लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी लोकसेवा आयोग (UPPSC) के अध्यक्ष अनिरुद्ध सिंह यादव को तलब किया है. परीक्षा में किसी खास जाति को विशेष तरजीह मिलने की शिकायतों के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने यह कदम उठाया है. ऐसा कहा जा रहा है. यूपी पीएससी के अध्यक्ष अनिरुद्ध सिंह यादव आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने वाले हैं.
कहा जा रहा है कि अनिरुद्ध यादव से पूछा जाएगा कि क्या वाकई इतनी प्रतिष्ठित परीक्षा में ऐसा किया गया. इलाहाबाद में जब बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक हुई थी, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगे कई समुदायों के प्रतिनधियों ने यह बात उठाई थी. यूपी में आज और कल का दिन काफी अहम है क्योंकि सीएम योगी अब अफसरों की क्लास लेंगे. सभी मुख्य सचिवों से उनके विभागों के प्रजेंटेशन देने को कहा गया है. मुख्य सचिव 20 अप्रैल तक ऐसा करेंगे.
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद राज्य में एक जाति के लोगों को सरकारी नौकरी में वरीयता दिए जाने के आरोप लगाए थे. इससे पहले भी राज्य की समाजवादी पार्टी सरकार एक जाति विशेष के लोगों को सरकारी नौकरी में ज्यादा तवज्जो देने के आरोप लगते चले आ रहे थे. बताया जाता है कि यह सबसे बड़ी वजह रही कि राज्य का युवा इस बार समाजवादी पार्टी से छिटक कर अन्य दलों की ओर चला गया जिससे पार्टी को चुनाव में भारी नुकसान उठाना पड़ा है. इन्हीं सब आरोपों को चलते राज्य की नई सरकार ने यूपी पीएससी में बदलाव का मन बनाया है.
कहा जा रहा है कि अनिरुद्ध यादव से पूछा जाएगा कि क्या वाकई इतनी प्रतिष्ठित परीक्षा में ऐसा किया गया. इलाहाबाद में जब बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक हुई थी, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगे कई समुदायों के प्रतिनधियों ने यह बात उठाई थी. यूपी में आज और कल का दिन काफी अहम है क्योंकि सीएम योगी अब अफसरों की क्लास लेंगे. सभी मुख्य सचिवों से उनके विभागों के प्रजेंटेशन देने को कहा गया है. मुख्य सचिव 20 अप्रैल तक ऐसा करेंगे.
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद राज्य में एक जाति के लोगों को सरकारी नौकरी में वरीयता दिए जाने के आरोप लगाए थे. इससे पहले भी राज्य की समाजवादी पार्टी सरकार एक जाति विशेष के लोगों को सरकारी नौकरी में ज्यादा तवज्जो देने के आरोप लगते चले आ रहे थे. बताया जाता है कि यह सबसे बड़ी वजह रही कि राज्य का युवा इस बार समाजवादी पार्टी से छिटक कर अन्य दलों की ओर चला गया जिससे पार्टी को चुनाव में भारी नुकसान उठाना पड़ा है. इन्हीं सब आरोपों को चलते राज्य की नई सरकार ने यूपी पीएससी में बदलाव का मन बनाया है.
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