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    Saturday 25 March 2017

    धुंए के धंधे में भी नकली का बड़ा गौरख धंधा - Froud in Bidi business


    -यानि जहर में भी कमाई के लिए बड़ी धोखाधड़ी-नाम को बीडी रोजाना है, करोड़ों का कारोबार
    शाहरूख अंसारी
    सहारनपुर।  तंबाकू का धुंए के रूप में सेवन करने बीडी के कारोबार पर भी नकलचियों ने लंबे समय से कब्जा जमा रखा है। बीडी का कोई ब्रांड ऐसा नहीं जिसमें नकली बीडी बड़े पैमाने पर धडल्लें के साथ बाजारों में न उतारी जा रही हो। धुंए के जहर के इस धंधे पर प्रशासन भी आंख मूंदे बैठा है। जबकि मामूली सी बीडी के इस कारोबार की कीमत जिलेभर में प्रतिदिन एक करोड़ रूपयें से अधिक की है। 

    जिले की कुल आबादी 40 लाख के करीब पहुंच रही है। जानकारों की माने तो कम से कम पांच लाख लोग ऐसे है जो अपनी धुंए की लत के कारण रोजाना कम से कम एक बण्डल बीडी का इस्तेमाल करते है। इन बण्डलों की कीमत 5 रूपयें से लेकर 19 रूपयें तक है। ज्यादा खपत सभी तरह के दामों की बीडियों की है। जानकारों की माने तो औसत एक व्यक्ति प्रतिदिन बीस रूपयें की बीडी तक का इस्तेमाल कर देता है। बीडी के शौकिन लोगों की संख्या ओर खपत की कीमत पर नजर डाले तो ये कारोबार प्रतिदिन एक करोड के आसपास पहुंचता है। यहां होलसेल बीडी का कारोबार करने वालों की दुकानें अधिकांश नखासा, चौकी सराए के निकट मछली बाजार, पुल कम्बोहान व शहर के विभिन्न इलाकों में है। इसके अलावा जिले के बड़े कस्बों में बीडी का कारोबार करने वाली एजेंसियां हैं। इन एजेंसियों से हर रोज हजारों की संख्या में सेल्समैन व दुकानदार होलसैल में बीडी ले जाते है और ग्राहकों या दुकानदारों को सप्लाई करते है। 

    बीडी के शौकीन लोगों की माने तो 60 से 70 फीसदी बीडी दुकानों पर नकली मिल रही है। इस घालमेल के बारे में जानकारी रखने वाले पान व बीडी बेचने वाले दुकानदारों का खुद मानना है कि नकली माल की सप्लाई करने वाले सेल्समैन 15 रूपयें से 19 रूपयें कीमत तक बिकने वाला बीडी का एक बण्डल मात्र सात-आठ रूपयें में दुकानदारों को देते है। मोटे मुनाफे के चक्कर में ज्यादातर दुकानदार ऐसा माल खरीदकर ग्राहकों की आंखों में धुल झोंकते है। कुछ का तो यहां तक मानना है कि नकली बीडी का ये कारोबार ज्यादातर दिल्ली की ओर से चलता है। नकली कारोबार को करने वाले ज्यादातर उन्हीं ब्रांडो को नकली में बदलने का काम करते है, जिनकी खपत ज्यादा होने लगती है। यूं तो सेल्समैन अपनी सफाई में कहते है कि वे संबंधित कंपनी की एजेंसी से माल लाते है। बस यही से इस काले कारोबार पर शक की सुई दौडने लगती है, या तो एजेंसी वाले ही बड़े पैमाने पर नकली माल के इस धंधे में लिप्त है या फिर नकली बीडी सप्लाई करने वाले सेल्समैनों की इस धंधें को अंधेरे में चलाने वालो से सीधी सांठगांठ है। 

    पहले तो नकली माल की शिकायत आने पर कंपनी के ही अधिकारी आकर खुद नकली माल पकडवा दिया करते थे या फिर पुलिस मुखबिरों के सहारे इस काले धंधे पर लगाम कस देती थी। डेढ दशक पूर्व कोतवाली मंडी पुलिस द्वारा बड़ी संख्या में नकली माल ओर इसके सप्लायर पकड़े गये थे। इसके बाद जिले में पुलिस प्रशासनर द्वारा कोई ऐसी कार्रवाई अम्ल में नहीं लाई जा सकी। जबकि दिन पर दिन ये काला कारोबार फलफूल रहा है वहीं राजस्व को भी हानि पहुंचाई जाने के साथ लोगों के स्वास्थ्य से भी खिलवाड़ किया जा रहा है।
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