कराची: पाकिस्तान के सिंध प्रांत ने फैसला किया कि अलताफ हुसैन विश्वविद्यालय का नाम बदला जाएगा, जो इस देश की चौथी सबसे बड़ी पार्टी के नेता के खिलाफ बढ़ती शत्रुता का संकेत है. सिंध कैबिनेट द्वारा अलताफ हुसैन विश्वविद्यालय का नाम मोहतरमा फातिमा जिन्ना विश्वविद्यालय करने का फैसला मुत्तहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) के प्रमुख अलताफ हुसैन के ‘पाकिस्तान विरोधी’ बयानों के बाद किया गया. फातिमा जिन्ना पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना की बेटी हैं. गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले ही 63 वर्षीय हुसैन ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया था कि वह पाकिस्तानी सेना द्वारा मुहाजिरों के खिलाफ की जाने वाली निर्ममता के खिलाफ बोलें. बंटवारे के समय भारत से पाकिस्तान जाने वाले उर्दूभाषी लोगों को मुहाजिर कहा जाता है. अखबार का कहना है कि सिंध के मुख्यमंत्री मुराद अली शाह की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में विश्वविद्यालय का नाम बदलने का फैसला किया गया.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक- पाकिस्तान के मुत्तहिदा कौमी मूवमेंट (MQM) के नेता अलताफ हुसैन ने कुछ समय पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुजारिश की थी कि उन्हें कराची में मुहाजिरों या शरणार्थियों के अधिकारों के पक्ष में बोलना चाहिए. लंदन में निर्वासन में रह रहे पाकिस्तानी नेता ने कहा कि भारत बलूचिस्तान के लोगों पर पाकिस्तानी सेना की नृशंसता को लेकर मुखर है, लेकिन पीएम मोदी उन लोगों के पक्ष में आवाज नहीं उठा पाए जो सदियों तक भारत में रहे थे. उन्होंने कहा कि हमारे पुरखों ने एक बड़ी भूल की कि वे पाकिस्तान चले गए. हम यहां पैदा हुए लेकिन हमें कभी भी पाकिस्तानी या माटी के लाल नहीं माना गया.
पाकिस्तान की एक आतंकवाद विरोधी अदालत ने मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) के प्रमुख अल्ताफ हुसैन को राष्ट्र विरोधी भाषण देने तथा हिंसा भड़काने के मामले में 81 साल जेल की सजा सुनाई थी. गिलगित शहर में आतंकवाद विरोधी न्यायाधीश राजा शाहबाज खान ने 1992 से लंदन में रह रहे हुसैन को 81 साल जेल की सजा सुनाई तथा उन पर 24 लाख पाकिस्तानी रुपये का जुर्माना भी लगाया था. न्यायाधीश ने सिंध के पुलिस महानिरीक्षक को आदेश दिया कि वह अदालत के हुक्म की तामील करें, क्योंकि 62-वर्षीय हुसैन कराची के निवासी हैं. अदालत ने प्रशासन को यह भी आदेश दिया कि एमक्यूएम प्रमुख की संपत्तियां जब्त की जाएं और उनकी नीलामी की जाए. उन्होंने जुलाई महीने में नाटो और संयुक्त राष्ट्र से कहा था कि वे कराची में सेना भेजें. पकिस्तान के अलग-अलग शहरों में एमक्यूएम प्रमुख के खिलाफ राष्ट्रद्रोह, हिंसा भड़काने और शासन तथा सशस्त्र सेनाओं के खिलाफ तकरीर करने के आरोपों में दर्जनों मामले दर्ज हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक- पाकिस्तान के मुत्तहिदा कौमी मूवमेंट (MQM) के नेता अलताफ हुसैन ने कुछ समय पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुजारिश की थी कि उन्हें कराची में मुहाजिरों या शरणार्थियों के अधिकारों के पक्ष में बोलना चाहिए. लंदन में निर्वासन में रह रहे पाकिस्तानी नेता ने कहा कि भारत बलूचिस्तान के लोगों पर पाकिस्तानी सेना की नृशंसता को लेकर मुखर है, लेकिन पीएम मोदी उन लोगों के पक्ष में आवाज नहीं उठा पाए जो सदियों तक भारत में रहे थे. उन्होंने कहा कि हमारे पुरखों ने एक बड़ी भूल की कि वे पाकिस्तान चले गए. हम यहां पैदा हुए लेकिन हमें कभी भी पाकिस्तानी या माटी के लाल नहीं माना गया.
पाकिस्तान की एक आतंकवाद विरोधी अदालत ने मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) के प्रमुख अल्ताफ हुसैन को राष्ट्र विरोधी भाषण देने तथा हिंसा भड़काने के मामले में 81 साल जेल की सजा सुनाई थी. गिलगित शहर में आतंकवाद विरोधी न्यायाधीश राजा शाहबाज खान ने 1992 से लंदन में रह रहे हुसैन को 81 साल जेल की सजा सुनाई तथा उन पर 24 लाख पाकिस्तानी रुपये का जुर्माना भी लगाया था. न्यायाधीश ने सिंध के पुलिस महानिरीक्षक को आदेश दिया कि वह अदालत के हुक्म की तामील करें, क्योंकि 62-वर्षीय हुसैन कराची के निवासी हैं. अदालत ने प्रशासन को यह भी आदेश दिया कि एमक्यूएम प्रमुख की संपत्तियां जब्त की जाएं और उनकी नीलामी की जाए. उन्होंने जुलाई महीने में नाटो और संयुक्त राष्ट्र से कहा था कि वे कराची में सेना भेजें. पकिस्तान के अलग-अलग शहरों में एमक्यूएम प्रमुख के खिलाफ राष्ट्रद्रोह, हिंसा भड़काने और शासन तथा सशस्त्र सेनाओं के खिलाफ तकरीर करने के आरोपों में दर्जनों मामले दर्ज हैं.
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