लखनऊ: समाजवादी पार्टी विधायक अब मुलायम की बुलाई मीटिंग में नहीं जाएंगे. आज यानी मंगलवार को विधानमंडल दल की बैठक में उन्हें बताया गया कि वे अखिलेश के अलावा किसी और की बुलाई मीटिंग में नहीं जा सकते.चौंकाने वाली बात यह थी कि बैठक में शिवपाल को नहीं बुलाया गया. नाराज आज़म खान भी अखिलेश की बैठक में शामिल नहीं हुए.
उधर, मुलायम ने भी विधायकों की दावत देने के लिए बैठक बुलाई थी लेकिन इस बात की भनक लगते ही मीटिंग रद्द कर दी. यूं तो समाजवादी पार्टी के जन्मदाता मुलायम सिंह यादव ही हैं और पार्टी के 90 फीसदी से ज़्यादा नेता उन्हीं के बनाए हुए हैं लेकिन मुलायम को दुबारा अध्यक्ष बनाने के मुद्दे पर अब उनके क़रीबी भी बोलने से कन्नी काटते हैं.
समाजवादी पार्टी दफ़्तर पर विधानमंडल दल की बैठक हुई जिसमें में सभी विधायक और एमएलसी शामिल हुए. उन्हें बताया गया कि अखिलेश के अलावा किसी और के मीटिंग बुलाने पर वे न जाएं क्योंकि विधानमंडल दल का नेता ही उनकी बैठक बुला सकता है. शायद मुलायम को इसकी भनक लग गई थी लिहाजा उन्होंने बुधवार को अपने घर पर बुलाई विधायकों की बैठक और खाने की दावत रद्द कर दी.
समाजवादी पार्टी एक एमएलसी बक्कल नवाब का कहना है, "ऐसा है कि वो बैठक थी ही नहीं. कल वाली जो बैठक थी. वो थी ही नहीं. हां, बिल्कुल नहीं थी और वो ऐसे ही कह दिया गया था. वो कोई बैठक-वैठक नहीं है.
पूर्व मंत्री बलवंत सिंह रामुवालिया से जब पूछा गया कि क्या भविष्य में नेताजी को पद वापस करेंगे? तो वे बोले - मैं कुछ नहीं कह रहा. मैं कुछ नहीं कह रहा. मेरा कम है जो मैने देखा उतना. जो कम 10 क्विंटल वज़नी है. मैं उठा नहीं सकता. जो 2-4 क्विंटल की बात थी उतना बता दिया. बैठक में आज़म ख़ान नहीं पहुंचे. चर्चा है कि विधानसभा में पार्टी का नेता न बनाए जाने से नाराज़ हैं लेकिन शिवपाल यादव को बुलाया नहीं गया. ऐसा उनके क़रीबी कहते हैं.
विधानसभा में पार्टी के नेता रामगोविंद चौधरी से जब पूछा गया कि आज शिवपाल यादव बैठक में नहीं शामिल हुए.. क्या वो अभी तक नाराज हैं? अब यह तो....आप सभी लोग हुमारे मित्र हैं, हमारे ऊपर कृपा बनी रहनी चाहिए और सकारात्मक प्रश्न होने चाहिए. सियासत के जानकार कहते हैं कि पार्टी की इस बुरी हार में परिवार के झगड़े का भी बहुत बड़ा रोल है और यह आगे भी जारी रहा तो यह पार्टी के लिए एक शुभ संकेत नहीं होगा.
उधर, मुलायम ने भी विधायकों की दावत देने के लिए बैठक बुलाई थी लेकिन इस बात की भनक लगते ही मीटिंग रद्द कर दी. यूं तो समाजवादी पार्टी के जन्मदाता मुलायम सिंह यादव ही हैं और पार्टी के 90 फीसदी से ज़्यादा नेता उन्हीं के बनाए हुए हैं लेकिन मुलायम को दुबारा अध्यक्ष बनाने के मुद्दे पर अब उनके क़रीबी भी बोलने से कन्नी काटते हैं.
समाजवादी पार्टी दफ़्तर पर विधानमंडल दल की बैठक हुई जिसमें में सभी विधायक और एमएलसी शामिल हुए. उन्हें बताया गया कि अखिलेश के अलावा किसी और के मीटिंग बुलाने पर वे न जाएं क्योंकि विधानमंडल दल का नेता ही उनकी बैठक बुला सकता है. शायद मुलायम को इसकी भनक लग गई थी लिहाजा उन्होंने बुधवार को अपने घर पर बुलाई विधायकों की बैठक और खाने की दावत रद्द कर दी.
समाजवादी पार्टी एक एमएलसी बक्कल नवाब का कहना है, "ऐसा है कि वो बैठक थी ही नहीं. कल वाली जो बैठक थी. वो थी ही नहीं. हां, बिल्कुल नहीं थी और वो ऐसे ही कह दिया गया था. वो कोई बैठक-वैठक नहीं है.
पूर्व मंत्री बलवंत सिंह रामुवालिया से जब पूछा गया कि क्या भविष्य में नेताजी को पद वापस करेंगे? तो वे बोले - मैं कुछ नहीं कह रहा. मैं कुछ नहीं कह रहा. मेरा कम है जो मैने देखा उतना. जो कम 10 क्विंटल वज़नी है. मैं उठा नहीं सकता. जो 2-4 क्विंटल की बात थी उतना बता दिया. बैठक में आज़म ख़ान नहीं पहुंचे. चर्चा है कि विधानसभा में पार्टी का नेता न बनाए जाने से नाराज़ हैं लेकिन शिवपाल यादव को बुलाया नहीं गया. ऐसा उनके क़रीबी कहते हैं.
विधानसभा में पार्टी के नेता रामगोविंद चौधरी से जब पूछा गया कि आज शिवपाल यादव बैठक में नहीं शामिल हुए.. क्या वो अभी तक नाराज हैं? अब यह तो....आप सभी लोग हुमारे मित्र हैं, हमारे ऊपर कृपा बनी रहनी चाहिए और सकारात्मक प्रश्न होने चाहिए. सियासत के जानकार कहते हैं कि पार्टी की इस बुरी हार में परिवार के झगड़े का भी बहुत बड़ा रोल है और यह आगे भी जारी रहा तो यह पार्टी के लिए एक शुभ संकेत नहीं होगा.
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