अमेरिका ने पाकिस्तान आधारित जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने के संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों पर चीन के लगातार विरोध के बीच मंगलवार को कहा कि जो देश आतंकवादियों पर प्रतिबंध लगाने से रोकने के लिए वीटो का इस्तेमाल कर रहे हैं, वे उसे कार्रवाई करने से नहीं रोक पाएंगे.
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत निकी हेली ने यहां संवाददाताओं से कहा, प्रशासन इन सभी रास्तों पर विचार कर रहा है और हमने जिन कुछ चीजों पर बात की है वे प्रतिबंधों से संबंधित हैं और यह हैं कि कौन सूची में है तथा कैसे हमें इनसे निपटना है. हेली ने अप्रैल के लिए सुरक्षा परिषद की अध्यक्ष की भूमिका संभालने के बाद एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुये यह टिप्पणी की है.
हेली से प्रेस कांफ्रेस में आतंकवादियों (खास तौर से दक्षिण एशिया क्षेत्र के आतंकवादियों) को संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों के तहत लाने के प्रयासों और कैसे अन्य स्थायी सदस्य वीटो की शक्ति का इस्तेमाल कर इन प्रयासों को रोक रहे हैं, के बारे में पूछा गया था. हेली ने कहा, क्या हमारे पास ऐसे लोग हैं जो कुछ मुद्दों पर वीटो करते हैं? हां, लेकिन यह अमेरिका को कार्रवाई करने से नहीं रोकता है और निश्चित तौर पर हमें इससे नहीं रोकता कि क्या हम इसमें बदलाव कर सकते हैं. अमेरिका चाहता है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि वह परिणाम की ओर बढ़ रहा है और चुपचाप नहीं बैठा है और चीजों को ऐसे ही चलते रहने नहीं दे सकता.
हेली ने कहा, हर बार मुझे जब भी कोई पद मिला तो लोग अनुमान लगाते कि मुझे कोई उससे बड़ा पद चाहिये था जबकि वास्तव में मैं भारतीय अभिभावकों की बेटी हूं जिन्होंने मुझसे कहा है, जो भी तुम करो उसमें सर्वश्रेष्ठ काम करो और सुनिश्चित करो कि लोग तुम्हें उसके लिए याद रखें. मैं यही करने की कोशिश कर रही हूं.
हेली ने कहा कि गत नवंबर में ट्रंप के चुनाव के बाद ट्रंप टावर में उन्हें विदेश मंत्री के पद पर चर्चा करने के लिए बुलाया गया था ना कि उन्हें इस पद की पेशकश की गई थी. हेली ने सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद को युद्ध अपराधी बताते हुये कहा था कि उन्होंने अपने देश के साथ जो किया वह घृणास्पद है. उन्होंने कहा कि ट्रंप प्रशासन का लक्ष्य आईएस को हराना है.
आपको याद दिला दें कि भारत ने पिछले साल फरवरी में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् की 15 सदस्यीय मंजूरी समिति में अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने का प्रस्ताव रखा था. उसे पठानकोट वायुसेना अड्डे पर हमले का सरगना होने के लिए यह मांग की गई थी. इसके बाद से चीन ने दो बार वीटो का इस्तेमाल कर भारत के प्रस्ताव को ‘तकनीकी तौर पर स्थगित’ करा दिया और अंतत: पिछले वर्ष 30 दिसम्बर को इस पर रोक लगवा दिया था.
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत निकी हेली ने यहां संवाददाताओं से कहा, प्रशासन इन सभी रास्तों पर विचार कर रहा है और हमने जिन कुछ चीजों पर बात की है वे प्रतिबंधों से संबंधित हैं और यह हैं कि कौन सूची में है तथा कैसे हमें इनसे निपटना है. हेली ने अप्रैल के लिए सुरक्षा परिषद की अध्यक्ष की भूमिका संभालने के बाद एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुये यह टिप्पणी की है.
हेली से प्रेस कांफ्रेस में आतंकवादियों (खास तौर से दक्षिण एशिया क्षेत्र के आतंकवादियों) को संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों के तहत लाने के प्रयासों और कैसे अन्य स्थायी सदस्य वीटो की शक्ति का इस्तेमाल कर इन प्रयासों को रोक रहे हैं, के बारे में पूछा गया था. हेली ने कहा, क्या हमारे पास ऐसे लोग हैं जो कुछ मुद्दों पर वीटो करते हैं? हां, लेकिन यह अमेरिका को कार्रवाई करने से नहीं रोकता है और निश्चित तौर पर हमें इससे नहीं रोकता कि क्या हम इसमें बदलाव कर सकते हैं. अमेरिका चाहता है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि वह परिणाम की ओर बढ़ रहा है और चुपचाप नहीं बैठा है और चीजों को ऐसे ही चलते रहने नहीं दे सकता.
हेली ने कहा, हर बार मुझे जब भी कोई पद मिला तो लोग अनुमान लगाते कि मुझे कोई उससे बड़ा पद चाहिये था जबकि वास्तव में मैं भारतीय अभिभावकों की बेटी हूं जिन्होंने मुझसे कहा है, जो भी तुम करो उसमें सर्वश्रेष्ठ काम करो और सुनिश्चित करो कि लोग तुम्हें उसके लिए याद रखें. मैं यही करने की कोशिश कर रही हूं.
हेली ने कहा कि गत नवंबर में ट्रंप के चुनाव के बाद ट्रंप टावर में उन्हें विदेश मंत्री के पद पर चर्चा करने के लिए बुलाया गया था ना कि उन्हें इस पद की पेशकश की गई थी. हेली ने सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद को युद्ध अपराधी बताते हुये कहा था कि उन्होंने अपने देश के साथ जो किया वह घृणास्पद है. उन्होंने कहा कि ट्रंप प्रशासन का लक्ष्य आईएस को हराना है.
आपको याद दिला दें कि भारत ने पिछले साल फरवरी में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् की 15 सदस्यीय मंजूरी समिति में अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने का प्रस्ताव रखा था. उसे पठानकोट वायुसेना अड्डे पर हमले का सरगना होने के लिए यह मांग की गई थी. इसके बाद से चीन ने दो बार वीटो का इस्तेमाल कर भारत के प्रस्ताव को ‘तकनीकी तौर पर स्थगित’ करा दिया और अंतत: पिछले वर्ष 30 दिसम्बर को इस पर रोक लगवा दिया था.
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