जस्टिस सी एस कर्णन ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और संवैधानिक पीठ को चिट्ठी लिखी है. जिसमें उन्होंने 14 करोड़ के हर्जाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि उन पर लगाए गए आरोपों के कारण उनकी प्रतिष्ठा पर चोट पहुंची है. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कलकत्ता हाईकोर्ट के जज जस्टिस सीएस कर्नन के खिलाफ वारंट जारी किया था. कर्णन को अवमानना से जुड़े एक मामले में अदालत के सामने पेश होना था लोकिन वो नहीं हुए. जिस पर उच्चतम न्यायालय ने सख्ती दिखाते हुए कर्णन पर 10,000 रुपए का जुर्माना लगाया था.
न्यायमूर्ति कर्णन ने 20 न्यायाधीशों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी किया था. उन्हें 2 बार बुलाया गया, लेकिन वो कानूनी कार्यवाही के लिए एक बार भी कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए. इस पर सख्ती दिखाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 10 मार्च को कर्णन पर जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया. इस केस की सुनवाई कर रही बेंच के सदस्यों में सीजेआई खेहर के अलावा जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी लोकुर, जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष और जस्टिस कुरियन जोसेफ शामिल हैं.
कर्णन ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद शुक्रवार को कहा कि उनके खिलाफ अवमानना मामले में जमानती वारंट जारी करना असंवैधानिक है. उन्होंने कहा, ' 8 फरवरी से ये सात जज मुझे कोई भी न्यायिक और प्रशासनिक कार्य नहीं करने दे रहे. इन लोगो ने मुझे परेशान कर दिया है और मेरा सामान्य जीवन खराब कर दिया है. इसलिए, मैं सभी सात न्यायाधीशों से मुआवजे के रूप में 14 करोड़ रुपये लूंगा.'
न्यायमूर्ति कर्नन ने सीबीआई को पूरी जांच करने का निर्देश दिया है. जिससे सबको पता लग सके कि उन्होंने जो 20 न्यायाधीशों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं उनमें कितना दम है. उनका कहना है कि मद्रास हाईकोर्ट के पास उनके द्वारा लगाए गए सारे आरोपों को साबित करने के लिए सबूत मौजूद हैं.
न्यायमूर्ति कर्णन ने 20 न्यायाधीशों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी किया था. उन्हें 2 बार बुलाया गया, लेकिन वो कानूनी कार्यवाही के लिए एक बार भी कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए. इस पर सख्ती दिखाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 10 मार्च को कर्णन पर जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया. इस केस की सुनवाई कर रही बेंच के सदस्यों में सीजेआई खेहर के अलावा जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी लोकुर, जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष और जस्टिस कुरियन जोसेफ शामिल हैं.
कर्णन ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद शुक्रवार को कहा कि उनके खिलाफ अवमानना मामले में जमानती वारंट जारी करना असंवैधानिक है. उन्होंने कहा, ' 8 फरवरी से ये सात जज मुझे कोई भी न्यायिक और प्रशासनिक कार्य नहीं करने दे रहे. इन लोगो ने मुझे परेशान कर दिया है और मेरा सामान्य जीवन खराब कर दिया है. इसलिए, मैं सभी सात न्यायाधीशों से मुआवजे के रूप में 14 करोड़ रुपये लूंगा.'
न्यायमूर्ति कर्नन ने सीबीआई को पूरी जांच करने का निर्देश दिया है. जिससे सबको पता लग सके कि उन्होंने जो 20 न्यायाधीशों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं उनमें कितना दम है. उनका कहना है कि मद्रास हाईकोर्ट के पास उनके द्वारा लगाए गए सारे आरोपों को साबित करने के लिए सबूत मौजूद हैं.
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