लखनऊ: उत्तरप्रदेश के किसानों से चुनावी वादा पूरा करने के लिए योगी सरकार में माथापच्ची जारी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वादे को पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी सक्रिय हो गए हैं. वित्त विभाग के प्रवक्ता ने बताया कि सीएम के निर्देशानुसार प्रदेश के वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल राज्य के सभी लघु एवं सीमान्त कृषकों के बैंकों के माध्यम से लिए गए फसली कर्ज की माफी एवं बजट तैयार करने के लिए लगातार संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकरियों के साथ बैठकें कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की राज्य के किसानों की दयनीय स्थिति में सुधार के संकल्प को पूरा करने के लिए प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार कृतसंकल्प है. इसके मद्देनजर बैठकों में किसानों की कर्ज माफी के विभिन्न प्रस्तावों पर विचार किया गया है.
इससे पहले वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कर्ज माफ किए जाने से इनकार कर दिया था. उन्होंने कहा कि राज्य अगर किसानों के कर्ज माफ करते हैं तो उन्हें खुद इसका खर्च उठाना पड़ेगा. वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार ऐसा नहीं कर सकती कि एक राज्य के किसानों को कर्ज माफी दे और दूसरे को नहीं. वित्त मंत्री एक बयान के ठीक उलट कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने उत्तर प्रदेश के किसानों का कर्ज माफ करने की बात संसद में कही थी.
प्रदेश में सितंबर 2016 तक बैंकों का 1.26 लाख करोड़ रुपये कृषि कर्ज बकाया था. इनमें से 92,121.85 करोड़ रुपये फसली कर्ज है. वर्तमान में राज्य में लगभग 2.30 करोड़ किसान हैं. प्रदेश में लघु एवं सीमांत किसानों की संख्या करीब 2.15 करोड़ है. हालांकि राज्य सरकार केवल सहकारी बैंकों के कर्ज को ही माफ करने के लिए अधिकृत होती है और राज्य में सहकारी बैंकों का किसान कर्ज कुल कृषि कर्ज का करीब 20 फीसदी यानी 10,000 करोड़ रुपये है. वाणिज्यिक बैंकों द्वारा दिया गया कर्ज राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर है और अगर राज्य सरकार यह कर्ज भी माफ करना चाहती है तो उसे बजट में इसके लिए अतिरिक्त आवंटन करना होगा.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की राज्य के किसानों की दयनीय स्थिति में सुधार के संकल्प को पूरा करने के लिए प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार कृतसंकल्प है. इसके मद्देनजर बैठकों में किसानों की कर्ज माफी के विभिन्न प्रस्तावों पर विचार किया गया है.
इससे पहले वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कर्ज माफ किए जाने से इनकार कर दिया था. उन्होंने कहा कि राज्य अगर किसानों के कर्ज माफ करते हैं तो उन्हें खुद इसका खर्च उठाना पड़ेगा. वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार ऐसा नहीं कर सकती कि एक राज्य के किसानों को कर्ज माफी दे और दूसरे को नहीं. वित्त मंत्री एक बयान के ठीक उलट कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने उत्तर प्रदेश के किसानों का कर्ज माफ करने की बात संसद में कही थी.
प्रदेश में सितंबर 2016 तक बैंकों का 1.26 लाख करोड़ रुपये कृषि कर्ज बकाया था. इनमें से 92,121.85 करोड़ रुपये फसली कर्ज है. वर्तमान में राज्य में लगभग 2.30 करोड़ किसान हैं. प्रदेश में लघु एवं सीमांत किसानों की संख्या करीब 2.15 करोड़ है. हालांकि राज्य सरकार केवल सहकारी बैंकों के कर्ज को ही माफ करने के लिए अधिकृत होती है और राज्य में सहकारी बैंकों का किसान कर्ज कुल कृषि कर्ज का करीब 20 फीसदी यानी 10,000 करोड़ रुपये है. वाणिज्यिक बैंकों द्वारा दिया गया कर्ज राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर है और अगर राज्य सरकार यह कर्ज भी माफ करना चाहती है तो उसे बजट में इसके लिए अतिरिक्त आवंटन करना होगा.
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