पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हस्तक्षेप के बाद बिजली उपभोक्ताओं को थोड़ी राहत मिली. अब एक अप्रैल से बिजली की दरों में 55% नहीं, बल्कि 28% ही बढ़ोतरी होगी. शुक्रवार को दिन में बिहार विद्युत विनियामक आयोग ने वर्ष 2017-18 के लिए बिजली दरों में 55% बढ़ोतरी का एलान किया. लेकिन, रात में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से सब्सिडी जारी रखने का फैसला लिया गया, जिसके बाद ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने बढ़ोतरी में कटौती का एलान किया़ अभी बिजली कंपनियों को राज्य सरकार करीब चार हजार करोड़ रुपये सब्सिडी देती है. अगले वित्तीय वर्ष में यह सब्सिडी जारी रहने पर उपभोक्ताओं पर बिजली की दरों में औसतन 28% ही बढ़ोतरी का भार पड़ेगा. हालांकि अभी यह तय नहीं हो पाया है कि किस श्रेणी में कितनी सब्सिडी मिलेगी. विनियामक आयोग ने बिजली की दरों के स्लैब में काफी कमी की है.
विनियामक आयोग के अध्यक्ष एसके नेगी ने ने बताया कि बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी और उसकी सहायक कंपनियों ने पिछले साल 15 नवंबर को टैरिफ याचिका दायर की थी. दोनों बिजली वितरण कंपनियों नाॅर्थ व साउथ बिहार बिजली वितरण कंपनियों ने भी अलग-अलग टैरिफ याचिका दायर की थी. आयोग ने आदेश देने के पहले प्रमंडलों में जनसुनवाई की. बिजली कंपनी और उपभोक्ताओं की दलीलों को सुना. पड़ोसी राज्यों के टैरिफ की समीक्षा की. आयोग ने अगले वित्तीय वर्ष में सोलर व गैर सोलर नवीकरणीय ऊर्जा 7.75% खरीदने को भी कहा है. अगले वित्तीय वर्ष में नाॅर्थ बिहार बिजली वितरण कंपनी को 28 और साउथ बिहार बिजली वितरण कंपनी को वितरण क्षति 24% तक लाने को कहा है.
विनियामक आयोग के अध्यक्ष एसके नेगी ने ने बताया कि बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी और उसकी सहायक कंपनियों ने पिछले साल 15 नवंबर को टैरिफ याचिका दायर की थी. दोनों बिजली वितरण कंपनियों नाॅर्थ व साउथ बिहार बिजली वितरण कंपनियों ने भी अलग-अलग टैरिफ याचिका दायर की थी. आयोग ने आदेश देने के पहले प्रमंडलों में जनसुनवाई की. बिजली कंपनी और उपभोक्ताओं की दलीलों को सुना. पड़ोसी राज्यों के टैरिफ की समीक्षा की. आयोग ने अगले वित्तीय वर्ष में सोलर व गैर सोलर नवीकरणीय ऊर्जा 7.75% खरीदने को भी कहा है. अगले वित्तीय वर्ष में नाॅर्थ बिहार बिजली वितरण कंपनी को 28 और साउथ बिहार बिजली वितरण कंपनी को वितरण क्षति 24% तक लाने को कहा है.
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