नयी दिल्ली : देश की ऑटो कंपनियों को सुप्रीम कोर्ट से करारा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक अप्रैल से बीएस-3 वाहनों की बिक्री पर रोक के फैसले को बरकरार रखा है. लिहाजा, अब एक अप्रैल से बीएस-3 वाहन नहीं बिकेंगे. इस तरह खासकर 2-व्हीलर्स और व्यावसायिक वाहन बनाने वाली कंपनियों को सबसे ज्यादा झटका लगेगा. मंगलवार को सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला बुधवार तक के लिए सुरक्षित रख लिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कमर्शियल फायदे से ज्यादा आम लोगों की सेहत ज्यादा अहम है. एक अप्रैल से बीएस-4 लागू करने के आदेश थे. ऐसे में कंपनियों को एक अप्रैल की समयसीमा पहले ही से मालूम थी. गौरतलब है कि देश में एक अप्रैल से बीएस-4 मानक लागू करने का फैसला किया गया है. वहीं, कंपनियों ने बीएस-3 स्टॉक बेचने के लिए कोर्ट से 6-8 महीने की मोहलत मांगी थी.
मंगलवार को सुनवाई के दौरान वाहन विनिर्माताओं के संगठन सियाम की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एएम सिंघवी ने पीठ से कहा कि वाहन कंपनियों को बीएस-तीन वाहनों के स्टॉक को निकालने के लिए करीब एक साल का समय चाहिए. ज्यादातर स्टॉक सात से आठ महीने में निकल जायेगा. उन्होंने कहा कि इन वाहनों को हटाने का काम धीरे-धीरे होना चाहिए, क्योंकि वर्ष 2010 से मार्च 2017 तक 41 वाहन कंपनियों ने 13 करोड बीएस-तीन वाहनों का विनिर्माण किया है.
फिलहाल, वाहन कंपनियों के पास ऐसे लाखों वाहन स्टॉक में हैं. उन्होंने कहा कि हम प्रतिष्ठित कंपनियां हैं. हमें खलनायक के रूप में नहीं दिखाया जाना चाहिए. हम भाग नहीं रहे हैं. हम भी चाहते हैं कि हमारा वातावरण प्रदूषणमुक्त हो. हम कह रहे हैं कि हम दिशानिर्देशों का अनुपालन करेंगे. सिंघवी ने कहा कि यह प्रक्रिया धीरे-धीरे होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि एक अप्रैल, 2017 से ऐसे वाहनों के पंजीकरण पर रोक लगाना इस उद्योग पर अचानक धावा बोलने के समान होगा.
वाहन उद्योग देश का दूसरा सबसे अधिक रोजगार देने वाला और सबसे उंची दर से कर देने वाला उद्योग है. इस पर पीठ ने कहा कि वाहन कंपनियों को 2014 में ही बीएस-चार अधिसूचना के बारे में पता था और जब लोगों को 2010 से ही इसके बारे में जानकारी हो गयी थी, तो उन्हें बीएस-तीन वाहनों का उत्पादन घटाना चाहिए था. हीरो मोटोकार्प की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता केके वेणुगोपाल ने कहा कि कंपनी के पास बीएस-तीन मानक वाले 3.28 लाख दोपहिया वाहनों का स्टॉक है. इन पर रोक लगने से उसे 1500 करोड़ रुपये का नुकसान होगा.
हालांकि, बजाज ऑटो की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने एक अप्रैल से बीएस-तीन वाहनों के पंजीकरण पर रोक लगाने संबंधी याचिका का समर्थन किया और कहा कि विनिर्माण पर रोक का मतलब इस तरह के वाहनों की बिक्री और पंजीकरण पर भी रोक लगाना है. इसलिए रियायत नहीं दी जानी चाहिए. केंद्र की ओर से उपस्थिति सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने अदालत को बताया कि बीएस-चार उत्सर्जन मानकों वाले वाहनों के लिए ईंधन अधिक साफ और स्वच्छ है और तेल रिफाइनरियों ने 2010 से इसके उत्पादन के लिए करीब 30,000 करोड़ रुपये खर्च कियें हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कमर्शियल फायदे से ज्यादा आम लोगों की सेहत ज्यादा अहम है. एक अप्रैल से बीएस-4 लागू करने के आदेश थे. ऐसे में कंपनियों को एक अप्रैल की समयसीमा पहले ही से मालूम थी. गौरतलब है कि देश में एक अप्रैल से बीएस-4 मानक लागू करने का फैसला किया गया है. वहीं, कंपनियों ने बीएस-3 स्टॉक बेचने के लिए कोर्ट से 6-8 महीने की मोहलत मांगी थी.
मंगलवार को सुनवाई के दौरान वाहन विनिर्माताओं के संगठन सियाम की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एएम सिंघवी ने पीठ से कहा कि वाहन कंपनियों को बीएस-तीन वाहनों के स्टॉक को निकालने के लिए करीब एक साल का समय चाहिए. ज्यादातर स्टॉक सात से आठ महीने में निकल जायेगा. उन्होंने कहा कि इन वाहनों को हटाने का काम धीरे-धीरे होना चाहिए, क्योंकि वर्ष 2010 से मार्च 2017 तक 41 वाहन कंपनियों ने 13 करोड बीएस-तीन वाहनों का विनिर्माण किया है.
फिलहाल, वाहन कंपनियों के पास ऐसे लाखों वाहन स्टॉक में हैं. उन्होंने कहा कि हम प्रतिष्ठित कंपनियां हैं. हमें खलनायक के रूप में नहीं दिखाया जाना चाहिए. हम भाग नहीं रहे हैं. हम भी चाहते हैं कि हमारा वातावरण प्रदूषणमुक्त हो. हम कह रहे हैं कि हम दिशानिर्देशों का अनुपालन करेंगे. सिंघवी ने कहा कि यह प्रक्रिया धीरे-धीरे होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि एक अप्रैल, 2017 से ऐसे वाहनों के पंजीकरण पर रोक लगाना इस उद्योग पर अचानक धावा बोलने के समान होगा.
वाहन उद्योग देश का दूसरा सबसे अधिक रोजगार देने वाला और सबसे उंची दर से कर देने वाला उद्योग है. इस पर पीठ ने कहा कि वाहन कंपनियों को 2014 में ही बीएस-चार अधिसूचना के बारे में पता था और जब लोगों को 2010 से ही इसके बारे में जानकारी हो गयी थी, तो उन्हें बीएस-तीन वाहनों का उत्पादन घटाना चाहिए था. हीरो मोटोकार्प की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता केके वेणुगोपाल ने कहा कि कंपनी के पास बीएस-तीन मानक वाले 3.28 लाख दोपहिया वाहनों का स्टॉक है. इन पर रोक लगने से उसे 1500 करोड़ रुपये का नुकसान होगा.
हालांकि, बजाज ऑटो की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने एक अप्रैल से बीएस-तीन वाहनों के पंजीकरण पर रोक लगाने संबंधी याचिका का समर्थन किया और कहा कि विनिर्माण पर रोक का मतलब इस तरह के वाहनों की बिक्री और पंजीकरण पर भी रोक लगाना है. इसलिए रियायत नहीं दी जानी चाहिए. केंद्र की ओर से उपस्थिति सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने अदालत को बताया कि बीएस-चार उत्सर्जन मानकों वाले वाहनों के लिए ईंधन अधिक साफ और स्वच्छ है और तेल रिफाइनरियों ने 2010 से इसके उत्पादन के लिए करीब 30,000 करोड़ रुपये खर्च कियें हैं.
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