्त कराया जाए, और भारत गणराज्य में शामिल किया जाए. उस प्रस्ताव को लेकर के फारुख अब्दुल्ला की पार्टी की सहमति की सहमति रही है.
केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने इस मुद्दे पर कहा कि वह फ्रीडम ऑफ स्पीच का दुरुपयोग कर रहे हैं, उनके मनम में जो भी आता है वह बोल देते हैं. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर इस बयान पर ऐसे कमेंट आ रहे हैं कि हम बता नहीं सकते. बाबुल बोले कि भारत सरकार का हमेशा से ही स्टैंड रहा है कि कोई तीसरा पक्ष दोनों देशों के बीच में नहीं आ सकता है.
शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि फारुख अब्दुल्ला कौन हैं, उनकी बात कौन मानेगा. उन्होंने कहा कि कश्मीर में आज जो भी हो रहा है उसके लिए उनका और नेहरू परिवार जिम्मेदार हैं. उन्होंने कहा कि फारुख को अगर समझ में नहीं आता है, तो वह राजनीति छोड़ दें और विदेश में जाकर रहें. संजय राउत ने कहा कि अगर अमेरिका भारत की मदद करना चाहता है तो वह दाऊद और हाफिज़ सईद को पकड़वाने में मदद करें.
केंद्रीय मंत्री हंसराज अहीर ने फारुख अब्दुल्ला के बयान पर कहा कि हम इस बयान को कभी स्वीकार नहीं कर सकते, उनका यह बयान ही गलत है. उन्होंने कहा कि हम कभी भी कश्मीर के मसले पर किसी बाहरी देश की मदद नहीं लेंगे. मौका आने पर पाकिस्तान को बता देंगे कि उसका अधिकार किसी भी जगह नहीं है.
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